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________________ हस्तगत ५८८ हस्तगत, हस्तगामिन् वि० हाथमा रहेलू; हस्तिदंत पुं० हाथीनो दंतूशळ (२) हाथमां आवेलं दीवालमां खोसेली खींटी (३) न० हस्ततल न० हथेळी (२)सूंढनो अग्रभाग हाथीदांत [पुं० हाथी हस्ततुला स्त्री० हाथमा लईने ज वजन हस्तिन् वि० हाथवाळू (२) सूंढवाळु (३) जाणवू ते [ते हस्तिनख न० किल्लाना दरवाजाना हस्तधारण न० (हाथ वडे) प्रहार खाळवो रक्षण माटेनो एक बुरज हस्तपाद न० हाथ तेम ज पग हस्तिनपुर, हस्तिनापुर न० हस्तिन् हस्तप्राप्य वि० हाथथी पहोंची शकाय राजाए वसावेलुं शहेर; पांडव-कोरवोतेवू [नासी छूटेलं नी राजधानी (अत्यारना दिल्हीथी हस्तभ्रष्ट वि० हाथमाथी छूटी गयेखें ५० माईल उत्तरपूर्वमां) हस्तरोधम् अ० हाथमां पकडीने । हस्तिनी स्त्री० हाथणी (२)स्त्रीओना हस्तलाघव न० हाथचालाकी; चपळता चार वर्गोमांथी एक हस्तलेख पुं० कळाकृति रचता पहेलां हस्तिप, हस्तिपक पुं० जओ 'हस्त्यारोह' हाथ वडे आकृति दोरवी ते हस्तिमद पुं० हाथीना लमणामांथी हस्तवत् वि० कुशळ ; हाथचालाकीवाळं नीकळतो एक प्रकारनो रस हस्तवतिन् वि० हाथमां पकडेलु ; हाथमां रहेलु (२) मेळवेलं; मळेलु हस्तिमल्ल पु० ऐरावत हस्तवाप पुं० हाथ वडे बाण छोडवां ते हस्तियूथ पुं०, न० हाथीओनुं टोळं हस्तसंवाहन न० हाथथी दबावq ते ; चंपी हस्तिवक्त्र पं० गणपति करवी ते दोरो हस्तिवाह पु० अंकुश (२) महावत हस्तसूत्र न० कडु अथवा हाथे बांधेलो हस्तिशाला म्बी० हाथीवाणु हस्तस्वस्तिक पु० हाथनो स्वस्तिक हस्तिस्नान न ० हाथीनुं स्नान (ते नाह रचवो ते (आडा हाथ धरवा ते) पछी मूढथी धूळ शरीर उपर नाख छे, हस्तंगत वि० हाथमां गयेलं;-ने कबजे तेना जेवी निरर्थक क्रिया) पडेलं हस्तिहस्त पु० हाथीनी सुंढ हस्ताक्षर न० पोताना हाथ- लखाण; हस्तेक ८ उ० हाथमां लेवू; कमजे लेव हस्ताग्न न० आंगळी (हाथनो छेडो) हस्त्याजीव पुं० महावत हस्तामलक न० हाथमा रहेलं आमळं हस्त्यारोह प० हाथी उपर सवारी (तेवी रीते स्पष्ट देखाती के समजाती करनारो के हाथीने हांकनारो वस्तु ला०) [टेको; मदद हल वि० हसत; स्मित करतुं (२) मूर्ख हस्तावलंब पुं०, हस्तावलंबन न० हाथनो हंजा स्त्री. दासी; नोकरडी हस्तावाप पुं० आंगळीओने धनुष्यनी हंजा अ० दासीने संबोधन पणछ न वागे ते माटे वपरातुं रक्षण हंजिका स्त्री० दासी माटे- मोजु (२) हाथनी बेडी हंजे अ० दासीने संबोधन हस्ताहस्ति अ० हाथोहाथ-; हाथोहाथ हंडा अ० हलकी कक्षानी स्त्रीओ माटेन आवी जवाय तेम संवोधन (२) हलकी वर्णनी स्त्रीओनु हस्तिक न० हाथीओनो समूह अरसपरस संबोधन (३) स्त्री० मोटो हस्तिजागरिक पुं० महावत; हाथीनी माटीनो हांडो (४) दासी । संभाळ राखनारो हंडिका, हंडी स्त्री० हांडी; माटी पासण सही Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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