SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 307
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पृथिवी २९३ पेशी पृथिवी स्त्री पृथ्वी ; धरती (२)पृथ्वी पृष्ठग वि० पीठ पर सवारी करी होय तेवू तत्त्व (महाभूत) [राजा पृष्ठगामिन् वि० जुओ 'पृष्ठानुग' पृथिवीक्षित,पृथिवीपाल,पृथिवीभुज पुं० पृष्ठगोप पुं० लडता योद्धानी पूंठ पृथिवीभत् पुं० पर्वत साचवनार योद्धो पथिवीरह पुं० वृक्ष पृष्ठतस् अ० पाछळयी (२)पूंठे पूंठे (३) पृथिवीश पुं० राजा पीठ उपर (४)पीठ पाछळ ; गुप्त रीते पृथु वि० विशाळ; मोटुं; पहोळ (२) पृष्ठतः कृ ८ उ० पाछळ छोडवू ; तजवू पुष्कळ ; घY (३) मोटुं पृष्ठपीठी स्त्री० पहोळी पीठ पृथुक पुं०, न० पौंआ (२) पुं० बाळक पृष्ठभूमि स्त्री० मकाननो उपलो माळ पथकीति वि० विशाळ ख्यातिवाळू पृष्ठमांस न० पीठ उपरनुं मांस (२) पृथुजघन, पृथुनितंब वि० विशाळ के बाकीचें- छेवट, मांस मोटा नितंबवाळू [वाळू पृष्ठलग्न वि० पूंठे लागेलं ; अनुसरतुं पृथुप्रथ, पृथुयशस् वि० विशाळ ख्यातिपृथुल वि० मोटु; विशाळ पृष्ठवंश पुं० पीठ- हाडकुं पृष्ठानुग वि० अनुसरतुं; पूंठे आवतुं पृथुधी वि० अति समृद्ध पृथ्वी स्त्री० धरती; धरणी (२)पृथ्वी पृष्ठच पुं० भार वहन करनार घोडो पष्णि स्त्री० पगनी एडी; पानी तत्त्व (महाभूत) पृ ३, ९ प० पूर्ण करवं (२) संतुष्ट पृथ्वीपर पुं० पर्वत करवू (आशा, इच्छा) (३) पवन पृथ्वीपति पुं० राजा भरवो-- फूक (शंख, वांसळी) (४) पुश्नि वि० काबरचीतरुं (२) स्त्री० पृथ्वी (३) देवकी (कृष्णनी माता) तृप्त करवु (५) पोषq पश्निगर्भ पुं० श्रीकृष्ण पेचक पुं० घुवड पेट पुं० टोपली; पेटी (२)समुदाय (३) पश्निधर पुं० विष्णु ; श्रीकृष्ण पृष् १ आ० छांटवू; सींचq परिजनपरिवार - [समूह; जथो पृषत् वि० टपकांवाळ; काबरचीत पेटक पुं०, न० टोपली; डबो; पेटी (२) (२) पुं० काबरचीतरो मृग (३) न० पेटिका, पेटी स्त्री० करंडियो; पेटी टीपुं; बिंदु (ब०व०) [बिंदु पेट्टाल, पेट्टालक पुं०, न० पेटी; करंडियो पृषत पुं० काबरचीतरो मृग (२) पाणीनुं पेय वि० पीवा योग्य (२) न० पाणी पृषतांपति पुं० पवन; वायु (३) दूध (४) मद्य इ० पीj पृषक पुं० बाण (२) गोळ टपकुं पेया स्त्री० चोखानी कांजी पष्ट ('पृष्' अथवा 'प्रच्छ्' ०००) पेरा स्त्री० एक वाद्य वि० पूछेलु (२) छांटेलु (३) न० प्रश्न पेलव वि० नाजुक ; कोमळ (२) पातळू पष्ठ न० पीठ; पाछळनो भाग (२) पेला स्त्री० एक वाद्य कोई जानवरनी पीठ (३) उपरतुं पेलिन् पुं० घोडो तळ- सपाटी (४) पाछळनी के बीजी पेशल वि० पोचु ; नरम ; नाजुक (२) बाजु (५) घरनु सपाट छापरु (६) पातळु; नानु (केड) (३) सुंदर; चोपडीतुं पान (७) शेष रहेलं ते मनोहर (४) कुशळ ; निपुण (५) पृष्ठके कृ ८ उ० मुलतवी राखq (२) चालाक (६) शणगारेलु तजी देवं पेशि (-शी) स्त्री० मांसनो टुकडो के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy