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________________ अधरात् अपरात् अ० नीचे; तळिये अधरीकृ ८ उ० पाछळ पाडी देवूहराव, अपरीभू १५० खोटुं ठरवू (अदालतमां) अघरेयः अ० आगले दिवसे (२) गई कालने आगले दिवसे अषरोत्तर वि० श्रेष्ठ अने कनिष्ठ (२) दूरनुं अने नजीकर्नु (३) हमणांनुं अने पछी, (४) अधिक अने न्यून (५)वहेलु अने मोडु (६) ऊलटी रीते अपरौष्ठ पुं० नीचलो होठ अधर्म पुं० शास्त्रविरुद्ध आचरण (२) . अनीति (३)पाप अपमिन् वि० धर्म विरुद्ध वर्तनाएं; पापी अधर्म्य वि०धर्मविरुद्ध (२) गेरकायदेसर अधवा स्त्री० विधवा अधश्चर पुं० चोर अबस् अ० नीचे; तळे ते अपस्करण न० हरावq ते(२)नीचुं पाडवू अषस्तन वि० नीचे आवेलु- रहेलु अपस्तल न० नीचेनुं तळ ; नीचेनो भाग अपस्तात् अ० नीचे; तळे [अधोगति अषःपात पुं० नीचेनी तरफ पडवं ते; अधि अ० उपर, ऊंचे, अधिक,श्रेण्ठ, -ने लगतुं, वधारानु, ए अर्थमां वपराय छे अधिक वि० वधु ; वधारे (२)मोटु (३) प्रख्यात(४)वधारानु(५)न० वधारो(६) नकामापणुं(७)अ० वधारे; वधारे पडतुं अधिकरण न० अधिकारे-पदे नियुक्त ..करवं ते (२) स्थान (३) आश्रय (४) वाक्यमां शब्दनो संबंध (५) विषय; प्रकरण; खंड (६) अधिकार; हक (७) पूर्णस्वामित्व (८) न्यायमंदिर (९) सरकारी खातुं अधिकद्धि (अधिक+ऋद्धि) वि० अतिशय 'वैभवसंपन्न अधिकाम वि० अतिशय कामनावाळू अधिकार पुं० सत्ता, पदवी (२) सोंपेलुं काम(३)राज्यव्यवस्था (४)स्वामित्वनो अपित्यका हक (५) ग्रंथविभाग-प्रकरण (६)मुख्य नियम, जे बीजा नियमो पर अधिकार चलावे छे (७) शब्दनो वाक्यमां संबंध अधिकारवत्, अधिकारिन् वि० अधिकारवाळु; सत्तावाळू (२)योग्य;उचित (३) पुं० व्यवस्थापक; अधिकारी (४) हकदार; वारसदार अधिकृ ८ उ० अधिकार होवो-आपको (२) संबंध होवो; अनुलक्षq (३) सहन करवू; अनुभवतुं (४) वश करवू; चडियाता थq अधिकृत वि० अधिकार पामेलं ; नीमेल (२) पुं० अधिकारी; निरीक्षक अधिकृत्य अ० उद्देशीने; संबंधमां अधिक्रम् १ उ० [अधिक्रामति-क्रमते ऊंचे चडवु (२) आक्रमण करवू अधिक्षिप् ६ प० अपमान करवू (२)निंदा करवी; गाळ देवी (३) उपर नाखवूफेंक (४)-थी चडियाता थq; पाछळ पाडी देवू अधिक्षेप पुं० अपमान; निंदा; गाळ (२) काढी मूकवू ते (३) फेंक - नाखवू ते अधिगण् १० उ० गणतरी करवी (२) ऊंची किंमत आंकवी अधिगत वि० जाणेलं (२) प्राप्त करेलु अधिगम् १ ५० [अधिगच्छति प्राप्त करवं; मेळव, (२) नजीक पहोंचवू - जवं (३) जाणवू (४) संग करवो । अधिगम पुं०, अधिगमन न० ज्ञान (२) प्राप्ति; लाभ (३) अभ्यास (४) स्वीकार (५) संग; समागम अधिगण वि० उत्कृष्ट;अधिक गुणवाळू (२)सारी रीते खेंचेलु (जेमके धनुष्यनी पणछ) अधिज्य वि. पणछ चडावेलुं (धनुष्य) अधिज्यकार्मुक,अधिज्यधन्वन् वि. जेणे धनुष्यनी पणछ चडावी छे तेवू अधित्यका स्त्री० पर्वतनी ऊंची भूमि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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