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________________ छे. प्रद्युम्न ६१४ शक संवत (ई. स. ७८) प्रवर्तावनार वनमणि लई आवी अने अर्जुनने शालिवाहन त्यां जन्मेलो. सजीवन कर्यो. प्रद्युम्न पुं० श्रीकृष्ण-रुक्मिणीनो पुत्र, बल, बलभद्र, बलराम पुं० वसुदेवना शंकरे मदनने बाळी नाख्यो त्यार पछी पुत्र बळराम. रोहिणीना पुत्र.श्रीकृष्णते प्रद्युम्न तरीके जन्म्यो हतो. ना मोटा भाई. शेषना अवतार मनाय अनिरुद्धनो पिता. छे. गदायुद्धमां निष्णात. भीम अने प्रद्योत पुं० उज्जयिनीनो राजा. तेनी दुर्योधन तेमनी पासे गदायुद्ध शीखेला. पुत्रीने वत्सराज परण्यो. हळ-मुसळ तेमनुं शस्त्र गणाय छे. प्रमीला स्त्री० स्त्रीराज्यनी स्वामिनी. बलि पुं० प्रहलादना पुत्र विरोचननो अश्वमेध यज्ञ वखते अश्व पाछळ पुत्र. बाणासुरनो पिता. विष्णुए अर्जुन गयेलो त्यारे तेनी साथे लडेली. वामन अवतार धारण करी तेने हार्या बाद अर्जुननी पत्नी थई. पाताळमां दबाव्यो. चिरंजीवी गणाय प्रयाग न० गंगा यमुनाना संगम उपरनुं प्रसिद्ध तीर्थक्षेत्र. बाण पुं० (१) बाणासुर'. बलिराजानो प्रस्रवण पुं० 'जनस्थान'मां आवेलो एक पुत्र. तेनी कन्या उषा (ओखा). पर्वत. अनिरुद्ध तेने परणेलो. (२) बाणभट्ट; प्रह्लाद पुं० हिरण्यकशिपु-कयाधुनो 'हर्षचरित', 'कादंबरी' इ. नो कर्ता. मोटो पुत्र. मोटो विष्णु भक्त. नरसिंह कान्यकुब्जनो हर्षवर्धन राजा तेनो अवतार तेने बचाववा थयेलो. मित्र-आश्रयदाता. हयएनत्सांगे (ई.स. प्राग्ज्योतिष न० नरकासुरना पुत्र भग ६२९-६४५) तेना राज्यकाळy दत्तनुं नगर. कामरूपनुं प्राचीन नाम. वर्णन कर्य छे; एटले बाण कवि ७ मा प्लक्ष पं० पृथ्वीना सात द्वीपोमांनी एक. सैकाना उत्तरार्धमां थयो होय. फल्गु स्त्री० एक नदी. तेना कांठे गया बाल्हीक, बाहीक पुं० जुओ ‘वाहलिक' क्षेत्र आवेलुं छे. बाहुक पुं० (१) सगर राजानो पिता. बक पुं० एक असुर. जटासुरनो पुत्र. (२) नळराजा ऋतुपर्णनो सारथि एकचक्रा नगरी पासेना वनमां थयो ते वखते तेणे धारण करेलु नाम. रहेनारो. तेनो भीमे वध कर्यो हतो. बिल्हण पुं० महाकाव्य ‘विक्रमांकदेवबदरिकाश्रम, बदरी हिमालयनी पर्वत चरित', 'चौरपंचाशिका' 'बिल्हणमाळामां एक शिखर. त्यां नर-नारा चरित' अने 'कर्णसंदरी' नो कर्ता. यण, मंदिर छे - अलकनंदाना काश्मीरी ब्राह्मण. 'कर्णसंदरी' ए पश्चिम किनारे. अणहिलवाडना राजा कर्णदेव (ई. बभ्रुवाहन पुं० अर्जुन अने चित्रांगदानो स. १०६४-७४) ना विद्याधरपुत्र. मणिपुरनो राजा. अश्वमेध कुमारी कर्णसुंदरी साथेना प्रेमलग्ननी वखते अर्जुन अश्व पाछळ त्यां गयेलो; नाटिका छे. ते ११ मा सैकाना त्यारे बभ्रुवाहन वंदन करवा आव्यो. उत्तरार्धमां थई गयो. तेने अर्जुने टाणो मार्यो. पछी लडाई बुद्ध पुं० बौद्ध मतना प्रवर्तक. शाक्यसिंह थई; तेमां अर्जुन ठार थयो. अर्जुनपत्नी नामे पण ओळखाय छे. 'सिद्धार्थ उलपी पछी शेषनाग पासेथी संजी कुमार' गृहस्थाश्रमनुं नाम. कपिल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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