SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 657
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनवधान ६४३ अनीलवाजिन् अनवधान वि० लक्ष विनानु; बेध्यान; मळेलं (३) भावि; भविष्य काळy काळजी विना- (२) न० दुर्लक्ष (४) न० भावि समय; भविष्य अनवन वि० रक्षण न आपतुं अनागतविधात पुं० भविष्यने माटे अनवम वि० हीन नहि तेवू; उच्च तैयारी राखनाएं के संघरो करनाएं अनवरतम् अ० सतत अनातुर वि० आतुर के उत्सुक नहि तेवू अनवसर वि० अवकाश के फुरसद वगरनुं (२) थाकया विनानुं (३) नीरोगी; (२) उचित काळ विनानुं (३) न०, पुं० आरोग्यवान फुरसद न होवी ते (४) उचित समय अनात्मज्ञ, अनात्मवेदिन वि० आत्मन होवो ते [दुराचारीपणुं ज्ञान विनानुं (२) पोतानी जातने न अनवस्थान न० संदिग्धता;अनिश्चय(२) जाणनार के समजनार; मुर्ख ; अज्ञान अनवस्थित वि० अस्थिर; चंचळ (२) अनात्मसंपन्न वि० मूर्ख – अज्ञ (२) बदलायेलु ; पलटायेलु (३) व्यभिचारी आत्मवान के निग्रही नहि तेवू (४) रहेवा माटे असमर्थ एवं अनादर वि० आदर विनानुं (२) पुं० अनवस्थितम् अ० क्रममां नहि तेम; तिरस्कार ; अपमान (३) सहेलाई ; अव्यवस्थितपणे [रसोडु __ मुश्केली के महेनत न पडवी ते अनस न० गाडु (२) रांधेलं अन्न (३) अनादृत वि० अनादर करायेलु; अनादर अनसूया स्त्री० जुओ पृ० ५९७ पामेलं (२) परवा न करतुं अनसूयु वि० असूया के अदेखाई विनानुं अनार्यसमाचार पुं० दुराचार; दुर्वर्तन अनालोक वि० बीजा वडे प्रकाशित अनहंवादिन वि० गवरहित; नम्र नहि तेवं; स्वयंप्रकाश अनंगद वि० प्रेम अथवा काम उत्पन्न अनावाप वि० नवं कशुं न मेळवनार करनाएं (२) कडु के वलय विनानु। अनाशिन् वि० अविनाशी; अव्यय अनंतक वि० अंत विनानु; नित्य अनास्वादित वि० चाख्यं के भोगव्युं न अनंतगुण वि० अनंत गुणोवाळ (२) होय तेवं असंख्य [के छेडा विनानुं अनाहार पुं० उपवास; भूख्या रहे ते अनंतपार वि० अनंत विस्तारवाळं ; पार अनियंत्रण वि० नियंत्रण के अंकुश अनंतर वि० पछी- (२) नजीकचं (३) विनान; स्वतंत्र अंतर वगरनु; अखंड (४) न० नजीक अनिरिण वि० खाडा-टेकरा विनानुं पणुं; सांनिध्य अनिरुद्ध पुं० जुओ पृ० ५९७ अनंतरज पं० पोतानी तरत पहेलां के अनिर्लोकित वि० बराबर विचार्यु के पछी जन्मेलो (औरस) भाई तपास्युं न होय तेवू अनंतविजय पुं० युधिष्ठिरनो शंख अनिर्वाण वि० नवरावेलुं नहि तेवू अनंतशयन न० जुओ प० ५९७ अनिविद वि० थाकेलं नहि तेवू अनाकाश वि० पारदर्शक नहि तेवू (२) । अनिर्वेद पुं० खिन्नता के हताशानो पारदर्शक आकाश विनानुं अभाव; आत्मविश्वास ; हिंमत अनाकुल वि० स्वस्थ; आकळं नहिं अनिविष्ट वि० न परणेलु तेवू (२) क्रमसर एवं अनीर्ष वि० ईर्ष्या न करतुं अनाकंद वि० वेदनाथी मढ बनेलं अनील वि० श्वेत [वाळो) अनागत वि० नहि आवेलं (२) नहि अनीलवाजिन् पुं० अर्जुन (सफेद अश्वो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy