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________________ संप्रयोग जोडेलु (२)-मां आसक्त;-मां लागेलं (३)संभोग करतुं संप्रयोग पुं० संयोग; संबंध; मिलन (२) सांधो; जोडाण; गांठ (३)संभोग (४) अरसपरस संबंध (५) सहकार संप्रवत् १ उ० मोटेथी बोलवु (२) बम पाडवी; घोंघाट करवो (३) एक साथे बोलवं करवो संप्रविश ६५० साथे प्रवेशवं (२)संभोग संप्रवृत् १ आ० थएँ; बनवू (२) शरू करवू (३) प्रवर्तमान थq; चालु थर्बु (४)हुमलो करवो -प्रेरक० शरू करवू; माथे लेवू (२) गतिमान कर संप्रसाद पुं० प्रसन्नता (२) कृपा (३) स्वस्थता (४)(गाढ निद्रानी स्थितिमां) जीवात्मा (५) विश्रांति; सुषुप्ति संप्रसारण न० य, र, ल अने व् बदले इ, ऋ,ल अने उ थवां ते (व्या०) संप्रस्था १ आ० [संप्रतिष्ठते ] जवं; ऊपडवू; विदाय थर्बु (२)आगळ वधq संप्रहार पुं० परस्पर प्रहार करवो ते (२) लडाई; सामनो; युद्ध संप्राप् ५५० पहोंचवू (२) पामवं संप्राप्ति स्त्री० प्राप्ति संप्रिय न० संतोष; तृप्ति संप्रीति स्त्री० आसक्ति (२) आनंद; खुशी करवी संप्रेक्ष १ आ० निहाळवं (२) तपास संप्रेष -प्रेरक० मोकलवं; मोकली देवू (२) –ने संदेश मोकलवो संप्लव पुं० डूबवू ते (२) रेल (३) नाश; लोप (४)समूह (५) वरसवंतूटी पडवू ते (६) धांधळ; धमाल (७) अंत; समाप्ति संप्लु १ आ० तणाई जर्बु (२) -साथे मळवू; एकळु थर्बु (जेम के पाणी) -प्रेरक० डुबाडी देवू; ताणी जq संभव संफेट पुं० बे गुस्से थयेलाओ वच्चेनी तकरारना प्रसंगनुं वर्णन संबद्ध वि० साथे बांधेलु (२)आसक्त (३)-नी साथे संबंधवाळू;-नुं संबंधी संबद्धम् अ० साथे साथे ज; भेगुंज (२) उपरांतमा [न० पाणी संबल पुं०, न० मुसाफरीनु भाथु(२) संबंध ९ प० साथे बांधवू; जोडq (२) बनावq; रचQ संबंध वि० शक्तिशाळी, समर्थ (२) योग्य; खरं; उचित (३)पुं० मिलन; संयोग (४) संसर्ग; नातो (५) लग्नसंबंध (६) मैत्री; स्नेह (७) योग्यता; लायकात (८) सफळता; समृद्धि (९)संबंधी; सगो संबंधक वि० संबंध धरावतुं; संबंधी (२) योग्य; लायक (३)पुं० मित्र (४)जन्म के लग्नथी संबंधी एवो ते (५) न. संबंध; सगपण संबंधिन् वि० संबंध धरावतुं; संबंधी (२)-नी साथे जोडायेलुं (३) पुं० लग्नथी बनेलो सगो (४) स्वजन संबाप १ आ० पीडवू; त्रास आपवो (२) ईजा करवी (३)भीड करवी (४) दबावq; संकोचवू संबाध वि० -थी भीडवाळू बनेलं (२) पुं० भीड (३) दबावq-मारवं-ईजा करवी ते (४)डखल; रुकावट; विघ्न संबुद्ध वि० सारी रीते समजेलं (२) ___ डाहमु; विद्वान (३)पूरेपूरुं जागेलं संबुद्धि स्त्री० पूर्ण ज्ञान के समज (२) संपूर्ण जागृति (३) संबोधन; नाम संबुध् १ उ०, ४ आ० जाणवू; समजवू (२) जोवू; निहाळवू (३) जागवू; ऊंघमांथी ऊठवू संबोधन न० समजावq ते (२) संबोधq ते (३)नाम (जेनाथी संबोधाय) संभव पुं० जन्म; उत्पत्ति; पेदा थq ते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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