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________________ व्यतिक्रम ४८३ व्यपत्रपा व्यतिक्रम पुं० उल्लंघन (२) लोप (३.) उत्पात (२) ज्योतिषमां अशुभ अनादर (४)ऊलटापणुं (५)दोप; पाप मनातो १७ मो योग व्यतिक्षेप पं० झघडो; टंटो . व्यतीहार पुं० जुओ 'व्यतिहार' व्यतिचुंबित वि० संबद्ध ; स्पर्श व्यत्यय पुं० पसार थq ते (२)विरोध व्यतिपात पुं० जुओ 'व्यतीपात' (३) ऊलटापणुं (४) अदलाबदलो व्यतिय २ ५० भेळवq; मिश्रित करवू व्यत्यस् २ आ० व्यतिहे, व्यतिसे, व्यतिरिक्त वि० छूटुं; जुएं; भिन्न (२) व्यतिस्ते] चडियाता थq (२) ४ उ. चडियातुं चडियाता होवू [व्यत्यस्यति -ते] ऊलटुं करवं . व्यतिरिच -कर्मणि० छूटा पडवू (२) व्यत्यस्त वि० ऊलटुं करेल (२) व्यतिरेक पुं० भिन्नता; भेद । (२) विरुद्ध (३) असंबद्ध (४) चोकडी अलगपणुं (३) उत्तमता; श्रेष्ठता पडे तेम गोठवेलुं (हाथ, पग इ०) (४) अमुक एक वस्तु न होय तो व्यत्यास पुं० ऊलटो क्रम (२) विरोध बीजी अमुक पण न होय एवो (३) अदलोबदलो करवो ते संबंध के नियम (न्याय०) (५) एक व्यर्थ १ आ० व्यथा पामवी; दुःखी थर्बु अर्थालंकार, जेमा उपमेयने उपमान (२) क्षुब्ध थर्बु करतां श्रेष्ठ बताव्युं होय (काव्य०) व्यथक वि० व्यथा करनारं व्यतिरेकिन वि० जुदं; भिन्न (२) व्यथन वि० भारे व्यथा करनारु चडियातु; उत्तम (३) बाद करतुं व्यथा स्त्री० दुःख ; पीडा (२) डर; व्यतिविद्ध वि० वीटळायेखें (२) बीक (३)क्षोभ ; मूझवण । वींधायेलं व्यथित ('व्यथ् ' नुं भू० कृ०) व्यथाव्यतिषक्त वि० अरसपरस जोडायेलं पामेलं; पीडित (२) भय पामेलं; - संबद्ध (२) मिश्रित गभरायेलं व्यतिषंग पुं० परस्पर संबंध (२) व्यध् ४ प० [विध्यते वींधवं (२)आरपार एकबीजामा जोडावू- अटवावं - गूंच- भोंकवु (३) फरकावq (विजयमां) वायूँ ते (३) शत्रुवटथी सामनो - व्यध पुं० वींधवू ते . अथडामण (४) विनिमय व्यधिक्षेप पुं० गाळ भांडवी ते व्यतिषंज १५० व्यतिषजति साथे व्यपकृष् १५० खेंची जQ (२) अवळे जोडवू; संबंधमां लावq (२) संडोवर्बु मार्ग लई जg (रमतमां) व्यपगत वि० चाल्यं गयेलं; लुप्त व्यतिषंजन न० एकवीजाने जोडवं ते थयेलु (२) - मांथी पडी गयेलु; व्यतिहार पुं० विनिमय; अदलोवदलो दिनानुं वनेलं व्यतिहत वि० विरहित । व्यपगम् १ प० व्यपगच्छति दूर जवं व्यती २ प० ओळंगवू; उल्लंघन करवू खसी जर्बु(२) अदृश्य थर्बु; लुप्त थQ (२) व्यतीत थर्बु (समय) (३) व्यपगम पुं० दूर थर्बु ते; लुप्त थर्बु ते पाछळ मूकवं; आगळ जवू ... व्यपत्रप १ आ० शरमथी मों फेरवी व्यतीत वि० पसार थयेलं; बीती गयेलं ले, (२) शरमिंदा थ, . (२) मृत (३) तजेलं व्यपत्रप वि० निर्लज्ज ; वेशरम व्यतीपात पुं० अनिष्टसूचक चिह्न; व्यपत्रपा स्त्री० शरमिंदगी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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