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कालीयक
६७५ कालीयक पुं०,न० कृष्णागुरु (२)पीळं। कियदेतद् शा उपयोगर्नु ?
चंदन (३) एक जातनी हळदर कियदरम् अ० केटले दूर? कावेरी स्त्री० दक्षिण भारतनी एक कियन्मात्र पुं० नजीवी -तुच्छ वस्तु
नदी (२) वेश्या (३) हळदर किराताः पुं० जुओ पृ० ६०३ ।। काशेय वि० काशी संबंधी; काशीमां किराती स्त्री० किरात जातिनी स्त्री जन्मेलु
[एक छोड (२) चामर ढोळनारी दासी (३) काश्मरी स्त्री० गांभारीनामे ओळखातो पार्वती (४) कुट्टणी काश्मल्य न० मानसिक विषाद ; हताशा किर्मीर वि० काबरचीतरा वर्णन (२) काश्मीरक वि० काश्मीरमा जन्मेलं के पुं० भीमे मारेलो एक राक्षस (३) उत्पन्न थयेलु
नारंगीनुं झाड काश्मीरपंक पुं० कस्तूरी
किर्मीरित वि० रंगबेरंगी; काबरकाश्यपपुर न० जुओ पृ० ६०३
चीत९ (२) वच्चे वच्चे भळयु होय काश्यपेय पुं० दारुक (कृष्णनो सारथि) तेवू - मिश्रित (२) सूर्य (३) बार आदित्योनुं नाम किलकिलायति (-ते) (दांत ककडाववा; (४) गरुड (५) देवो अने दानवो दांत घसीने अवाज करवो) काष्ठभर पुं० लाकडान अमुक वजन किकिचित न० प्रेमावेशमा हसवूकाष्ठभंगिन पुं० लाकडानो कीडो रडवु-रिसावू ते (प्रेमी साथे) काष्ठभारिक पुं० लाकडां ऊंचकनारो किष्किधा स्त्री० जुओ पृ० ६०३ कांचनसंधि पुं० समान शरतोए कराती किष्कु पुं० स्त्री० एक हाथ जेटलं
उत्तम सुलेह [चहेरावाळी स्त्री २४ आंगळy माप (२) मापवानो गज कांचनांगी स्त्री० सुवर्ण समान रंगना किकार्यता स्त्री० 'शुं करवु' एनी समज कांचीगुणस्थान न० कंदोरो ज्यां पहेराय न पडे तेवो प्रसंग
छे ते कमरनो के नितंबनो भाग किंकृते अ० शा माटे कांचीपुरी स्त्री० जुओ पृ० ६०३ किचन्य न० मिलकत कांदिग्भूत वि० दिग्मूढ ; गाभएं; किनर पुं० जुओ पृ० ६०३ नासभाग करतुं
किनरी स्त्री० किंनर स्त्री कांदिश् वि० नासभाग करतुं किंपुरुष पुं० जुओ पृ० ६०३ कांपिल्य न० जुओ पृ० ६०३ किविवक्षा स्त्री० बदनामी; जूठी निंदा कांपिल्ल, कांपिल्लक पुं० एक जातनुं कीकटाः पुं० ब० व० जुओ पृ० ६०३ वृक्ष (२) एक सुगंध (शुंडारोचनी) कीकस पुं०, न० हाडकुं कांबोज पुं० कांबोजदेश (२) ते देशनो
कीटावपन्न वि० कोडा पडेल; जीवडांए वतनी (३) ते देशना घोडानी जात ।
कोरी खाधेलं [के तुच्छ जंतु कांबोजास्तरण न० धाबळो; कामळो कीटिका स्त्री० नानो कीडो (२) अल्प कांस्य पुं०,न० पित्तळनो के कांसानो कीर्णवर्त्मन् वि० रस्ता उपर वीखरातुं प्यालो
पडे तेम करतुं कांस्यदोह, कांस्योपदोह वि० कांसानो । कु २ प० गणगणवू ; गुंजारव करवो
हांडो भरीने दूध आपतुं (एक टंके) (२) ९ उ० [कुनाति, कनाति, कियच्चिरम् अ० केटला समय सुधी कुनीते, कूनीते] चीस पाडवी
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