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________________ विश विश -कर्मणि विशीर्यते शीर्ण थई जवू; टुकडे टुकडा थई जर्बु (२)क्षीण थई जq; करमा (३) लुप्त थई जवू विशेष वि० खास (२)पुष्कळ (३)पुं० जुदुंतारवq ते (४)तफावत; भेद (५) खास विशिष्टता; खास लक्षण (६) मांदगीमां सुधारो (७) अवयव (८) एक प्रकार; एक जात (समासने अंते; उदा० 'वृक्षविशेषः') (९) उत्तम ; श्रेष्ठ (समासने अंते; उदा. 'अतिथिविशेषः') विशेषक वि० जुदुं पाडनाएं (२)मर्यादित करनारं (३)पुं०, न० विशेष लक्षण, चिह्न के गुण (४) केसर-चंदन वगेरेथी करेलं तिलक (५)सुगंधी द्रव्योथी मों अने शरीर उपर चित्ररेखाओ करवी ते (६) न० श्लोकनी त्रण कडीओनो समुदाय (जेमां व्याकरणनी रीते एक ज वाक्य थतुं होय छे) विशेषकरण न० सुधारो विशेषज्ञ वि० विद्वान ; डाहयु(२)कदर दान; परख करनारं विशेषण वि० विशेष बतावनाएं; जुएं पाडनाएं (२) न० तफावत; भेद; विशिष्ट लक्षण (३) विशेष्यनो गुण बतावनार शब्द (व्या०) (४) -चडियाता थर्बु ते । विशेषणपद न० खिताब; इलकाब। विशेषतस् अ० खास करीने (२)-ना प्रमाणमां (३) व्यक्तिगत; जुदं जुएं विशेषविद् वि० जुओ विशेषज्ञ' विशेषित वि० जुदुं-अलग पडेलु (२) व्याख्या- मर्यादा करेलु(३)कोई गुण थी विशिष्ट (४)उत्तम ; श्रेष्ठ विशेष्य वि. विशिष्ट करवा योग्य (२) उत्तम ; श्रेष्ठ (३)न० विशेषणथी जेनो गुण बतावातो होय ते शब्द (व्या०) विशोक वि० शोक विना- (२) पुं० शोकरहित थर्बु ते (३)अशोकवृक्ष विश्रांतकथ विशोषन न० साफ करी नाखवू ते; निर्मूळ कर, ते (२) पाप, अपूर्णता वगेरे दूर करवां ते (३)प्रायश्चित्त विश्रण १० उ० आपी देवू विश्रब्ध ('वि+श्रंभ ' नुं भू० कृ०)वि० विश्वासु;-मां विश्वासवाळु (२)डर विनानु; खातरीवाळं (३) शांत; चिंतारहित (४)दृढ ; स्थिर विश्रब्धम् अ० विश्वासपूर्वक; खातरीपूर्वक हरीते ऊंघतुं विश्रब्धसुप्त वि० शांतिथी-निःशंक विनम् ४५० विश्रांति करवी; आराम करवो (२)अटक; थोभवू विश्रम, विश्रमण पुं० विसामो; विश्रांति विश्रवस् पुं० रावणनो पिता विश्रंभ १ आ० विश्वास मूकवो -प्रेरक० विश्वास ऊभो करवो; आश्वासन आप विश्रंभ पुं० खातरी; विश्वास (२) रहस्य; खानगी वात (३) विसामो; विश्रांति (४)प्रणयकलह विधभकथा स्त्री० खानगी के परिचितो वच्चेनी वातचीत [राखतुं विश्रंभप्रवण वि० विश्वासु; विश्वास विधभभूमि पुं० विश्वासपात्र माणस विधभालाप पुं० जुओ ‘विश्रंभकथा' विभिन् वि० विश्वास करतुं (२) विश्वासपात्र विश्राणन न० दान; बक्षिस विश्राणित (विश्रण' नुं भू० कृ०) वि० बक्षेलु; दानमां आपेलु विश्राम पुं० थोभq-अटक, ते (२) विसामो; आराम (३) शांति; स्वस्थता (४) विश्रांतिस्थान विश्राव पुं० ख्याति; प्रसिद्धि (२) अवाज; ध्वनि विश्रांत वि० थोभेलु; अटकेलं (२) विश्रांति पामेल (३)शांत; स्वस्थ विश्रांतकथ वि० गुं; चूप Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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