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________________ निरापद् २४३ निर्गम निरापद् वि० विपत्ति विनानं निरुच्छ्वास वि० श्वास न चालतो होय निराबाध वि० पीडा के विघ्न विनानं तेवू (२) सांकडु (३) मृत (२) पीडा के हेरानगति न करतुं निरुत्सव वि० उत्सव विनानं निरामय वि० नीरोगी; तंदुरस्त (२) निरुदर वि० फांद विनानु ; पातळ खामी के कलंक विनानु (३) पुं०, न० निरुद्ध वि० अटकावेलं; रोकेलं (२) कल्याण ; कुशळता; क्षेम अंकुशमां रखायेलं (३) केद पूरेल निरामिष वि० मांस विनानू (२) (४) ढांकेल (५)-थी भराई गयेलं विषयेच्छा विनानु (३) पगार के लाभ निरुद्धति वि० ऊछळतुं नहि तेवू (रथ) विनानुं [(२) संकोचेलं निरुध् ७ उ० निरोध करवो; अटकानिरायत वि० खूब खेंचेल के लंबावेल व; रोकवू (२) केद पूर, (३) निरायति वि० जेनो अंत नजीक छे तेवू नियंत्रणमा राखवू निरायास वि० महेनत वगरनु ; सहेलु निरुपधि वि० माया -कपट विनानं । निरारंभ वि० कार्य के प्रवृत्ति रहित निरुपपद वि० कोई पण पदवी के निरालंब वि० आलंबन विनानुं (२) इलकाब विनानुं पोतानी जात पर ज आधार राखतुं; [करतुं निरुपप्लव वि० निर्विघ्न (२) पीडा न स्वतंत्र (३)सहाय विनानुं ; एकलं निरालोक वि० अंधकारमय ; प्रकाश निरुपस्कृत वि० शुद्ध ; भ्रष्ट नहि थयेलू निरूढि स्त्री० प्रसिद्धि (२)प्रवीणता वगरनु (२) दृष्टि विनानुं निराश वि० आशारहित; हताश निरूप् १० उ० बारीकाईथी जोवू के निराशा स्त्री० नाउमेदी; हताशा । तपासवं (२) निर्णय के निश्चय करवो निराशिस् वि० उदासीन; इच्छा के (३) पसंद करवं; नीमh (४)अभि नय करवो (५)विचारणा करवी तृष्णा विनानु (२) वरदान के लाभ विनानुं निरूपण न० जोवू के तपासवं ते (२) निराश्रय वि० आशरा विनानू (२) अवलोकन ; विवेचन (३)व्याख्या साथी के मित्र विनानु; एकल निरेभ वि० निःशब्द निरिंग वि० स्थिर; स्थावर निरोध पुं० अटकाववं ते; रोकवं ते निरीक्ष १ आ० निरीक्षण करवं; (२) केद पूरवं ते (३)घेरी लेवं ते ध्यानथी जोQ (२) तपास; शोधवू (४)निग्रह करवो ते (५) संपूर्ण नाश (३)चिंतन कर ; विचार करवो निरोधक वि० अटकावनाएं; रोकनाएं निरीक्षण न०, निरीक्षा स्त्री०, निरी निरोधन न० अटकावq ते (२) संयमन क्षित न० दृष्टि ; नजर; निहाळवू ते (३) कारागृहमां नाखवु ते । (२)शोधq ते (३)आशा (४) ख्याल; निऋति स्त्री० नाश; विनाश (२) विचार [पीडाओ विनानुं आफत; विपत्ति; दुर्भाग्य (३) मृत्यु निरीति वि० अतिवृष्टि वगेरेनी के बरबादीनी देवता; नैर्ऋत्य अर्थात् निरीह वि० इच्छा विनानु; निःस्पृह दक्षिण-पश्चिम खूणानी देवी । (२) निश्चेष्ट निर्गम् १ प० [निर्गच्छति] बहार निरुक्त न० एक वेदांग ; व्युत्पत्तिशास्त्र नीकळवू - जर्रा (२) फूटवू ; नीकळवू; निरुक्ति स्त्री० व्युत्पत्तिथी शब्द उत्पन्न थर्बु (३)जता रहेवू; दूर थर्बु समजाववो ते निर्गम पुं० बहार नीकळवं के जq ते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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