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________________ - - अनेक अन्योन्यम् अनेक वि० एक नहि - बहु । अन्यतरेधुस् अ० बेमांथी कोई पण दिवसे अनेकगुण वि० घणा प्रकारनु ; विविध अन्यतस् अ० बीजा तरफथी; बीजी अनेकचित्त वि० अस्थिर मनवाळं बाजुएथी (२)बीजा कारणसर ; बीजा अनेकधा अ० अनेक प्रकारे हेतुथी (३) बीजी बाजु; ऊलटुं (४) अनेकरूप वि० घणा प्रकारच्(२)विविध बीजी नरफ रूपवाळं (३)अनिश्चित; अस्थिर मननुं अन्यत्र अ० बीजे ठेकाणे; बीजे प्रसंगे अनेकवचन न० द्विवचन अथवा बहु- (२) सिवाय (३) बीजा अर्थमा । वचन (व्या०) अन्यथा अ० बीजी रीते; जुदी रीते (२) अनेकशः अ० वारंवार (२ अनेक प्रकारे खोटी रीते (३) ऊलटुं (३) मोटी संख्यामा अन्यथाख्याति स्त्री० (होय तेनाथी) अनेकसाधारण वि० घणांनुं सहियारु अन्य रूपे ज्ञान थवं ते अनेकांत वि० अनिश्चित (२) अनेक अन्यथावृत्ति वि० बदलायेली वृत्तिवाळं बाजुवालु अन्यदा अ० बीजे वखते; बीजे प्रसंगे अनेकांतवाद पुं० वस्तुना अनेक पासां अन्यपुष्टा स्त्री० कोयल परत्वे जुदी जुदी रीते ज्ञान थाय छे - अन्यभृत् पुं० कागडो एवो जैन वाद अप्रस्तुत ; गौण अन्यभूता स्त्री० कोयल अनेकांतिक वि० अनिश्चित (२) अन्यमनस्, अन्यमनस्क, अन्यमानस वि० अनोकह पं० वृक्ष जेनु मन बीजे लागेलं छे तेवू; बेध्यान; अनौचित्य न० अनुचितता; अयोग्यता व्यग्र मनवाळू (२) अस्थिर मनवाळू अन्न न० (रांधेलु) अनाज – खोराक अन्यरूप वि० बीजं रूप लीधेलं; वेशअन्नकट पुं० रांधेला चोखानो ढग पलटो करेलु सहियाएं अन्नदोष पुं० निषिद्ध खोराक खावाथी अन्यसाधारण वि० बीजां घणांनु लागतुं पाप अन्यावृक्ष,अन्यादृश,अन्यादृश वि० बीजा अन्नपूर्णा स्त्री० दुर्गा देवी प्रकार- बीजा जेवू २)जुदं; असाधारण अन्नप्राश पुं०, अन्नप्राशन न० नाना अन्याय वि० अयोग्य (२)न्याय विरुद्ध छोकराने पहेलवहेलं अन्न खवडाववानो (३) अप्रमाणिक (४)पुं० न्यायविरुद्ध संस्कार कृत्य ; गेरइनसाफ अन्नमय वि० अन्नन बनेलं अन्याय्य वि० न्यायविरुद्ध; अयोग्य अन्नमयकोश (-1) पु० स्थल शरीर . अन्येद्युस् अ० बीजे दिवसे (२) एक अन्य वि० बीजु (२) जुद् ; निराळ (३) दिवम; एक बार असामान्य; विलक्षण (४) अधिक; अन्योक्ति स्त्री० एक अर्थालंकारवधारानुं दुराचरगी बोलवू एकने उद्देशीने अने लागु पाडवं अन्यग, अन्यगामिन् वि० व्यभिचारी; कोई बीजाने, एवं वाणी- चातुर्य (२) अन्यचित्त वि० जेनं मन बीजा पर लागु स्तुतिना गब्दोमां निंदा, अने निंदाना थयं छे तेवं उपरांत शब्दोमां स्तुति दविवी ते अन्यत् वि० बीजु (२) अ० फरीथी; अन्योढा स्त्री० परस्त्री अन्यतम वि० घणांमांन एक अन्योन्य वि० परस्पर; एकमेक अन्यतर वि० बेमांनुं एक अन्योन्यम् अ० परस्पर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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