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________________ अनुपपत्ति अनुपपत्ति स्त्री० तर्क-युक्तिनो अभाव; असंगति शिकाय तेवु अनुपम वि० अनन्य ; उपमा न आपी अनुपयुक्त वि० अयोग्य ; निरुपयोगी अनुपलब्ध वि० नजरे न पडेलुं; न मळेलु अनुपहत वि० नहि वपरायेलु; कोरंनवु (वस्त्र) अनुपा २ प० -नी पछी पीq (२)-नी साथे पीयूँ (३) जुओ "अनुपाल" । अनुपात पुं० पाछळ जवू ते (२) एक पछी एक जवू ते (३) हुमलो अनुपातम् अ० एक पछी एक एवा क्रममा अनुपान न० औषधनी साथे के पछी लेवानुं मददरूप प्रवाही के बीजी दवा अनुपाल १० प० संरक्षq (२) मानवू; पाळवु अनुपूर्व वि० क्रम प्रमाणे-(२)प्रमाणसर अनुपेत वि० रहित ; विनानुं (२) जेन यज्ञोपवीत अपायुं नथी तेवू . अनप्रविश ६५० -मां प्रवेशवं ; जोडावं (२) -ने बंधबेसतुं थवं अनुप्रवेश पुं० अंदर पेसवं ते (२) -ने बंधबेसतु थर्बु ते (३) अनुकरण . अनुप्रसादन न० प्रसन्न करवं ते अनुप्राप् ५५० जई पहोंचवु(२)अनुकरण करवू अनुप्रास पुं० एकनो एक अक्षर जेमां वारंवार आवे तेवो शब्दालंकार अनुप्लव पुं० अनुचर; नोकर . अनुबद्ध वि० जोडायेलु; बंधायेलु (२) परिणामरूपे आवतुं (३) सतत; चालु अनुबंध् ९५० बांधवं; जोड, (२) पाछळ पाछळ आवq (३) आग्रह करवो (४) चालु राखq अनुबंध पुं० बंधन; संबंध (२) चालु अनुक्रम; सांकळ (३) परिणाम; फळ(४) वेदांतमां-विषय, प्रयोजन, अधिकारी अने संबंध ए चारनो समूह अनुयात्र अनुबंधिन् वि० संबंधवाळु; जोडायलं (२) परिणामे आवतुं (३) सतत चालतुं अनुबष् ४ आ० बोध थवो; जाणवू (२) जागवू ३) याद करवू देवराव -प्रेरक० बोध आपवो (२) याद भनुभव पुं० प्रत्यक्ष ज्ञान(२)जाते-पोते जाणवू ते (३) परिणाम [थयेलु अनुभवसिद्ध वि० अनुभवथी पुरवार अनुभाव मुं० प्रभाव; तेज; महत्ता (२) पराक्रम; सामर्थ्य (३) दृढ निश्चय (४) मनोगत भावनो बाह्य विकार अनुभुज ७ आ० भोगवq; अनुभव, अनुभू १ ५० अनुभव; भोगववं अनुभूति स्त्री० अनुभव (२) इंद्रियज्ञान अनुमत वि० संमत (२) सहमत (३) इष्ट ; प्रिय (४) पुं० प्रेमी (५) न० संमति; मंजूरी अनुमति स्त्री० संमति ; अनुज्ञा; रजा अनुमन् ४ आ० संमत थq; रजा आपवी; मंजूर करवू अनुमरण न० -ना मरण पाछळ (साथे ज) मरी जq ते ; स्त्री- सती थर्बु ते [अटकळ करवी अनुमा २५०, ३ आ० अनुमान करवं; अनुमान न० अटकळ (२) तर्क (३) तुलना (४) न्यायशास्त्रमांनां चार प्रमाणोमां, एक - अनुमितिनुं साधन अनुमिति स्त्री० अनुमान प्रमाणथी ·थयेलुं ज्ञान अनुमुद् १ आ० अनुमोदन आपq;समर्थन करवू (२) आनन्द पामवं अनुम ६ आ० [अनुम्रियते]-नी पाछळ मरी जq; (स्त्री-) सत्ती थq अनुमेय वि० अनुमान करी शकाय तेवू अनुमोदन न० समर्थन (२) संमति अनुया २५० पाछळ पाछळ जवु (२) अनुकरण करवू अनुयात्र न० अनुयायी वर्ग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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