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________________ अमरकोषः ( द्वितीयकाण्डे१ 'हादि धनिनां वासः २ प्रासादो देवभूभुजाम् ॥९॥ ३ सोधोऽ गजसदन४मुपकार्योपकारिका। ५ स्वस्तिकः सर्वतोभद्रो नन्द्यावर्तादयोऽपि च ॥ १० ॥ विच्छन्दका प्रभेदा हि अवन्तीश्वरसद्मनाम् । ६ म्यारं भुजामन्तःपुरं स्यादवरोधनम् ॥ ११ ॥ शुद्धान्तश्चावरोध ७ स्यावहः क्षोममस्त्रियाम् । ८ प्रघाण प्रघणालिन्दा वहिरिप्रकोष्ठके ॥१२॥ १ हर्चम (न), आदि ( 'आदि शब्दसे 'स्वस्तिकम्, अट्टालिकम्, वास. गृहम ( ३ न ),..... धनियोके रहने के स्थान' का १ नाम है ।। २ प्रासादः (पु), 'देवताओं और राजाओंके निवासस्थान या कोठे' का नाम है ॥ ३ सोधः (पु न ), राजसदनम (न), 'राजाके घर' के २ नाम हैं । ४ उपकार्या, सारिका (२ स्त्री) 'तम्बू , कनात, सामियाना' के २ नाम हैं । ( 'सौधम्,... . . .' ४ शब्द 'राजगृह' के नाम हैं)॥ ५ स्वस्तिकः, सनोभद्रः, नन्द्यावर्तः, आदि ('आदि' शब्दसे 'रूपका, वर्द्धमानः,.....' ), विच्छन्दकः ( + विच्छर्दकः । ४ पु), 'धनियोंके गृहों' के 1-1 नाम हैं । ('चारों तरफसे दरवाजा और तोरणवाले घरको 'स्वस्तिक', अनेक मंजिले घरको 'सर्वतोभद्र', गोलाकार घरको 'नन्द्यावर्त' और बड़े तथा सुन्दर घरको 'विच्छन्दक' कहते हैं')॥ ६ अन्तःपुरम् , अवरोधनम् (२ न), शुद्धासः, अवरोधः (२ पु), 'रनिवास' के ४ नाम हैं ॥ ७ भट्टः (पु), क्षोमम् ( + क्षौमम् । न पु), 'अटारी' के २ नाम हैं । ८ प्रघाणः, प्रघणः, अलिन्दः ( + आलिन्दः । ३ पु), 'पटडेहर' अर्थात् 'चौखटकी बाहरी जगह' के ३ नाम हैं ॥ १. एतत्पूर्व 'मत्ताकम्बोऽपाश्रयः स्यात्यग्रीवो मत्तवारणः' इति क्षेपकः क्षी. स्वा० व्याख्याने उपलभ्यते॥ २. 'विच्छर्दकप्रभेदा हि' इति पाठान्तरम् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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