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________________ शक्तिमान हो, (५) -नी किंमतनुं होवू (६) १०प० मान आप ; पूजवं अहं वि० पूज्य; संमाननीय (२)योग्य; लायक; अधिकारवाळ (३) किंमतन: कीमती (४) समर्थ ; शक्तिमान (५) पुं० मूल्य ; किंमत (६) योग्यता अहंण न०, अर्हणा स्त्री० पूजन कर ते; मान आपq ते (२) पूजनसामग्री; भेट; बक्षिस (४)पुं० बुद्ध (५) तीर्थंकर अर्हत वि० पूज्य (२) योग्य (३) विख्यात अहंत वि० पूज्य ; माननीय (२) योग्य (३) पुं० बुद्ध (४) बौद्ध भिक्षु अर्हा स्त्री० पूजा; अर्चना अी वि० पूज्य (२) स्तुत्य (३) उचित (४) मेळववा लायक अलक पुं०, न० वाळनी लट-गुच्छो (२) कपाळ उपरना वांकडिया वाळ अलकनंरा स्त्री० गंगा (२) तेने मळती अलकापुरी अलका स्त्री० कुबेरनी राजधानीअलकाधिप, अलकेश्वर पुं० कुबेर अलक्त, अलक्तक पुं० अळतो अलक्षण वि० शुभ चिह्नो विनानुं (२) विशेष चिह्न के लक्षण विना- (३) अपशुकनियाळ;अभागी (४) समजमां न आवे तेवू लक्षण विनानुं अलक्षित वि० नहि जोयेलं (२) चिह्न के अलक्ष्मी स्त्री० दुर्भाग्य ; दारिद्रय अलक्ष्य वि० नजरे न पडतुं; अज्ञात; अदृश्य (२)चिह्न के लक्षण विनानुं अलघु वि० भारे; वजनदार (२) ह्रस्व नहि तेवू ; दीर्घ (मात्रा) (३) गंभीर (४) तीव्र अलम् अ० पूरतुं - जोई। तेटलं होय तेम (२) शक्तिमान - समर्थ होय तेम (३) तुल्य-समान होय तेम (४) बस करो, जरूर नथी-एवा अर्थमां (५)पूरेपूरुं - खूब -पुष्कळ होय तेम नदी अलीक अलर्क पुं० आठ पगवाळू एक कल्पित प्राणी (तीक्ष्ण दंष्ट्रा अने कांटाळा वाळवाळू) अलस वि० आळसु (२) सौम्य ; मंद (३) थाकेलं (४) धीमु; जड . अलस्य वि. आळसु अलंकरण न० सुशोभित करवं ते (२) शोभा; शणगार (३) आभूषण ; घरेणु अलंकामता स्त्री० संपूर्ण तृप्ति अलंकार पुं० शोभा; सौन्दर्य (२)घरेणु कोई पण शोभीती वस्तु (३). शब्द अथवा अर्थनी चमत्कृतिवाळी रचना. अलंक ८ उ० शणगार; सुशोभित करवू (२) रोकg; बस करावई . अलंकृत वि० विभूषित ; शगगारेलं अलंकृति स्त्री० शोभा; गणगार (२) घरेणुं (३) शब्द के अर्थनी चमत्कृतिवाळी रचना - अलंकार अलंक्रिया स्त्री० शणगारवानी क्रिया अलंघनीय, अलंध्य वि० ओळंगी न शकाय तेवं (२)जेने पहोंची न शकाय तेवू (३) सुरक्षित अलंभूष्णु वि० समर्थ; शक्तिमान अलात पुं०, न० खोरणुं; खोरियु अलाबु(-) स्त्री० तुंबडु अलाभ पुं० न मळवू ते (२) हानि अलि पुं० भमरो अलिक न० कपाळ ; ललाट अलिकुल न० भमराओनो समूह अलिन पुं० भमरो अलिनी स्त्री० भ्रमरसमूह अलिंग वि० चिह्न विनानु (२) खराब चिह्नवाळू अलिंजर पु० माटी- मोटुं वासण; माण अलिंद पु० मुख्य बारणा परनु छ (२) बारणा आगळनो चोक अलीक वि० अप्रिय; प्रतिकूळ (२) खोटुं; जूलु (३) न० कपाळ (४) अप्रिय - प्रतिकूळ एq ते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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