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________________ नाला नाला स्त्री० पोलो डांडलो (कमळनो) नालि स्त्री० नस; नाडी ( २ ) पोलो sisलो (कमळनो) (३) २४ मिनिटनो समय; घडी (४) नीक नालिकेर पुं०, नालिकेलि ( -ली) स्त्री० नाये झाड के तेनुं फळ नाली स्त्री० जुओ 'नालि' नालीक पुं० बाण (२) भालो (३) बरछी (४) कमळदंड नावनीत वि० माखणनुं ( २ ) माखण जेवुं पोचुं - कोमळ (३) न० घी नाविक पुं० सुकानी (२) खलासी; वहाणवटी (३) नौकानो मुसाफर नाव्य वि० नौकामां बेसीने ओळंगी शकाय एवं (२) स्तुत्य, प्रशस्य ( ३ ) न० नवीनता; नवीनपणुं नाश पुं० अदृश्य थवं ते (२) संहार; पायमाली (३) मरण (४) दुर्भाग्य; आफत (५) नासी जवं ते नाशन वि० नाश करनाएं ; दूर करनाएं ( समासमा) (२) न० विनाश ( ३ ) दूर करवुं ते (४) मरण (५) विस्मरण नाशिन् वि० नाश पामनाएं ; नाशवंत (२) नाश करनाएं [ कुमा नासत्यो पुं० द्वि० व० बे अश्विनी - नासा स्त्री० नाक (२) सूंढ नासाग्र न० नाकनुं टेखूं नासारंध्र न०, नासाविरोक पुं०, नासाविवर न० नसकोरुं २३६ नासिका स्त्री० नाक (२) सूंढ नासिर, नासीर पुं० लश्करनो मोखरानो भाग ( २ ) मोखरे वसनार योद्धो नास्ति अ० न होय तेम नास्तिक वि० वेद, ईश्वर तथा पुनजन्मने न माननाएं नास्तिवाद पुं० नास्तिकवाद नाहुष पुं० ययाति राजा नांत वि० अंत विनानुं Jain Education International निकाय नांतरीयक वि० छूटुं न पाडी शकाय ते; कदी जुदुं न होय तेवी रीते संबद्ध नांदी स्त्री० हर्ष आनंद ( २ ) वैभव ; समृद्धि ( ३ ) ( धर्मविधि के नाटकना आरंभ) मंगळाचरणरूपे कराती देव के देवीनी ( आशीर्वचनयुक्त ) स्तुति (४) घणां वाद्योनो सामटो ध्वनि नांदीनाद पुं० आनंदनो ध्वनि नि अ० क्रियापद अथवा नामनी पूर्वे अधोगति, समूह, आज्ञा, सततता, बंधन, सामीप्य, अपमान, नुकसान आश्रय, कौशल्य, निश्चय, संशय, अंतर्भाव, उपराम, विरति, अतिशयता - ए अर्थ बतावे निकट वि० पासेनुं; नजीकनुं ( २ ) पुं०, न० सांनिष्य; पडोश निकम् १० आ० अत्यंत इच्छा राखवी निकर पुं० ढगलो (२) समूह; जथो निकर्तन न० कातरी के कापी नाख ते (२) निकंदन निकर्षण न० गाम पासेनी रमतगमत माटेनी खुल्ली जमीन ( २ ) आंगणुं निकष पुं० कसोटीनो पथ्थर ( २ ) कसोटी के परीक्षा करे तेवी कोई पण वस्तु ( ३ ) कसोटीना पथ्थर उपर करेली सोनानी रेखा " निकषप्रावन् पुं० कसोटीनो पथ्थर निकषण पुं० न० कसोटीनो पथ्थर (२) घसी काढवु ते निकषा अ० नजीक; पासे निकषोपल पुं० कसोटीनो पथ्थर निकाम वि० विपुल; यथेच्छ ; अत्यंत (२) नी इच्छावाळु (३) पुं०, न० इच्छा; मरजी यथेच्छ रीते; मरजी मुजब निकामम् अ० (२) पुष्कळ; अत्यंत निकाय पुं० ढगलो; समूह ( २ ) निवासस्थान ( ३ ) शरीर For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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