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________________ प्रत्यूह प्रत्यावर्तन ३११ प्रत्यावर्तन न० पाछा फरवू ते प्रत्युद्गत वि० सत्कार करवा माटे प्रत्याशा स्त्री० आशा; विश्वास सामु ऊभुं थयेलं (२) सामु थयेल. प्रत्याश्वस्त वि० सांत्वन पामेलं (२) प्रत्युद्गति स्त्री० सत्कार माटे बेठा फरी ताजं थयेलं होय त्यांथी ऊभा थq ते . प्रत्याश्वासन न० आश्वासन; दिलासो प्रत्युद्गम् १ प० [प्रत्युद्गच्छति] प्रत्यासत्ति स्त्री निकटता (२) निकट सत्कार करवा माटे सामं ऊ, थq संबंध (३) खुशमिजाजी । (२) तरफ धस के कूच करवी .. प्रत्यासन वि० नजीकनु; पासेनुं (२) पस्तावो करत एक व्यहरचना प्रत्युद्गम पुं०, प्रत्युदगमन न० जुओ 'प्रत्युद्गति' [जोड प्रत्यासर पुं० सैन्यनो पाछलो भाग (२) प्रत्युद्गमनीय न० धोयेलां कपडांनी प्रत्यासंग पुं० संबंध; संसर्ग प्रत्युद्यम पुं० प्रतीकार के सामनो करप्रत्यासार पुं० जुओ 'प्रत्यासर' वानो प्रयत्न प्रत्याहत वि० पार्छ हटावेलुं . प्रत्युद्यात वि० जुओ 'प्रत्युद्गत' प्रत्याहरण न० पाछु मेळववं ते (२) प्रत्युपकार पुं० उपकारनो बदलो वाळवो पाछु खेंची लेवं ते (३)निग्रह करवो ते ते (२) परस्पर मदद प्रत्याहार पुं० पाछा हठ, ते (२) प्रत्युपकृ ८ उ० उपकारनो बदलो पकडी राखq ते ; निग्रह करवो ते (३) वाळवो; सामो उपकार करवो (२) प्रलय (४) संकोच; संक्षेप भरपाई करवू प्रत्याह १५० पाछु लई लेवं; पार्छ [वाळवो ते मेळव, (२) पार्छ खेंचवू (३) उच्चा प्रत्युपक्रिया स्त्री० उपकारनो बदलो प्रत्युपदेश पुं० सामो उपदेश रखं (४) कहेवू; जणावq (५) प्रत्युपपन्न वि० जुओ 'प्रत्युत्पन्न' फरीथी गोठववं [करेलु प्रत्युपमान न० उपमान पण उपमान प्रत्याहत वि० पाछु मेळवेलं (२)निग्रह प्रत्युक्त वि० जवाबमां कहेलु होवू ते (२) आदर्श ; जेना उपरथी प्रत्युज्जीव १५० सजीवन थवं बोजी वस्तुओनी गुणवत्ता मपाय ते प्रत्युज्जीवन न० सजीवन थ, ते (२) प्रत्युपवेश पुं०, प्रत्युपवेशन न० नमाववा सजीवन करवू ते घेरो धालवो ते (२) सामे ऊभवं ते प्रत्यपस्थित वि० पासे आवेलं; हाजर प्रत्युत अ० ऊलटुं; सामेथी प्रत्युत्क्रांतजीवित वि० मरवा पडेलं थयेलु (२) सामु थयेलं प्रत्युत्तर न० जवाब प्रत्युपहार पुं० पाछु सोंपवू ते; पार्छ प्रत्युत्थान न० सामे थवं ते (२) युद्धनी आपq ते (२) भेट तैयारी करवी ते (३) कोई आवे प्रत्युप्त वि० जडी दीधेलु; सज्जड चोंटात्यारे मानमां सामा ऊभा थर्बु ते । डेलु - खोसेलु (२)वावेलु [काळ प्रत्युत्पन्न वि० फरो उत्पन्न थयेलं (२) प्रत्यूष पुं०, न०, प्रत्यूषस् न० प्रातःतत्पर; तैयार (३) हाजर प्रत्यूह १ उ० विरोध के सामनो करवो प्रत्युत्पन्नबुद्धि, प्रत्युत्पन्नमति वि० समय- (२) डखल करवी; नडतर करवी सूचकतावाळं ; योग्य काळे योग्य कर- (३) इन्कार करवो (४) चडियाता वान जेने झट सूझी आवे तेवू (२) थएँ (५) भेट चडाववी स्त्री० समयसूचकता; तरतबुद्धि प्रत्यूह पुं० विघ्न; नडतर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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