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________________ आपवो ते पिंडक . २८५ (९) भिक्षा (१०) शरीर (११) ते (उदा. 'करपीडन') (४) ग्रसवू पगनी पिंडी (१२) एकळु गणी-कुल ते; ग्रहण [नुकसान जे थाय ते (१३) ढगलो; समुदाय पीडा स्त्री० व्यथा; दुःख (२) ईजा; पिंडक पुं० फोल्लो पीडाकर वि० दुःखकर; कष्टदायक पिंडद वि० अन्न के आजीविका आपनाएं पीडित ('पीड्'न भूकृ.) वि० पीडा (२) पिंडदान करवानुं अधिकारी। पामेलं (२) दबायेलं; कचरायेलु (३) पिंडदान न० श्राद्ध निमित्ते पितृने पिंड पकडेलु; ग्रहण करेलु (४) ग्रस्त । पीडितम् अ० सखत रीते; दबावीने पिडपात पं० भिक्षा आपवी ते पीत ('पा'- भू० कृ०) वि० पीधेलं पिंडमाज वि० पिंडमां भाग मेळववानुं (२)पाणी पायेलु (३)पीळा रंगनुं अधिकारी (२) पुं० (ब०व०)पितृओ पीतांबर पुं० श्रीकृष्ण (पीळां वस्त्र धारण पिंडालक्तक पुं० एक जातनो लाल रंग करनार) (२)पीळां वस्त्रधारी भिक्षु पिडि स्त्री० पिंडो; गोळो (२)घर पीय पुं० पीj (२)न० पाणी [दार पिंडिका स्त्री० गोळ आकारनो सोजो पीन वि० जाडु; पुष्ट (२)गोळ; भराव (२)पगनी पिंडी (३)गंडस्थळ पीयूष पुं०, न० अमृत (२) दूध पिडित वि० गोळो वाळेलु (२) एकत्रित पीयूषषामन्, पीयूषभानु पुं० चंद्र करेलु पीव, पीवर, पीवस वि० जाडु पिंडी स्त्री० जुओ 'पिंडि' पुच्छ पुं०, न० पूछडु (२)पानी भाग पिंडीशर पुं० कायर; बीकण (घरमां (३) मोरनुं पीछांवाळं पूछडं (४) शूरो के लाडु भागवामां शूरो) कोई पण वस्तुनो अंतभाग पिंडोदकक्रिया स्त्री० पितृओने पिंड, पुट पुं०, न० थर; पड (२) पोलाण; जळ वगेरे अर्पवां ते बखोल (३) पडियो (पांदडांनो) पी४ आ० पीवं (४) एना जेवं जे कंई ते (५) पीठ न० आसन; बेठक (२) दर्भासन आच्छादन; ढांकण (६) पोपचुं (३) देवन आसन(४)कोई पण वस्तुनी (७) पुं० करंडियो; टोपली (८) बेसणी; पडघी (५)प्रांत ; प्रदेश (६) एना जेवो कोई पण आकार (९) न० सिंहासन; राज्यासन औषधने भठ्ठीमां मूकवा माटे बे पात्र पीठक पुं०, न० एक जातनो म्यानो सामसामे जोडी करेली रचना; संपुट पीठग वि आसनेबेसी रहेनारुं (२) अपंग पुटक न० पडियो (२) एना जेवो करेलो पीठमर्द पुं० (नाटकमां)नायकने सहाय खोबो (३) कमळ [कमळ करनार साथी पुटकिनी स्त्री० कमळनो समूह (२) पीठसर्प वि० अपंग; लंगडु पुटपाक पुं० पांदडांमां वींटी कपडछाण पीठिका स्त्री० बेठक (२) बेसणी (३) करी भठ्ठीमां मूकी औषध तैयार पुस्तकनो विभाग करवानी रीत पीड् १० उ० पीड; त्रास आफ्वो (२) पुटभेद पुं० पोपचां उघाडवां ते (२) घेरो घालवो (३) दबाव; पीलवू शहेर (३)एक वाजिंत्र ; आतोद्य' पीडन न० पीडq -दुःख देवं ते (२) पुटभेदन न० शहेर दबावq ते ; कचर, ते (३) पकडवू पुण्य वि० पवित्र (२) पुण्य प्राप्त थाय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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