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________________ प्रतिहत ३०८ प्रतुद प्रतिहत पुं० निवारण करनार; दूर लक्षमा लेवा योग्य (३) संमाननीय करनार (२) नाश करनार (४)पाळवा - वळगी रहेवा योग्य प्रतिहस्त, प्रतिहस्तक पुं० प्रतिनिधि प्रतीघात पुं० जुओ 'प्रतिघात' प्रतिहस्तिन् पुं० वेश्यावाडानो मालिक प्रतीची स्त्री० पश्चिम दिशा प्रतिहस्ती ८ उ० लेवू प्रतीच्छक पुं० लेनारो; स्वीकारनारो प्रतिहार पुं० सामु मारनार (२) प्रतीच्य वि० पश्चिमनु ; पाश्चात्य दरवाजो (३) दरवान (४) मदारी प्रतीत वि० नीकळेलं; ऊपडेल (जवा (५) आगमन जणावq ते माटे) (२)विदाय थयेल; भूतकाळनुं प्रतिहारण न० बारणामां प्रवेशवा बनेल (३) मानेलं; विश्वास करेलु माटेनी परवानगी'; प्रवेश (४) साबित करेल (५) ओळखेल प्रतिहारभमि स्त्री० ऊमरो (मकान० (६) प्रख्यात थयेलं (७) खातरीवाळं इ० नो) (२) दरवान तरीके- पद (८) दृढ संकल्पवाळू (९)खुश थयेलु प्रतिहाररक्षी स्त्री० दरवान स्त्री (१०)डाहयुं ज्ञानी प्रतिहिंसा स्त्री० बदलो; वेरनी वसूलात प्रतीति स्त्री० खातरी (२) मान्यता प्रतिह १५० पाछु भारी काढवू (२) (३) निश्चित ज्ञान (४) ख्याति त्यागवं; वर्जq (३) अवगणवं प्रतीप वि. विरोधी; प्रतिकूळ (२) प्रती (प्रति + इ) २ प० पार्छ फरवू ऊलटा क्रमनुं (३) पाछळ जतुं; (२) पासे पहोंचवू; पामवू (३) पछात रहेतुं (४)अवळ; आडु -ने भागे आव; -ने माथे पडवू (४) प्रतीपग वि० विरोधी प्रतिकूळ खातरी राखवी; विश्वास होवो (५) प्रतीपगति स्त्री०,प्रतीपगमन न० ऊलटी समजवं; जाणवू; शीखवू (६) ___ गति; ऊंधी दिशाए जवु ते प्रख्यात थर्बु (७) खुश-प्रसन्न थर्बु प्रतीपतरण न० सामे प्रवाहे तर ते (८)विरोधीनी सामे जq प्रतीपम् अ० ऊलटुं के प्रतिकूळ होय तेम -प्रेरक० खातरी कराववी; विश्वास प्रतीपयति प० (पार्छ वाळवं) [ते उत्पन्न करवो (२)लक्ष उपर लावq प्रतीपवचन न० प्रतिकूळ के आडु बोलवू (३) साबित कर प्रतीपविपाकिन् वि० ऊलटा परिणामप्रतीक पुं० अवयव (२) न० मूर्ति; वाळु (कर्ताने ज नुकसान करतुं) प्रतिमा (३)चिह्न ; निशान । प्रतीर न० तट'; कांठो प्रतीकार पुं० जुओ 'प्रतिकार' प्रतीवेश पुं० जुओं प्रतिवेश' प्रतीकाश पुं० जुओ 'प्रतिकाश' प्रतीवेशिन वि० जुओ 'प्रतिवेशिन्' प्रतीक्ष् (प्रति + ईक्ष) १ आ० जोवू; प्रतीष् (प्रति+इष्) ६५० [प्रतीच्छति निहाळवू (२) अपेक्षा राखवी (३) स्वीकार (२) स्वागत करवू (३) राह जोवी [अपेक्षा राख पालन करवू (आज्ञानुं) (४) राह जोवी प्रतीक्ष, प्रतीक्षक वि० राह जोतं; प्रतीहार पुं० जुओ 'प्रतिहार' प्रतीक्षण न०, प्रतीक्षा स्त्री० राह जोवी प्रतीहारी स्त्री० दरवान स्त्री(२)दरवान ते (२) अपेक्षा; आशा (३)ध्यान; लक्ष प्रतुद् ६१० घोंचवू; मारवं प्रतीक्षिन् वि० जुओ 'प्रतीक्ष' । -प्रेरक० हांकQ; प्रेर; घोंचप्रतीक्ष्य वि० राह जोवा योग्य (२) परोणो करवो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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