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________________ व्याघात ४८७ व्यायतत्व व्याघात पुं० प्रहार करवो ते (२)अफाळवं ते (३) विघ्न (४) विरोध (५) भंग; उल्लंघन (६)पराजय व्याधुणित वि० अमळा; पहुं पडु थतुं व्याघ्र पुं० वाघ (२) उत्तम (समासमां; जेमके 'पुरुषव्याघ्र') व्याघ्री स्त्री० वाघण व्याज पुं० कपट (२)बहान (३) करामत व्याजगुरु पुं० देखाव मात्रमा गुरु एवो ते व्याजपूर्व वि० -ना मात्र देखाववाळू व्याजस्तुति स्त्री० देखीती स्तुति मार फते निंदा; एक अलंकार (काव्य) व्याजिह्म वि० वांकु (२) मेलु थयेखें। व्याड पुं० हिंसक पशु (२) ठग (३) इंद्र व्यात्त (व्यादा'- भू० कृ०)वि० पहोळु; खुल्लं करेलु [वानी रमत व्यात्युक्षी स्त्री० सामसामे पाणी उछाळव्यादा ३ उ० उघाडवू; पहोळं करवू व्यादान न० उघाडवू ते ; पहोळं करवू ते व्यादिश ६ प० आदेश आपवो (२) नीमq (पद उपर) (३) उपदेशवु (४) भाखवू (भविष्य) व्याध पुं० पारधी (२) दुष्ट ; दुर्जन व्याधंव्याधम् अ० वींधी वींधीने व्याधि पुं० रोग; बीमारी व्याधित वि० बीमार; मांदु व्याधूत वि० हलावेलु; कंपतुं व्यान पुं० शरीरमांना पांच प्राणमांनो एक (आखा शरीरमा व्यापीने रहे छे) व्याप ५५० भरी काढवू; व्यापवु (२) -सुधी पहोंचवू _राधी पहोंचव व्यापक वि० व्यापनारुं; फेलायेलं व्यापत्ति स्त्री० आपत्ति ; कमनसीब ; वरबादी (२) मृत्यु व्यापद् ४ आ० नाश पामवं ; मरी जq -प्रेरक० मारी नाखवू (२) हानि पहोंचाडवी व्यापद् स्त्री० संकट ; विपत्ति व्यापन न० व्यापवं - फेलावू ते व्यापन्न वि० विपत्तिमां आवी पडेलु (२) निष्फळ गयेलु (३) ईजा पामेल (४) मृत (५) नष्ट; भ्रष्ट ; अभक्ष्य व्यापादन न० हणq ते (२)नाश व्यापादित वि० हणेलं; मारी नाखेलं (२)ईजा पामेलं व्यापार पुं० धंधो; वेपार (२)वापरतुं - काममां लेवं ते (३)प्रवृत्ति; कार्य; असर (४) प्रयत्न; उद्यम (५) माथु मारवं ते (६) -उपर मूकवू ते । व्यापारित वि० निमायेलं; कामे लागेलं व्याप ६ आ० व्याप्रियते -मां रोकावू; -ना कामे लागवू (२) कोई पदे निमार्बु -प्रेरक०-नीमवं; कामे लगाडq (२) मूकवू; स्थिर करवं; नाखवू; प्रेरवं (३)वापर; उपयोगमा लेवं व्यापृत वि० काममा लागेलुं - रोकायेलं (२) मूकेलं; प्रेरेलु; स्थिर करेलु व्यापृति स्त्री० कामकाज; धंधो (२) कार्य; प्रवृत्ति (३) उद्यम व्याप्त. वि० व्यापेल; विस्तरेलु (२) --थी पूर्ण (३) मेळवेलु व्याप्ति स्त्री० व्यापq ते (२) नित्य साहचर्य (साध्य अने साधन-; न्याय०) व्याम पुं०, व्यामन न० वाम(हाथ पहोळा करता थतुं अंतर) व्यामिश्र वि० मिश्रित (२)विविध (३) संदिग्ध (४)व्यग्र व्यामिश्रक न० प्राकृत वगेरे मिश्र भाषाओवाळं नाटक इ. व्यामोह पुं० मोह (२) मूझवण व्याय पुं० बाण छोडतां पहेलां धनुष्य खेंचवानी रीत व्यायत वि० लांबु; दीर्घ (२) विस्तृत (३) काममां रोकायेलं (४) दृढ (५) तीव्र ; गाढ (६) बळवान (७) ऊंडु व्यायतत्व न० स्नायुओनो विकासमजबूताई Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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