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________________ युज (७) सज्ज करवू (८) आप ; बक्षq (९)१५०, १० उ० जोडQ (१०) ४ आ० मनने एकाग्र करवू (११) १० आ० निंदवं यज वि० (समासने छेडे)-थी जोडायेलं: -थी खेंचातुं (२) युक्त; सहित; -वाळू (३) बेकी संख्यान युत ('यु' नुं भू० कृ०) वि० जोडेखें; जोडायेलं (२) युक्त; -वार्छ; सहित (३) बांधेलु ; लागेलुं (४) छूटुं पाडेलु के पडेलु (५) न० चार हाथनुं माप युतक वि० जोडेलं; जोडायेलु (२) न० जोडु (३) मित्रता; संबंध (४) स्त्रीओनो एक पोशाक (५) स्त्रीना वस्त्रनो छेडो - अंचळ (६)लग्ननी भेट युति स्त्री० जोडाण; संबंध (२) सहित होवू ते (३) सरवाळो युद्ध (युध् ' तुं भू० कृ०) वि० लडाई करेलु (२) हरावेलु (३) न० लडाई युद्धक न० युद्ध; लडाई युद्धधूत न० युद्धरूपी सट्टो युद्धावहारिक न० लडाईमा मेळवेली लूट युध् ४ आ० लडाई करवी; युद्ध करवू (२) लडाईमां हराव, युध् स्त्री० युद्ध (२) पुं० योद्धो; वीर युधिष्ठिर पुं० पांच पांडवोमां सौथी मोटो (कुंतीनो पुत्र) युयुत्सा स्त्री० लडवानी इच्छा युयुत्सु वि० लडवा इच्छतुं ययुधान पुं० सात्यकि युवक पुं० जुवानियो युवजानि पुं० जेनी पत्नी युवान छे ते यवति (-ती) स्त्री० तरुण स्त्री के मादा युदन् वि० जुवान उमरखें (२) मजबूत; 'नीरोगी (३) उत्तम (४)पु० जुवानियो (५) ६० वर्षनी उमरनो हाथी युवराज पुं० पाटवी कुंवर युष्मद् स ना० (बीजो पुरुष सर्वनामनुं मूळ पद) तुं; तमे युष्मदर्थम् अ० तमारे माटे युष्मदीय वि० तमारं;तमारी मालकीन (२) पं० तमारो देशबंध युष्मादृश (-श) वि० तमारा जेवू {जान वि० जोडतुं (२) योग्य (३) सफळ ; समृद्ध (४) पुं० सारथि (५) योगी (६) ब्राह्मण (योगसाधक) यूक पुं०, यूका स्त्री० जू यकालिक्ष न ज अने लीख (२) लीखना जेटलुं वजन के माप यूति स्त्री० संयोग; मेळाप यूथ न० टोळं; समुदाय [वांदरां) यूथचारिन् वि० टोळामां फरतं (जेम के यूथनाथ, यूथप, यूथपति पुं० टोळानो नायक (सामान्य रीते हाथीनो) यूथबंध पुं० टोळं; समुदाय यूथशः अ० टोळामां यूथिका, यूथी स्त्री० जूई यूथ्य वि० (समासने छेडे) टोळामांन ; -ना टोळानुं (२)टोळानुं अग्रेसर एवं यूथ्या स्त्री० टोळं यूप पुं०यज्ञ माटेनो स्तंभ(ज्या बलिदानन पशु बंधाय छे) [ कपड़ यूपद्विप पुं० यज्ञस्तंभनी आसपास वींटात यूष, यूषन् पुं०, न० मग वगेरेनो उकाळो-ओसामण ('यूषन्'नां प्रथम पांच रूप नथी; 'यूष'ना द्वि०ब०थी तेनुं रूप विकल्पे जोडाय छे.) येन अ० जेथी करीने ; जे कारणे योक्तव्य वि० जोडवा लायक (२) सोंपवा लायक (३) उपयोगमा लेव योग्य (४) (सजा) फरमाववा योग्य योक्त पं० झंसरीए जोडनारो (२)गार्ड हांकनारो (३) उश्केरनारो योक्त्र न० दोरडं (झूसरीनु); जोतर (२) नेतरूं योग पुं० जोडवू ते (२)जोडाण; संबंध (३)स्पर्श (४) उपयोगमा लेवू ते (५) साधन; रीत; पद्धति (६) परिणाम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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