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________________ निकाम्य २३७ निगाल निकाय्य पुं० निवासस्थान निक्षिप्त वि० मूकेलं (२) नाखेल (३) निकार पु० अपमान; तिरस्कार (२) अनामत मूकेलं (४) तजी दीधेलं वध (३) गाळ (४) विरोध निक्षेप पुं० फेंकवं ते; नाखवू ते (२) निकारण न० वध; कतल थापण ; अनामत (३) काढी मूकवू ते; निकाश पुं० सांनिध्य ; नजीकपणुं (२) तजी देवं ते सरखापY(समासने अंते) (३)प्रकाश निक्षेपण न० नीचे मूकवं ते निकाष ० घस, ते (सराण इ० उपर) निक्षेपित वि० मुकावेलु (२) लखावेलं; निकास पुं० जुओ 'निकाश' कोतरावेलं निकुरंब, निकुरुंब न० टोळं; समूह निखन् १५० खोदवू (२) दाटq (३) निकुंज पुं०, न० लतामंडप (२)गुफा रोपवू (४) खोसवू; भोंक, निकुंभिला स्त्री० लंकाना पश्चिम दर निखनन न० खोदवं ते (२) रोपवू ते वाजे आवेली एक गुफा (२) ते तरफ निखर्व वि० वामणुं; ठीगणुं (२) आवेली भद्रकालीनी मूर्ति (३) ज्यां न० सो अबज बलिदान अपातां होय ते स्थान निखात वि० खोदेलं (२) रोपेलं निक ८ उ० अपमान करवं; हलकुं निखिल वि० आखं ; बधुं; तमाम पाडवू; ताबे करवू (२) ईजा करवी(३) निखिलेन अ० पूरेपूरुं; तमाम खराब वर्तन चलाव [नाखवू निगड वि० सांकळे बांधेलं (२) पुं०, निकृत् ६५० [निकृतति ] कापवं; कापी न० हाथीना पगे बंधाती सांकळ (३) निकृत वि० अपमानित ; तिरस्कृत सांकळ ; हेड; बेडी (२) पीडित (३) वंचित (४) दुष्ट ; नीच (५) न० तिरस्कार निगडन न० सांकळे बांध ते निकृति वि० दुष्ट ; नीच (२) स्त्री० निगडित वि० सांकळे बांधलं निगद् १ प० जाहेर करवू (२) दुष्टता; नीचता (३) अप्रमाणिकता; छेतरपिंडी (४) अपमान; तिरस्कार जणाववं; कहेवू (३) संबोधq (४) (५) दारिद्रय; दैन्य (६) पुं० शठ गणतरी करवी (५) नामथी ओळखवू निकृष् १, ६ प० ओछं करवू; बाद निगदित वि० कहेलु (२) प्रेरेलु करवू (२) खेंचवू; खेंची पाडवू निगम् १५० [निगच्छति ] पासे जq; निकृष्ट वि० नीच; अधम (२) नजीकनुं प्राप्त कर (२) -मां प्रवेश करवो निकृष्टयुद्ध न० हाथोहाथनी लडाई निगम पं० वेद ; वेदवाक्य (२) वेदना निकंतन वि० कापनारुं के कातरनार (२) अंगभूत के समजवामां सहायभूत न० कापq के कातरवू ते (३)निकंदन ग्रंथ (३) देव के संतनो उपदेश (४) (४) कापवानुं के कातरवार्नु साधन तर्कशास्त्र; नीतिशास्त्र (५) संघ; निकेत, निकेतक पुं० घर; रहेठाण काफलो (६) शहेर (७) निश्चय; निकेतन न० मकान; निवास प्रतिज्ञा ; खातरी (८) बजारनो मार्ग निक्वण, निक्वाण पुं० अवाज; रद निगमन न० तारवेलो निर्णय (२) निक्षिप् ६ प० नाखवू (२) नीचे मूकवू अंत; उपसंहार (३) सोंपवू; थापण तरीके मूकवू निगर पुं०, निगरण न० गळी जq ते (४) नीम; स्थापq (५) फेंकी निगल, निगाल पुं० गळी जq ते (२) देवं; तरछोडी काढवू घोडानुं गळं के डोक (३)सांकळ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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