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________________ विपन्नदेह ४५७ विप्रकार विपनदेह वि० मत विपर्यास पुं० पलटो बदलो (२)अवळाविपरिक्रान्त वि. पराक्रमी; बहादुर पणुं; ऊलटापणु; प्रतिकूळ होवापणुं विपरिगा ३ प० ऊथली पडवू; ऊg (४) विनिमय (५) भ्रम ; भूल (६) पडवू (जेमके गार्ड) (समयनु) व्यतीत थर्बु ते विपरिणम् -प्रेरक -मां रूपांतर करवं विपल न० पळनो ६० मो के छठ्ठो -कर्मणि -मां परिणमवं; -मां भाग; समयनो अति सूक्ष्म अंश रूपांतर थर्बु (२) खोटं परिणाम के विपश्चित् वि० विद्वान; डाहयु; पंडित रूपांतर थवं (२) पुं० ज्ञानी माणस । विपरिवर्तनविद्या स्त्री० कोई माणस विपंचिका, विपंची स्त्री० वीणा (२) पाछो फरे ते माटेनी विद्या-मंत्र रमत; क्रीडा विपरिवत् १ आ० गोळ फरवू ; भमवं विपाक पुं० रांधवं ते (२)पचवू ते (३) (२) गबडवू (३) आम तेम भटकवू परिपक्व थर्बु ते (४) फळ ; परिणाम (४) घेरी वळवं (५) पलटो; बदलो (६) अणधारी विपरिश्रमता स्त्री० थाक न लागवो ते; __ आफत (७) करमावू-चीमळावू ते थाक न लाग्यो होय तेवी स्थिति विपाट पुं० एक प्रकारच् बाण विपरी (विपरि + इ) २ प० ऊलटी विपाटल वि० घणुंज रातुं नाखेलं दिशामां फरवू (२) निष्फळ जवू विपाटित वि० उखाडी काढेलं; फाडी (३) खराब परिणाम आवq (४) विपाठ पुं० एक जात- मोटु बाण गोळ फरवू; पाछा फरवू विपादन न० वध; नाश । विपरीत वि० ऊलटुं; अव©; ऊधु (२) विपाश, विपाशा स्त्री० पंजाबनी पांच विरुद्ध ; सामेनु (३) नियमथी ऊलटुं नदीओमांनी एक (आजनी बियास) (४) खोटुं; जूठं (५) प्रतिकूळ (६) विपांड, विपांडुर वि० पीळाश पडतुं अवळी रीते वर्तनाएं वर्तनारुं विपिन वि० गहन; गाढ (२)न० अरण्य; विपरीतकारक वि० अवळं -प्रतिकूळ झाडी (३) समूह; जथो विपरीतता स्त्री०, विपरीतत्व न० विपिनौकस् पुं० वांदरुं अवळापणुं; ऊलटापणुं; विरोध विपुरुष वि० निर्जन; खाली विपर्यय वि० ऊलटुं; अवळू (२) पुं० विपुल वि० मोटु; विशाळ (२) घj; विरुद्धपणु; अलटापणुं ; अवळापणु (३) पुष्कळ (३) गाढ ; ऊंडु (४)रोमांचपलटो; बदलो (४) अभाव; रहितपणुं युक्त (५) पुं० मेरु (६) हिमालय (६) विनाश (७) विनिमय (८)भ्रम; विपुष्ट वि० पूरुं पोषण न पामेल भूल(९)दुर्भाग्य(१०)शत्रुता (११)प्रलय विपुंसक वि० नपुंसक; नामर्द घास विपर्यस् ४ प० उलटाववु; अवळं करवं; विपूय वि० पवित्र करनाएं (२) न० मुंज ऊंधु करवं (२)पलटाव बदलवू (३) विप्र पुं० ब्राह्मण (२) ऋषि; डाह्यो खोटुं समजवू (४) विपरीत थ; माणस (३) अश्वत्थ वृक्ष बदलावं विप्रकर्ष पुं० अंतर; दूरपणुं (२)तफावत विपर्यस्त वि० पलटायेलं; ऊधु -अवळ (३) खेंची जवू के हरण करी जq ते करेलु (२) विरुद्ध; ऊलटुं (३) खोटी विप्रकार पुं० अपमान; अनादर (२) रीते साचं मानेलु [विपर्यय ___ अपकार; अपकृत्य (३) दुष्टता (४) विपर्याय पुं० अवळापणुं; ऊलटापणुं; विरोध ; सामनो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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