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________________ आयामिन् आयामिन् वि० निग्रह करतुं ( २ ) लांबु दीर्घ (स्थळ के समयनो दृष्टिए) आयासक वि० थकवे तेवुं; कंटाळा भरेलुं [ करतुं ; मयतुं आयासिन वि० थाकेल ( २ ) प्रयास आयुध ४ आ० लडवु, हुमलो करवो आयुधपाल पुं० शस्त्रागारनो रक्षकअधिष्ठाता आयुध पिशाचिका स्त्री० हथियार वापरवानी चळ; लडाईनो आवेश आयुधागार न० शस्त्रो राखवानो ओरडो आयुधीय पुं० योद्धो आयुः शेषजीवित वि० जे हजु लांबु जीववानुं छे ते आयुःशेषता स्त्री० हजु जीववानुं बाकी होय तेवी स्थिति आरकूट पुं० न० पित्तळ आरट्ट पुं० जुओ पृ० ६०० आरण्य, आरण्यक पुं० जुओ पृ० ६०० आरभ्य अ० - थी मांडीने के शरू करीने आरव पुं० बूमाबूम (२) अवाज आवडडिम पुं० एक जातनुं ढोल आरालिक पुं० रसोइयो ( २ ) मदमत्त हाथीओने अंकुशमां राखनारो आरोण वि० पूरेपूरुं सुकाई गयेलुं आरुच् - प्रेरक० पसंद पडवुं; गमबुं आरोपयितृ वि० ( शरीर उपर ) धारण करना; पहेरनारुं आरोपित वि० चडावेलु (२) मूकेलं (३) पणछ चडावेलु आर्जीकिया स्त्री० जुओ पृ० ६०० आर्जुनि पुं० अर्जुननो पुत्र ( अभिमन्यु ) आत्विजीन वि० ऋत्विजना स्थान माटे योग्य एवं [ उतारवा ) आर्द्रपृष्ठ वि० पाणी छांटेलुं (थाक आर्द्रभाव पुं० भीनाश (२) पीगळी जबुं ते ( हृदयनुं) आर्द्रयति प ० ( भीनुं करवुं ) Jain Education International ६६० आशंकित आर्यभट्ट पुं० जुओ पृ० ६०० आर्यावर्त पुं० जुओ पृ० ६०० आल पुं० विष (झेरी प्राणीए काढलं.) (२) छळकपट आलानिक वि० हाथी बांधवाना थांभला तरीके काम देतुं आलीढा स्त्री० रजस्वला स्त्री आलू ९ उ० ( हळवेथी) चूटवुं आलेख्यसमर्पित वि० चीतरेलुं आलोकनीयता स्त्री० ( चित्रनी पेठे ) जोवा-निहाळवानी दशा, स्थिति के योग्यता आवप् १ उ० वेरवुं; विखेखु ( २ ) araj ( ३ ) आहुति आपवी ( ४ ) विधि के अनुष्ठान करवुं (जेम के श्राद्धनुं) - प्रेरक० कापी नाखवं; मूंडवुं (२) ओळ; व्यवस्थित करवुं आवरीत वि० ढांकना आवरीवस् वि० ढांकी देनारुं आवर्तिन् वि० पार्छु फरनारं आवस्थिक वि० परिस्थितिने अनुरूप एवं आवारित वि० चारे बाजुए व्याप्त आविमंडल वि० ( पूरा ) वर्तुळनो आकार प्रगट करतुं ( जलदी बाण छोडवाथी, धनुष्य ) आविलयति प० ( दूषित - मलिन करवुं ) आवीरजा स्त्री० रजस्वला स्त्री आवृत वि० ढांकेल छुपावेलुं (२) घेरालु (३) ढंकायेलुं; व्याप्त (४) पूर्ण ते आव्यक्त वि० स्पष्ट ; समजी शकाय आव्य ४ प० वींध; घायल कर (२) पहेरवुं ( ३ ) ताकीने फेंक (४) फेंकी देवुं ( ५ ) घुमाववुं ( ६ ) हांकी काढ आशक न० खावुं आशंकित वि० जेनो डर राख्यो होय तेवुं ( २ ) शंका राखी होय तेवुं For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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