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________________ दंड् दंड १० उ० शिक्षा करवी; दंड करवो दंड पुं०, न० दंडो; लाकड़ी; सोटी (२) राजदंड (३) ब्रह्मचारी के संन्यासीनो दंड (४) दांडो (कमळनो) (५) हाथो ( छत्र इ० नो ) ( ६ ) शिक्षा; सजा ( ७ ) शिक्षा तरीके लेवातुं नाणुं (८) सेना; लश्कर (९ ) नियंत्रण; निग्रह (१०) राजनीतिशास्त्र दंडक पुं०, लाकड़ी; काठी (२) ध्वजस्तंभ (३) हार; ओळ दंडक पुं०, न०, दंडका स्त्री० नर्मदा अने गोदावरी नदी वच्चेनो प्रदेश दंडकारण्य न० दंडक वन ( दक्षिणमां ) दंडग्रहण न० संन्यास लेवो ते दंडच पुं० सैन्यनो विभाग दंडधर, दंडधार वि० शासन करनाएं; शिक्षा करनाएं ( २ ) पुं० राजा ( ३ ) सेनापति ( ४ ) यमराज दंडन न० शिक्षा करवी ते ; दंड करवो ते दंडनायक पुं० दंड करवानो अधिकार जेने छे ते ( न्यायाधीश, फोजदार, राजा) (२) सेनापति दंडनीति स्त्री० राजनीतिशास्त्र ( २ ) न्याय आपको ते (३) दुर्गा दंडपाणि पुं० यमराजा ( २ ) पोलीस दंडपाल, दंडपालक पुं० मुख्य न्यायाधीश (फोजदारी गुनानो) (२) द्वारपाळ दंडपाशक, दंडपाशिक पुं० मुख्य पोलीस अधिकारी ( २ ) फांसी आपनारो वंडमाणव, दंडमानव पुं० दंडधारी संन्यासी के ब्रह्मचारी (२) आगेवान; नायक [ ( नमस्कार करवा ते ) दंडवत् अ० दंडनी पेठे लांबा पडीने दंडाघात पुं० लाकडीथी मारवुं ते दंडादंडि अ० सामसामा लाकडीएलाकडीए (लडवुं ते) दंडाधिप पुं० मुख्य न्यायाधीश (फोजदारी गुनानो) २०६ Jain Education International दंत्य दंडानीक न० लश्करनो विभाग दंडार पुं० रथ; गाडी (२) (कुंभारनो) चाकडो ( ३ ) होडी (४) मदमां आवेलो हाथी (५) धनुष्य दंडिका स्त्री ० लाकड़ी; दंडो ( २ ) मोतीनी माळा; कंठहार ( ३ ) दोरडुं (४) ओळ; पंक्ति दंडिन् वि० दंडधारी (२) पुं० संन्यासी istan पुं० धमकी आपवी ते (२) सत्तानुं जोर अजमाव ते दंत पुं० दांत ( २ ) दंतूशळ ( ३ ) दंष्ट्रा वंतक पुं० दांत (२) शिखर ( ३ ) खूंटी ( ४ ) छाजली; अभराई दंतकार पुं० हाथीदांतनुं काम करनार दंतकाष्ठ न० दातण दंतकूर पुं० संग्राम; युद्ध तच्छद पुं० होठ [ते ( २ ) दातण दंतधाव पुं०, दंतधावन न० दातण क दंतपत्र न० एक कर्णभूषण तपत्रिका स्त्री० एक कर्णभूषण (२) कांसकी (३) कुंद पुष्प inपांचालिका स्त्री० हाथीदांतनी पूतळी वंतप्रक्षालन न० दांत साफ करवा ते दंतवस्त्र, दंतवासस् न० होठ दंतवीणा स्त्री० एक तंतुवाद्य (२) दांत ककडवा ते (टाढथी) दंतव्यापार पुं० हाथीदांतनो हुन्नर दंतालिका, दंताली स्त्री० लगाम वंतावल, दंतिन् पुं० हाथी दंतुर वि० लांबा अने बहार नीकळता दांतवाळं (२) ऊंचं नीचुं (३) कांटा ऊभा थया होय तेवुं; रोमांचित दंतुरित वि० दांत (२) ऊंच नीचुं; खरबचड़ (३) खरडायेलुं; छवायेलुं दंतोलूखलिक पुं० भरडया - खांडया विनानुं धान्य खानारो अरण्यवासी के तपस्वी दंत्य वि० दंतस्थानी (वर्ण) ( व्या० ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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