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________________ प्रतिष्ठा प्रतिष्ठा (प्रति-स्था) १५० [प्रति- तिष्ठति] स्थिर थर्बु; दृढ थर्बु (२) रहेg; वसवू (३) -ने आधारे टकवू (४)आथमवू -प्रेरक० स्थापित करवु (२) सोंपवू (३)बक्षवू प्रतिष्ठा स्त्री० 'आधारस्थान; स्थान; पायो (२) निवास (३) दृढता; स्थिरता (४) टेको; शोभा (ला०) (५) मोटुं पद (६) ख्याति ; कीर्ति (७) स्थापित थq ते (८) इच्छित वस्तु प्राप्त थवी ते; सिद्धि (९) मूर्तिनी स्थापना करवी ते (१०)पग। प्रतिष्ठान न० बेठक; पायो; स्थान; आधारस्थान (२) पग (३) चालु रहे ते ; सातत्य प्रतिष्ठासु वि० स्थिर रहेवा इच्छतुं प्रतिष्ठित वि० स्थापेलं; ऊभं करेलं; स्थिर करेल; मूकेलं (२) विख्यात (३) निश्चित; नक्की थयेलं (४) समाविष्ट (५) जीवनमां स्थिर थयेलु - परणेलं (६) प्राप्त थयेलु; भागे आवेलुं (७) लागु पडे तेवू (८) सिद्ध ; परिसमाप्त प्रतिसम वि० बरोबरियं प्रतिसमाधान न० उपाय; इलाज प्रतिसमासित वि० बरोबरियु ; सामनो। करी शके तेवू प्रतिसर वि० अधीन; आश्रित (२) पुं० अनुयायी; सेवक (३) कौतुकसूत्र (लग्न वखते बंधातुं) (४) तावीज प्रतिसर्ग पुं० प्रलय (२) गौण सृष्टि (मरीचि वगेरेए करेली) (३) प्रलय अने ते पछीनी फरीथी थयेली सृष्टि वर्णवतो पुराणनो भाग प्रतिसव्य वि० ऊलटा क्रममां होय तेवू प्रतिसंकाश पुं० सरखापणुं प्रतिसंक्रम पुं० पडछायो; प्रतिबिंब प्रतिहन् (२) प्रलय; मूळ कारणमां पाछा समाई जq ते प्रतिसंख्यान न० कोई पण बाबतनी शांत विचारणा (२)सांख्य सिद्धांत प्रतिसंदेश पुं० संदेशानो जवाब प्रतिसंधान न० फीथी जोडवू ते (२) उपाय ; साधन (३) आत्मनिग्रह प्रतिसंधि पुं० फरीथी जोडावं ते (२) अटकवू ते; उपरम प्रतिसंहार पुं० पार्छ खेंची लेवू ते (२) आपी देवू ते (३) समावेश; संकोच प्रतिसंह १५० पार्छ खेंचवू प्रतिसंहृत वि० पार्छ खेंची लीधेलु (२)निग्रह करेल; संकोचेलं. प्रतिसीरा स्त्री० पडदो; कपडानी भीत प्रतिसूर्य, प्रतिसूर्यक पुं० आकाशमां बीजा सूर्य जेवू देखा। तेज (२) सरडो प्रतिसृ १५० पार्छ सरी जर्रा (२) सामे धसq; हुमलो करवो __ -प्रेरक० पार्छ सरकावq (२) पार्छ धकेली काढ; हांको काढवू प्रतिसृष्ट वि० मोकलेलं (२) विख्यात (३) नकारेल (४) प्रमत्त सैन्य प्रतिसेना स्त्री०, प्रतिसैन्य न० दुश्मननुं प्रतिस्पर्धा स्त्री० हरीफाई प्रतिस्पधिन् वि० हरीफ प्रतिस्पंदन न० धबकारो; धडकवं ते प्रतिस्रोतस् वि० सामे वहेणे जतुं (२) अ० सामे वहेणे प्रतिस्वन, प्रतिस्वर पुं० पडघो प्रतिहत वि० पार्छ वाळेलु ; पार्छ धकेलेलं (२) अटकावेलु (३) हणायेलं; नाश पामेलु(४)अंजाई गयेलं (५) बुद्रुथयेलं प्रतिहति स्त्री० सामु मारवं ते (२) पार्छ धकेलq ते (३) पार्छ ऊछळवू ते प्रतिहन २ प० सामो प्रहार करवो (२) अटकायत करवी; रोक; सामनो करवो (३) पार्छ धकेलतुं (४) नाश करवो (५) उपाय करवो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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