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________________ निरभिभव २४२ निरातंक निरभिभव वि० पराभव न पमाडी निरहंकार, निरहंकृति वि० अभिमानशकाय तेवू ; पार्छ पाडी न शकाय तेवू रहित; नम्र [स्वतंत्र निरभिलाष वि० परवा के आकांक्षा निरंकुश वि० अंकुश के दाब वगरनु; विनानुं निरंग वि० अवयव विनानु (२) साधन निरमर्ष वि० क्रोध विनानं के युक्ति विनान निरय पुं० नरक (२) दुःख (३) पाप निरंजन वि० राग-द्वेष, पुण्य-पाप के निरर्गल वि० विघ्न के रुकावट विनानुं कलंक इ० रहित (२) मेश विनानु (२) अंकुश विनानु (३) मर्यादा विनानुं (नेत्र) (३) कृत्रिमता विनान; सहज निरर्गलम् अ० रुकावट विना निरंतर वि० सतत; अखंड (२) वच्चे निरर्थ वि० धन विनानु ; गरीब (२) अवकाश विनानु; खूब लगोलग आवेलु प्रयोजन वितान् ; अर्थहीन (३) गाढ (४) वफादार; साचं निरर्थक वि० उपयोग विनानु; लाभ (५) परिपूर्ण; व्याप्त (६) दृष्टि विनानु (२) अर्थहीन ; मतलब विनानुं बहार नहि तेवू निरवकाश वि० खाली जगा विनान निरंतरम् अ० अविरतपणे ; सतत (२) (२) अवकाश - फुरसद विनानुं गाढपणे ; दृढपणे (३) तरत ज निरंतराल वि० वच्चे अवकाश विनान; निरवग्रह वि० प्रतिबंध वगरनुं; काबू विनानुं (२) स्वच्छंदी (३) मनस्वी नजीक होय तेवू (२) सांकडु निरवद्य वि० दोष, खामी के वांधो निरंबर वि० वस्त्र विनान ; नग्न न काढी शकाय तेवं निराकरण न० इन्कार ते; रदबातल करवं ते (२) दूर करवं ते ; हांकी निरवधि वि० मर्यादा के अंत विनानुं काढव ते (३) खंडन; विरोध (२) सतत चालु रहेतुं निराकरिष्णु वि० इन्कारतुं; हांकी निरवलंब वि० आधार विनानु (२) काढत (२) तिरस्कार करतुं (३) आधार न आपतु (३)आधारे न रहेतु रुकावट करतुं (४) -विनानुं करवा निरवशेष वि० संपूर्ण ; पूरेपूरु इच्छत निरवसाद वि० आनंदी निराकुल वि० शांत; स्वस्थ ; गाभरुं निरस् ४ प० फेंकवं; फेंकी देवं नहि थयेल (२) भीड विनानं (३) (२) हांफी काढवू; दूर करवू अव्यवस्थित नहि तेQ (४) स्पष्ट (३) पराभव करतो; नाश करवो निराकृ ८ उ० हांकी काढ; काढी (४) इन्कार करवो; अस्वीकार मुकवू (२) खंडन करवं (३) तिरकरवो (५) खंडन करवू (दलील-) स्कार करवो (४) नाश करवो (६) ढांकी देवं ; झांख पाडवू (५) इन्कार (६) विरोध करवो निरसन वि० काढी मकतं ; हांकी काढतुं निराकंद वि० फरियाद के विलाप (२) न० काढी मूकवू ते (३) इन्कार विनानुं (२) अवाज न संभळाय तेवं (४) खंडन (५) नाश (३) संरक्षण न आपतुं ; संरक्षण विनानं निरस्त वि० फेंकी दीधेलं ; काढी मूकेलं; निरागम वि० वेदना आधार विनानं दूर करेल ; नाश करेलु ; त्यागेलं (२) निरागस वि० निर्दोष ; निरपराधी -विनानु; -रहित (३) खंडन करेलु निरातंक वि० नीरोगी (२) निर्भय (४) ओकी काढेलं (५) अप्रैल (३) विघ्न के रुकावट वगरनुं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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