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________________ पंचाल ६१३ प्रतिष्ठान पंचाल पुं० यमुना अने मंगानी वच्चेनो पांड्य पुं० भारतनी दक्षिणनी अणीए प्रदेश. उत्तरपंचाल (रोहिलखंङ)नी आवेलो देश... चोलदेशनी दक्षिण राजधानी अहिच्छत्रा. ते प्रदेश द्रोणा- पश्चिमे. मलय पर्वत अने ताम्रपर्णी चार्ये द्रुपद पासेथी लई लोधो हतो. नदी. अत्यारर्नु तिन्नेवेल्ली. रामेश्वरदक्षिणपंचाल (अंतर्वेदी) नो राज- नो पवित्र टापु आ राज्यमां आवे. धानी कांपिल्य. ए भाग द्रुपद पासे पुरु पुं० चंद्रवंशनो छठ्ठो राजा. बाकी रह्यो. ययातिनो नानो पुत्र,मिष्ठाथी थयेलो. पंपा स्त्री० बेलारी जिल्लामां आवेल कौरवो अने पांडवोनो पूर्वज. ययातिनी एक प्रसिद्ध सरोवर तथा तुंगभद्राने वृद्धावस्थानो अदलोबदलो तेणे पोतानी मळती नदीनुं नाम. पंपा नदी ऋष्यमूक जुवानी साथे करेलो. पर्वतमांथी नीकळे छे. पुरुषपुर न० पेशावर. गांधारनी पाटलिपुत्र न० गंगा अने शोण नदीना राजधानी. कनिष्क राजाए। तेने संगम उपर आवेलु मगधनुं राजधानी- राजधानी बनावेली.. . शहेर. तेने कुसुमपुर पण कहेता. ई. स. पुरूरवस् पुं० बुधनो इलाथी थयेलो पुत्र. पूर्वे ४८० मां ते वैशालिना बज्जीओ चंद्रवंशी राजाओनो मूळ पुरुष. तेना नो सामनो करवा बंधायेलं. मौर्यो अने उर्वशी साथेना प्रेमनी कथा 'विक्रमोगुप्तोनी समृद्ध राजधानी. छठ्ठा र्वशीय' नाटकमां छे. सैकाथी तेनी पडती थवा लागी अने पुरोचन पुं० दुर्योधननो म्लेच्छ मंत्री. युएनत्सांगे तेने जोयुं त्यारे ते एक तेणे पांडवोने बाळी नाखवा लाक्षागृह सामान्य गामडुं बनी गयुं हतुं. बांधेलं. पांडवो ते गृहन सळगावी पाणिनि पुं० व्याकरणनां सूत्रो लखनार चाल्या गया त्यारे तेमा ते बळी मूओ. प्रसिद्ध मुनि. पुलस्त्य पुं० ब्रह्मदेवना मानसपुत्र. पारसीक पु० ईरान देश, तथा तेनो तेमना पुत्र अगस्त्य. वतनी. वायव्य सरहदनी पारना देशोना पुलिददेश पुं० बुंदेलखंडनो पश्चिम वतनी माटे पण ते शब्द वपराय छे. प्रदेश अने सागर जिल्लो मळीने पारिपात्र, पारियात्र पुं०(१) विंध्य पर्वत- बनतो देश. . नो पश्चिम भाग. भारतना पश्चिम पुंडदेश (पौंड्र) पुं० एक देश : पूर्वे किनारानो मोटो भाग. रामायणमां करतोया, पश्चिमे कौशिकी, उत्तरे तेने पश्चिम समुद्र उपर आवेल हेमकुट पर्वत अने दक्षिणे गंगा नदी. कह्यो छे. (२) सात कुलाचल पर्वतो- पृथु पुं० वेन राजानो प्रसिद्ध पुत्र. मांनो एक. तेणे पृथ्वीने सपाट बनावी. पृथ्वीने गाय पार्वती स्त्री० हिमालय-मेनानी पुत्री कल्पीने अनेक रत्न अने औषधिओ रूपे जन्मेलां सती. कालिदासना दोही. तेना उपरथी 'पृथ्वी' ए नाम 'कुमारसंभव'मां तेमना शिव साथेना पड्युं . लग्ननी वात छे. प्रतिष्ठान न० (१) पुरूरवानी राजधानी. पांडु पुं० एक राजा; पांडवोनो पिता; प्रयागनी सामे. गंगायमुनाना संगम धृतराष्ट्रनो नानो भाई. कुंती अने उपर. (२)औरंगाबाद - मराठवाडामाद्री बे राणीओ. मां आवेलं पैठण. गोदावरीने किनारे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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