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________________ १२४ अमरकोषः। [द्वितीयकाण्डे ४ अथ वनौषधिवर्गः। १ अटव्यरण्यं विपिनं गहनं काननं वनम् । २ महारण्यमरण्यानी ३गृहारामास्तु निष्कुटाः ॥ १ ॥ ४ आरामः स्यादुपवनं कृत्रिमं वनमेव यत् । ५ अमात्यगणिकागेहोपवने वृक्षवाटिका ॥२॥ ६ पुमानाकीड उद्यानं राक्षः साधारणं धनम् । ७ स्यादेतदेव प्रमदवनमन्तःपुरोचितम् ॥३॥ ८ घीध्यालिरावलिः पंक्तिः श्रेणी ९ लेखास्तु राजयः । ४. अथ वनौषधिवर्गः। १ अटवी (+ अटविः । स्त्री), अरण्यम्, विपिनम्, गहनम्, काननम्, उनम्, (+वनी, स्त्री। ५ न ), 'वन, जङ्गल' के ६ नाम हैं । २ महारण्यम् (न), अरण्यानी (स्त्री), 'बड़े जङ्गल' के २ नाम हैं ॥ ३ गृहारामः, निष्कुटः (२ पु), 'घरके पासमें लगाये हुए जङ्गल' के २ नाम हैं। ४ आरामः (पु), उपवनम् (न), 'किसीके लगाये हुए उद्यान या बगीचे के २ नाम हैं । ५ वृक्षवाटिका (स्त्री), 'मन्त्रियों या वेश्याओके उपवन' का १ नाम है। ६ आक्रीडः (पु। + न ), सन्यानम् (न), 'प्रमदाओं या मित्रोंके साथ क्रीडा करने के लिये लगाये हुए साधारण वन या बगीचे के २ नाम हैं। ७ प्रमदवनम् (न ), 'रानियोंके क्रीडाके लिये लगाये हुए वन या फुलवाड़ी' का १ नाम है। ८ वीथी (+ वीथिः), आलिः ( + अलिः ), अावलिः ( आवली), पतिः (+पती), श्रेणी (+श्रेणिः । ५ स्त्री), 'कतार, पडि' के ५ नाम हैं ॥ ९ लेखा । (+ रेखा), राजिः (२ स्त्री), 'रेखा, लकीर' के २ नाम हैं। १. या सान्तरा सा पति या च निरन्तरा सा 'रेखा' कथ्यते । यथा-क्षत्रियपति, ब्राह्मणपति,........."। मसोमस्मादिखचिता रेखा । यथा-भस्मरेखा,"....॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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