SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 210
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८१ सिंहादिवर्ग: ५] मणिप्रभाव्याख्यासहितः। -१ बलाका बिसकण्ठिका । २ हंसस्य योषिद्वरटा ३ सारसस्य तु लक्ष्मणा ॥२५॥ ४ जनुकाऽजिनपत्ता स्वाद ५ पोषणी तैलपारिका । ६ वर्षणा मक्षिका नीला ७ बरघा मधुमक्षिका ॥ २६ ॥ ८ पतङ्गिका पुतिका स्मारदंशस्तु बनमक्षिका । १० बंशी जातिरल्पाम्याद २१ गन्धोली वरटा द्वयोः ॥२७॥ १ बलाका, निमकण्ठिका ( + विपकटिका, क्षी. स्वा० । २ स्त्री), 'बगुला-विशेष' २ नाम हैं । २ वरसा (+वरला । स्त्री), 'हंसकी स्त्री' अर्थात् 'हंसिनी'का नाम है। ३ लचमणा ( + लक्षणा । स्त्री), 'सारसी' अर्थात् 'सारसकी स्त्री' का ४ जतुका ( + जतूका), अजिनपरत्रा ( २ स्त्रो), 'चमगादड़, बादुर' के २ नाम हैं। ६ परोष्णी ( + परोष्टी), तैलपायिका (२ स्त्री), 'चपड़ानामक कीटविशेष तेलचटा' के २ नाम हैं। ६ वर्वणा ( + बर्बणा), मक्षिका ( + मक्षीका), नीला ( ३ स्त्री), 'नीले रंग की मक्खी ' के ३ नाम हैं। (भा. दी० के मतसे प्रथम शब्द उक्तार्थक है और अन्तवाले दो शब्द विशेषग हैं') ७ सरघा, मधुमक्षिका ( २ स्त्री), 'मधुमक्खी ' के २ नाम हैं। ८ पतङ्गिका, पुत्तिका (२ स्त्री), 'एक तरहकी 'मधुमक्खी ' के २ नाम हैं। ९ दंशः (पु), वनमक्षिका (स्त्री), 'दंश, डॅस, बड़े मच्छड़' के १ नाम हैं । १० दंशी (स्त्री), 'मस, छोटे मच्छड़' का १ नाम है ॥ " गन्धोली (स्त्री), वस्टा ( + वरटी । पु स्त्री) 'बरे, भिर, बिहिनो, गन्धयुक्त मक्खी -विशेष' के २ नाम हैं । १. यथैतेषां नामभेदपूर्वकं मदुवर्णमाह निमिः 'माक्षिकं तैकवर्ण स्याघृतवणे तु पैत्तिकम् । भ्रामरन्तु भवेच्छुक्लं क्षौद्रं तु कपिलं मवेद' ॥ १॥ इति ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy