SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 549
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ संदष्ट दृश्य; देखाव; नजर (३) प्रयोग; उपयोग (४) देखाडवं ते संरष्ट वि० दशायेखें; करडायेलं (२) छूदायलं; कचरायेलं संदह, १५० बाळ संदंश १५० [संदशति ) डसवू; करडवं (२) वळगी रहेवं; चीपकी रहेवू (३) दाबवू; कचर संदंश पुं० साणशी; चीपियो- चीमटो संबंशक पुं०, संवंशिका स्त्री० साणशी; चीपियो; पकड संदंशित वि० बख्तरं पहेरेलं . संदान पं० घंटण नीचेनो हाथीनो ते भाग ज्यां सांकळ बंधाय छे (२) न० दोरडु (३) सांकळ (४) ज्यांथी मद झरे छे ते लमणा आगळY स्थळ संदानक न० कबूतरनो माळो संदानित वि० बांधेलं; जकडेलु संदिग्ध ('संदिह,' नुं भू० कृ०) वि० लेपायेलु;खरडायेलु (२) अनिश्चित; शंकाशील (३)-तरीके भूलथी मानी लीधेलु (४) जोखम भरेलु (५) न० अनिश्चतता (६) लेपवू ते संदिग्धफल वि० झेर पायेलां बाणवाळं संदिग्धीकृत वि० -'ए हशे के शं' एवो संदेह पडे एवा देखाववाळं करेलु संक्ति वि० बांधेलं; जकडेलु संदिश ६ प० आपq (२) सूचना आप वी; सलाह आपवी; संदेशो मोकलवो (३) दूत तरीके संदेशो लई मोकलवू (४) नियुक्त करवू संदिह. २ उ० चोपडवू; खरडq (२) ढगलो करवो (३) शंकाशील होवू (४) भूलथी (बीजा तरीके) मानवू संदिहान वि० संशययुक्त संदीप ४ आ० सळगq; प्रकाशवं - प्रेरक० सळगावq (२) उश्केर संदीपन वि० सळगावनाएं; उद्दीपित संधि करनारं; उश्केरनारु (२) न० सळगाव - उद्दीप्त करवू ते संदुष ४ प० दूषित- कलंकित थवं -प्रेरक० दूषित - कलंकित- भ्रष्ट करवु (२) आक्षेप - आरोप मूकवो संदृब्ध वि० गूंथायेलं; परोवायेखें संदर्भ ६ प० गूंथq; बांधवृं; परोवq संवृश १ प० जोवू; निहाळवू (२) विचारवं; तपास -प्रेरक० देखाडवू; बताव, संदेश पुं० कहेण; समाचार; खबर (२) संदेशो (३) आज्ञा संदेशक न० समाचार; खबर संदेशहर, संदेशहारक पुं० दूत; संदेश वाहक (२) एलची संदेशार्थ पुं० संदेशा तरीके कहेवराव वानुं ते; संदेशो संदेह पुं० शंका; वहेम (२) जोखम संदेहपद वि० शंकायुक्त संदोह पुं० दोहवू ते (२) समूह; समुदाय; कोई पण वस्तुनुं समूचुं ते संद्राव पुं० पलायन; पीछेहठ (२) झडप ; वेग संघा ३ उ० जोडवू; भेगुं करवू; मिश्रण करवू(२)संधि-मैत्री-सुलेह करवी (३)सांधवं; ताक, (४) उत्पन्न करवू (५) पूरा पडवू; बरोबरिया नीवडवू (६) आचरवू; करवं संधा स्त्री० जोडाण ; संबंध (२) संधि; करार (३) सीमा; हद । संधान न० संबंध; जोडाण (२) मिश्रण (३) ताकवू ते; सांधवू ते (४) मैत्री; सुलेह; संधि संधि स्त्री० जोडाण; संबंध (२) करार; समाधान (३) सुलेह; मैत्री (४) सांधो (शरीरनो) (५) गडी (कपडानी) (६) बाकुं; खातर (भीतमा चोरे पाडेलु) (७) बे मोटा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy