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________________ सगुण ५१२ सत्त्रा सगुण वि० गुणवाळू (२) सद्गुणी डुक्करना वाळ (४) वाळनी लट (३) पणछवाळू (धनुष्य) (५) कलगी (६) छटा; प्रभा सगोत्र वि० एक ज गोत्र-कुटुंबY (२) सत् वि० अस्तित्ववाळु; हयात (२) पुं० समान वडवामाथी आवेलो सगो साचुं; खरं (३) सद्गुणी; पवित्र (४) (३) न० कुटुंब उच्च (कुळ) (५) उचित; योग्य (६) सचकित वि० बीधेलं; छळेलु उत्तम; श्रेष्ठ (७) माननीय ; आदरणीय सचकितम् अ० छळयु - बीन्युं होय तेम (८)डायुं विद्वान (९) सुंदर; मनोहर सचराचर वि० पूरेपूरूं; तमाम (२) (१०) स्थिर; दृढ़ (११) पुं० सज्जन न० आलुं विश्व (१२) न० अस्तित्वमा होय ते(१३) सचित्र वि० रंगेलं; चित्रविचित्र साचुं- खरं - तात्त्विक एवं ते (१४) सचिव पुं० मित्र; साथी (२)वजीर; परब्रह्म ; परम तत्त्व (१५) मूळ कारण प्रधान; सलाहकार सतत वि० हमेशां-कायम होय तेवू;चालु सचेतस् वि० बुद्धिमान (२) लागणी- सततग, सततगति पुं० पवन वाळू (३) होश के भानमां आवेलु सततदुर्गत वि० हमेशां दुःखी सच्चरित (-त्र) वि० सारां आचरण- सततम् अ० हमेशां; कायम वाळं; सदाचारी (२) न० सारुं सततयुक्त वि० सतत तन्मय रहेतुं आचरण (३)सारा पुरुषोना चरित्रनुं सतत्त्व न० स्वभाव (२) स्वरूप वृत्तांत के तेनो इतिहास सती स्त्री० सदाचारिणी-पतिव्रता स्त्री सच्चिदानंद पुं० (सत्, चित् अने आनंद (खास करीने पति पाछळ जे सहगमन स्वरूपवाळं) परब्रह्म करे छे ते) (२) दुर्गा ; पार्वती सजल वि० भी®; पाणीवाळं सतीर्थ, सतीर्थ्य पुं० गुरुभाई; एक ज सजुष (-स्) वि० आसक्त; प्रेमाळ (२) गुरुनो शिष्य सोबती; साथी सत्करण न० उत्तरक्रिया; अग्निदाह सज्ज वि० सुसज्ज; तैयार; सुसज्जित सत्कार पुं० आतिथ्य (२)आदर;संमान (कपडां के हथियार इ० थी) (२) सत्कुल न० उत्तम कुळ पणछ उपर चडावेलु सत्कृ ८ उ० सत्कार करवो सज्जन (सत् + जन) वि० सदाचारी; सत्कृत वि० सारी रीते करेलु (२) माननीय (२)पुं० सदाचारी माणस । आतिथ्य-सत्कार करेलु (३) आदर सज्जित वि० (कपडां-घरेणां आदि करेलु पूजित (४)स्वागत करेलु (५) पहेरीने) तैयार थयेलं (२) सजा- न० आतिथ्य (६) आदर वेलं; तैयार करेलु (३) हथियारबंध सक्रिया स्त्री० सत्कर्म; पुण्य के पवित्र (४) आसक्त कर्म; सदाचार (२) आतिथ्यसत्कार सज्जीकृ ८ उ० सज्ज करवू; तैयार करवं (३) शणगार, ते (२) शणगार (३) पणछ चडाववी सत्तम वि० अत्युत्तम; श्रेष्ठ सज्य वि० पणछवाळू (२) पणछ सत्ता स्त्री अस्तित्व ; होवापणुं; हयाती चडावेलु (२)सारापणुं; उत्तमता सट न०, सटा स्त्री० तापसनी जटा सत्र न० जुओ 'सत्र' (२) (सिंहनी) केशवाळी (३) सत्ता अ० साथे; सहित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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