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________________ अभिक्रम काम्यति भटकQ (३) हुमलो करवो (४) आरंभ; तैयारी करवी अभिक्रम पुं० आरंभ (२) नजीक जq ते (३) हुमलो; आक्रमण (४) उपर चडवू ते (५) आरंभेलु - माथे लीधेलं ते अभिक्रुश् १५० बूम पाडवी (२)विलाप करवो; शोक करवो (३) ठपको आपवानी रीते कहेवू अभिक्रोश पुं० बोलावयु - वूम पाडवी ते (२) विलाप करवो ते (३) निंदा करवी ते चिडियाता थवू अभिक्षिप् ६ प० सामे फेंकव (२)-थी अभिख्या स्त्री० शोभा; सौन्दर्य (२) कहे, ते; जाहेर करवू ते (३) बोलावq ते (४) नाम (५) शब्द ; पर्यायशब्द (६) कीर्ति (खोटा अर्थमा) अभिख्यात वि० प्रसिद्ध थयेलं अभिगम् १ प० । अभिगच्छति पासे जवू; मुलाकात लेवी (२)-नी पाछळ जवु (३) मळवू ; जडवू (४) संभोग करवो (५) माथे लेवू (६) समजवू अभिगम पुं०, अभिगमन न० पासे जवू ते (२) संभोग; सेवन अभिगम्य वि० पासे जवा योग्य (२) भय के संकोच विना पासे जई शकाय तेवू अभिगंत वि० संभोग करनारु (२) समजनाएं संभोग करनारं अभिगामिन् वि० पासे जनारु (२) अभिगीत वि० गीतमां गवायेखेंप्रशंसायेलु (२) सारी रीते गायेलु। अभिगुप्त वि० संरक्षायेलु (२) छुपावेलु अभिग्रह ९ उ० लेवं; स्वीकारव (२) झूटवी लेवु(३)जोडवू (हाथ)(४)धारण करवू; प्रगट करवू (फूल, फळ इ०) अभिग्रह पुं० लई लेवु - लूटी लेबु ते (२) हुमलो (३) युद्धन आह्वान (४) फरियाद (५) सत्ता; वजन अभिघात पुं० प्रहार करवो ते (२) अभितराम् सामो प्रहार करवो ते (३) मारी नाखवू - नाश करवो ते अभिचर १५० बेवफा नीवडवं ; कोई प्रत्ये खोटी रीते वर्तवू (२) मेला काम माटे मंत्रनो प्रयोग करवो अभिचरण न०, अभिचार पुं० मेला काम माटे मंत्रप्रयोग करवो ते अभिजन् ४ आ. अभिजायते| उत्पन्न थq; जन्मवू (२) फरी उत्पन्न थर्बु (३) वारसदार तरीके जन्मवू (४) बनी जवू; -मां रूपांतर थर्बु अभिजन पु० वंश; कूळ (२) उत्पत्ति; जन्म (३) उच्च कुळमां जन्म, ते (४) पूर्वज (५) कुळनो मुख्य माणस (६) जन्मस्थळ (७) कीर्ति ; यश अभिजात वि० उत्पन्न थयेलु; जन्मेलं (२)-ना हकदार तरीके जन्मेल (३) -ने परिणामे जन्मेलु (४) उच्च कुळमां जन्मलं; कुलीन (५) प्रिय ; अनुकूळ (६) मनोहर (७) योग्य; लायक (८) पंडित (९) न० ऊंचा कुळमां जन्म ; कुलीनता (१०) जातकर्म अभिजित् वि० पूरेपूरो विजय मेळवनाएं (२) विजय मेळववामां मदद करनारु अभिजुष्ट वि० सेवायेलु निष्णात अभिज्ञ वि० जाणीतुं; अनुभवी (२) अभिज्ञा ९ उ० (अभिजानाति-जानीते ओळखवु; पिछानवू (२) जाणवू समजवू ; परिचित होवू (३) गणव; मानवु (४) कबूल राखवु(५) याद कर अभिज्ञा स्त्री० ओळखाण; स्मरण; स्मृति (२) एक सिद्धि (मनगमतुं रूप धरवं, दूरथी सांभळवू - जोवु - विचार जाणवा इ०नी) अभिज्ञान न० ओळखाण; स्मरण (२) याददास्त माटे चिह्न अभितप्त वि० तपेलु (२) दुःखी थयेल अभितराम् अ० नजीक; पासे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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