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________________ विनिमय विनिमय ० लेवड-देवड ; अदलो-बदलो विनिमेष पुं० (आंखनो)पलकारो (२) इशारो विनियत वि० काबमां लीधेल के राखेखें (२) मर्यादित; प्रमाणसर एवं विनियम् १५० [विनियच्छति काबूमां लेव (२) मर्यादित कर विनियुज ७ आ० वापरवं; उपयोगमा लेवू (२) नीमवू (३) वहेंचq; भाग पाडवा (४) छूटुं- जुदं करवू (५) छोडQ (बाण) -प्रेरक नीम ; योजवं (२) हुकम करवो (३) अर्पQ (४) उपयोग के अमल करवो विनियोक्त वि० नीमनारुं ; योजनाएं । विनियोग पुं० जुदं पाडवू ते (२) तजवू ते (३) उपयोग करवो ते; उपयोगमां लेवं ते (४) निमणूक (५) विघ्न विनिर्गम् १ प० [विनिर्गच्छति ] बहार जq (२) अदृश्य थq; देखाता बंध थर्बु (३) चाल्या जवं; विदाय थर्बु (४) -मांथी छूटवू थर्बु ते विनिर्गम पुं० अदृश्य थq ते (२)विदाय विनिर्जय पुं० विजय; फतेह विनिजि १ प० जीतवं; ताबे करवं। विनिर्णय पुं० पूरेपूरो निर्णय-निश्चय (२) खातरी (३) निश्चित नियम विनिर्मित वि० -न बनावेलु (२) रचेलं; सर्जेलु (३) निर्माण थयेलं विनिर्वत् १ आ० बंध पडवू; अटकवू; समाप्त थq (२) सिद्ध थq; पूरुं थq (३) न बनवू के थवू -प्रेरक० सिद्ध करवं; पूरुं करवू विनिर्वत्त वि० बहार नीकळेलु; प्रगट थयेलं (२) कृतकृत्य ; पूर्ण; सिद्ध विनिविद् २ प० जणाव; कहेवू (२) पोतानी जातने जाहेर करवी (३) दर्शाव; देखाडवू (४) अर्प विनी विनिविश् ६५० -मां बेसवं;-मां मुकावू - प्रेरक० मूकवू; स्थापq (२) वसाहत करवी (३) दाखल करवू विनिव १० उ० (के प्रेरक०) निवा र; रोक, (२) मना करवी विनिवृत् १ आ० पाछा फरवू (२) थोभवू; समाप्त थर्बु (३)-थी विमुख थवू; -थी अटकवू -प्रेरक० अटकावq; बंध करवु (२) रोक (३) त्याग विनिवृत्त वि० पार्छ फरेलु (२) अट केल; थोभेलं; विरमेलं विनिवृत्ति स्त्री० अटकावq, योभाववं के दूर करवू ते (२) समाप्ति विनिवेश पुं० प्रवेश के वसाहत करवी ते (२) छाप पडवी ते विनिश्चि ५ उ० निश्चय करवो विनिश्चितम् अ० चोकस; नक्की विनिष्पत् १ प० धसी जवू; ऊडी नीकळवू (२) नासी जq विनिहत वि० हणायेलं; घवायेलं; मरायेलु (२) तद्दन ताबे थयेलु (३) पुं० दैवी आपत्ति (४) दुश्चिह्न विनिहतात्मन् पुं० जेना आत्मा नाश पाम्यो होय तेवू [निमायेलं विनिहित वि० मुकायेलं; मूकेलु (२) विनिहितदृष्टि वि० उपर दृष्टि स्थिर करी होय तेवू; उत्कंठापूर्वक जोतुं विनिहितमनस् वि० -मां लागेल विनिह्नत वि० ना पाडेलं; इन्कारेलं (२) छुपावेलं; संताडेलं विनी १ उ० दूर करवं; नाश करवं (२) शीखवQ; तालीम आपवी (३) ताबे करवं; वश कर (४) शांत पाडवू; (गुस्सो; आ०) (५) व्यतीत करवू (समय) (६) खर्चवू; वापर (आ..) (७) आपी देवं (खंडणी तरीके; आ०) (८) दोरी जवं; लई जq (९) प्रेरवू; हुकम करवो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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