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________________ ४८५ व्यसन ध्यवच्छेद पाडवू; चीरी नाखवू (२) निश्चित कर (३) जुहूं तारव व्यवच्छेद पुं० कापी नाखवू - चीरी नाखवू ते (२) जुदुं - छूटुं पाडवू ते (३) निर्णय (४) नाश (५) प्रकरण व्यवदान न० शुद्धि व्यवधा ३ उ० वच्चे - आडे मूकवू (२) छुपावq; ढांक; (३) छूटुं पाडवू व्यवधान न० आड; पडदो; ढांकण व्यवधि पुं० व्यवधान ; आड; पडदो व्यवसाय पं० उद्योग; उद्यम (२) निश्चय; निर्णय (३) अनुष्ठान; कार्य (४) धंधो; व्यापार (५) व्यवहार; आचरण (६)युक्ति व्यवसायिन् वि० उद्यमी (२) निश्चयी (३)आचरनारे; करनारं (४)धंधामां वळगेलं (५) पुं० वेपारी व्यवसित वि० प्रयत्न करनारु (२) माथे लीधेलु (३) निश्चय करेलु (४) न० निश्चय; निर्णय (५) युक्ति; करामत व्यवसिति स्त्री० निर्णय (२)प्रयास व्यवसो ४ प० प्रयास करवो (२)इच्छq (३) निश्चय करवो (४)माथे लेवू व्यवस्था १ आ० व्यवतिष्ठते] क्रमसर गोठवावं (२) अलग मुकावं (३) स्थिर थर्बु (४) - ना उपर अवलंबवू -प्रेरक० -नी उपर मूकवू; तरफ प्रेरवू (२) गोठवq (३) निश्चित करवू व्यवस्था स्त्री० गोठवणी (२) निश्चितपणु (३)स्थिरता (४) नियम; विधि; कानून (५) करार व्यवस्थान न० गोठवण ; बंदोबस्त (२) नियम; निर्णय (३) स्थिरता; दृढता (४) मर्यादा ; निश्चित हद व्यवस्थापित वि० गोठवेलं; निश्चित व्यवस्थित वि० क्रमसर गोठवेल (२) निश्चित ; नियत व्यवस्थिति स्त्री० जुओ व्यवस्थान' व्यवहार पुं० वर्ताव; आचरण (२) धंधो; कामकाज (३) वेपार (४) व्याजवटुं (५) रूढि; परंपरा (६) संबंध (७) अदालती तपास (८) फरियाद व्यवहारक पुं० वेपारी व्यवहारतंत्र न० रोजिंदा व्यवहारनी प्रक्रिया व्यवहारार्थिन् वि० फरियादी व्यवहारासन न० न्यायासन । व्यवहारिन् वि० वेपार-धंधो-कामकाज करतुं (२) फरियादी (३) रूढि प्रमाणे(४) पुं० वेपारी व्यवहित वि० दूर मूकेलं (२) (वच्चे आडथी) जुदुं पडेलु (३) विघ्नित (४) ढंकायेलं; छुपायेल (५) निकट संबंधवाळू नहि तेवू (६) करायेल (७) दूरव्यवह १५० व्यवहार-धंधो-कामकाज - करवां (२)अदालतमां फरियाद करवी व्यवहृति स्त्री० प्रक्रिया; व्यवहार; आचरण (२) वेपार; धंधो व्यवाय पुं० पृथक्करण; घटक छूटा पाडवा ते (२) ढांक - छुपावq ते (३) विघ्न (४) ऊंडा पेस, ते (५) मैथुन ; संभोग व्यश् ५ आ० भरी काढवू; व्यापवू व्यष्टि स्त्री० समष्टिनो प्रत्येक अंश के व्यक्ति व्यस् ४ प० उछाळवू; विखेरवू; दूर फेंकवं (२) नाश करवो (३) भाग पाडवा; गोठवq (४) ऊंधुं वाळवं (५) हांकी काढवु; दूर करवू व्यसन न० दूर फेंकवं ते; दूर करवं ते (२)जुपाडवं ते (३) उल्लंघन; भंग (४) नाश; पराजय; पडती (५)नबळी बाजु (६) आफत; जोखम; संकट'; दुःख (७) आथमवू ते (सूर्य इ० नुं) (८) कुटेव (९) खूब मंडवं ते (१०) टेव; लत पित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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