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________________ संनिबद्ध संनिबद्ध वि० जोडायेलं; वळगेलं (२) गोठवेलं; -ने माटे तैयार करेलु संनिभ वि० सदृश; समान (समासने अंते) संनिभृत वि० ढंकायेलं; पुं संनियुज् ७ आ० जुओ 'नियुज्' संनिरुद्ध वि० रोकवामां आवेलुं (२) भरी काढेलं; व्याप्त संनिरुष ७ उ० जुओ 'निरुध्' संनिविश ६ आ० प्रवेश करवो; ऊंडे पेसवु (२) पडाव नाखवो (३) गाढ संबंध करवो; संभोग करवो -प्रेरक० नीम; मूकवू संनिविष्ट वि० प्रवेशेलं (२) भेगुं थयेलु (३)-मां ओतप्रोत थयेलुं (४) नजीकनु (५)पडाव नाख्यो होय तेवू संनिवृत् १ आ० पाछा फरवू (२) विरमवू; अटकवू [रागमन संनिवृत्ति स्त्री० पार्छ फरवू ते; पुनसंनिवेश पुं० ऊंडा ऊतरवू ते; लगनी (२) समुदाय; मंडळ (३) गोठवणी; जोडाण (४) स्थळ; स्थान; स्थिति (५) सामीप्य (६) आकृति; बांधो; घडतर (७) झुपडी; रहेठाण (८) योग्य जगाए बेसाडवू ते (९) पडाव; छावणी संनिवेशन न० निवास; पडाव संनिसर्ग पुं० भलापणुं संनिहित वि० पासे पडेलु नजीक मूकेलं (२) नजीकनुं (३) हाजर; मोजूद (४) तैयार (५) थापण तरीके मूकेलं निजीकमां ज होय तेवू संनिहितापाय वि० नाशवंत (२) नाश संनी १ उ० भेगुं लाव, (२) शासन करवू; दोरवु (३) पाछु आपq - वाळवू (४) -तरफ लई जर्बु (५) जोडq - भेगुं करवू; (६) गोठवQ (७) मेळवQ (८) परिपूर्ण करवू संन्यस् ४ उ० मूकवू; थापण तरीके संपन्न मूकवू (२) बाजुए मूकवू; तजी देवं (३) सोंपवू (४) संन्यास लेवो संन्यसन न० छोडी देवं-तजी देवं ते (२)संन्यास (३) ने सोंपवं ते । संन्यस्त वि० नीचे मूकी दीधेलु (२) सोंपेलं (३)तजी दीधेलं संन्यास पुं० त्याग करवो ते (२)संसारव्यवहारनो त्याग (३) संन्यासाश्रम (४)थापण; सोंपणी संन्यासिन पुं० तजी देनारो (२)संन्यास लेनारो (३) थापण मूकनारो (४) आहारनो त्याग करनारो संपत् १५० भेगा मळवू-थर्बु (२)हुमलो करवो (३)बनवू; थq ___ -प्रेरक० नजीक लाववू; भेगुं करवं (२) नीचे फेंकवं संपत्ति स्त्री० समृद्धि (२) सफळता; सिद्धि (३) पूर्णता; श्रेष्ठता (४) विपुलता (५) अनुकूळ स्थिति संपद् आ० सफळ थq; आबाद थवं (२) पूरी संख्या थवी (३) थq; बनवू (४) उत्पन्न थर्बु (५) भेगा मळवू - थर्बु (६)युक्त थवं; -वाळा बनवं __-प्रेरक० थाय तेम करवू;निपजाववं; सिद्ध करवू (२)मेळवq (३) अर्प; -वाळू करवं संपद स्त्री० धन; संपत्ति (२)समृद्धि; आबादी (३)सद्भाग्य; सुख (४) सफळता; सिद्धि (५) पूर्णता; उत्तमता (६)विपुलता; पुष्कळ होवापणुं संपवर पुं० राजा [एकनुं नाम संपद्वसु पुं० सूर्यनां मुख्य किरणमांना संपविनिमय पुं० एकबीजाना लाभ के सेवानो अदलोबदलो संपन्न वि० समृद्ध; आबाद (२) सुखी; नसीबदार (३) वैभवशाळी (४) पूर्ण; सिद्ध (५) युक्त; सहित (६) बनेलं; थयेलु (७)पुं० शिव (८)न० समृद्धि दोलत (९)सारी वानी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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