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________________ अंतसद् अंतसद् पुं० शिष्य; अंतेवासी अंतस्ताप वि० अंदरथी तपेलुं; अंदरथी वळतुं (२) पुं० आंतरिक ताप के ताव अंतस्तोय वि० अंदर पाणीवाळु अंतःकरण न० अंदरनी इंद्रिय; मनबुद्धिचित्त अहंकार अंतःकोप पुं० अंदरनो क्रोध; गुप्त क्रोध अंतःपातिन् वि० अंदर आवेलुं अंतःपुर नं० राणीवास; स्त्रीओनो आवास ( २ ) अंतःपुरमा रहेती स्त्रीओ के राणीओ अंतःपुरिक पुं० कंचुकी; अंत: पुरनो रक्षक अंतःप्रकोप न० अंदरनो ( प्रजानो) असंतोष अंतःसत्वा स्त्री० सगर्भा - गर्भिणी स्त्री अंतःसलिल वि० जमीननी अंदर ( वहेता) पाणीवाळं अंतःसंज्ञ वि० अंदरथी चैतन्ययुक्त; अंदर जेने संज्ञा - भान छे तेवुं ( वृक्ष इ० ) अंतःसार वि० अंदरना बळ के जोम वाळं (२) वजनदार ( ३ ) पुं० अंदरनुं तत्त्व; अंदरनी वस्तु [माणनारु अंतःसुख वि० अंतरमां- आत्मामां सुख अंतःस्थ वि० वच्चे रहेलुं (२) पुं० य् र् ल् व् - ए चारमांनो दरेक व्यंजन ( व्या० ); अर्धस्वर ( स्वर अने व्यंजन बनेना धर्मवाळो ) [ सान्निध्य अंतिक वि० पासेनुं ; नजीकनुं ( २ ) न० अंतिकचर पुं० हरियो अंतिम वि० छेल्लुं ( २ ) तरत ज पछीनुं अंते अ० छेवटे; छेडे (२) अंदर (३) समीपे अंतेवासिन् पुं० शिष्य ( गुरुनी समीपे रहेनारो) (२) चांडाळ ( गामने छेडे रहेनारो) अंत्य वि० छेल्लुं (२) तरत ज पछीनुं (३) हलकुं; नीचुं ( ४ ) नश्वर ( ५ ) पुं० म्लेच्छ; यवन (६) चांडाल ( ७ ) शब्दनुं छेल्लुं पद ( ८ ) न० एकडा उपर पंदर मींडां गोठवतां थती संख्या Jain Education International ६४ अंबुज अंत्यकर्मन् न०, अंत्यक्रिया स्त्री० प्रेतसंस्कार; अग्निसंस्कार अंत्यज, अंत्यजन्मन्, अंत्यजाति, अंत्यजातीय वि० हलकी वर्णनुं शूद्र अंत्याहुति, अंत्येष्टि स्त्री० प्रेतसंस्कार; मरणसंस्कार अंत्र न० आंतरडुं अंदु ( टू ) स्त्री० सांकळ (२) हाथीना पगे बांधवानी सांकळ (३) पगे पहेरवानुं घरेणुं [थवुं अंध् १० उ० आंधळं करवुं ( २ ) आंधळु अंध वि० आंधळं (२) आंधळं करे तेवुं; अतिगाढ (अंधा) (३) अत्यंत पीडायेलुं (४) मेलुं करायेलुं (५) न० अंधारु (६) अज्ञान, अविद्या (७) पाणी; मेलं पाणी अंधक वि० आंधळं अंधकार पुं० अंधारुं अंधकूप पुं० झाड-झांखरांथी ढंकाई, न देखाती होवाथी, फसाई पडाय तेवो कूवो (२) मूढता ; मोह अंधतमस, अंधतामस न० पूर्ण अंधकार; गाढ अंधारुं अंधतामित्र पुं० न० पूर्ण अंधारुं ( २ ) मानसिक अंधकार - अज्ञान ( ३ ) एक नस्क (४) मरण अंधस् न० अन्न अंधु पुं० कूवो अंबक न० आंख ( उदा० त्र्यंबक ) अंबर न० आकाश (२) वस्त्र ( ३ ) एक सुगंधी पदार्थ अंबरिष, अंबरीष पुं० एक विष्णुभक्त राजानुं नाम (२) सूर्य (३) तावडी; कढाई अंबरौकस् पुं० स्वर्गमां वसनार - देव अंबा स्त्री० माता; मा अंबालिका, अंबिका स्त्री० मा; माता अंबु न० जळ; पाणी अंबुज वि० जळमां उत्पन्न थयेलुं (२) पुं० शंख (३) न० कमळ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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