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________________ २० अनुयायिन् अनुयायिन् वि० पाछळ पाछळ जना; अनुसरनार (२) समान ; सरखं (३) पुं० अनुसरनार; अनुयायी । अनुयुज ७ आ० प्रश्न पूछवो (२) परीक्षा लेवी (३)शिक्षण आपq (४)आजीजी करवी अनुयोक्त पुं० परीक्षक (२) शिक्षक । अनुयोग पुं० प्रश्न (२) तपास (३) विनंती (४)निंदा; ठपको (५)उद्यम (६)योग- ध्यान (७) टीका;समजूती अनुयोज्य पुं० सेवक; नोकर अनुरक्त वि० रंगायेल; लाल रंगवाळु (२) आसक्त अनुरक्ति स्त्री० आसक्ति; प्रेम अनुरणन न० रणकार अनुरथ्या स्त्री० पगथी; 'फूटपाथ' अनुरसित न० पडघो अनुरहसम् अ० खानगीमां; एकान्तमा अनुरंज् ४ उ० [अनुरज्यति-ते] लालाश धारण करवी (२) आसक्त थq अनुरंजन न० प्रसन्न करवू ते; आनन्द आपवो ते अनुराग पुं० प्रेम; स्नेह (२) लालाश अनुरागिन् वि० प्रेमवाळ; आसक्तिवाळू अनुरु २५० सहानुभूतिमां साथे रडवू अनुरुध् ७ उ० अवरोध, (२)पाळवं; मानवु (३) चाहq (४) आग्रह करवो अनुरूप वि० -ना जेवू (२) तुल्य (३) अनुव्रत अनुलोमज वि० शास्त्रमान्य क्रमे, ऊतरता वर्णनी स्त्रीना उच्च वर्णना पुरुष साथेना लग्नथी जन्मेलु अनुवचन न० पाठ; अभ्यास ; पुनराववर्तन (२) खंड; प्रकरण अनुवद् १५० बोलेलानु अनुकरण करवू (२) १ उ० रणकार करवो; पडघो पडवो (३) फरी बोली जवं अनुवर्तन न० अनुसरण; आज्ञापालन अनुवतिन् वि० अनुसरनारं; आज्ञा पाळनाएं अनुवंश पुं० वंशवृक्ष अनुवाक पुं० वेदनो भाग-प्रकरण (२) अभ्यास; पुनरावर्तन अनुवाद पुं० पुनरुक्ति (२) कहेली वात समजूती साथे फरी कहेवी ते अनुवादिन् वि० अनुवाद करनारु (२) संवादी; सुसंगत अनविद्ध वि० वींधेलं (२) पूर्ण; व्याप्त; युक्त (३) (रत्नथी) जडेलु-जडित अनुविधा ३ उ० विधान करवू (२) अनुसरवू; अनुकरण करवू अनुवत् १ आ० अनुसरवू अनुवृत्ति स्त्री० संमति(२)-नी मरजीने - के आनाने अनुसरयू ते (३) पुनरावर्तन अनुवेध पुं० वींधवू ते (२) संस्पर्श (३) मिश्रण अनुवेलम् अ० हर वेळा अनुवेश्य वि० पडोशी अनुध्यध् ४ ५० अनुविध्यति | वींधवं; फरी वींधवू (२) व्यापq; मिश्रित थवू अनुव्याध पुं० जुओ ‘अनुवेध' अनुव्याहरण न०, अनुव्याहार पुं० पुनरावृत्ति ; पुनरुच्चार (२) शाप । अनुवज १५० वळाववा पाछळ जवु (२) अनुसर अनुव्रत वि० वफादार (२)व्रत नियमनु यथोचित पालन करनारुं योग्य अनुरोष पुं० संमति; स्वीकार (२) विनंती; आग्रह (३) नियमनुं पालन अनुरोधिन् वि० अनुसरतुं; पाळतुं अनुलग्न वि० लागेल; वळगेलं अनुलिप् ६ प० [अनुलिपति लेप करवो; खरडवू अनुलेप पुं०, अनुलेपन न० लेप करवो ते (२) लेपनो पदार्थ; मलम अनुलोम वि० अनुकूळ ; क्रमने अनुसरतुं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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