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________________ वर्शनीय २०५ वहर दर्शनीय वि० सुंदर; जोवा योग्य (२) दशमुख पुं० रावण चंद्रना पिता बताववा-रजू करवायोग्य (अदालतमां)। दशरथ पुं० अयोध्याना राजा; रामदर्शयित वि० दर्शावनाएं (२) दोरनारु दशरूपक न० नाटकना दश प्रकार दर्श-दर्शम् अ० दरेक नजरे दशवक्त्र, वशवदन पुं० रावण दर्शित वि० दर्शावेलु; बतावेलु (२) दशविध वि० दश प्रकारनुं समजावेलं; साबित करेलं दशशतनयन, दशशताक्ष पुं० इंद्र (हजार वशिन् वि० (समासने अंते) जोतुं; आंखवाळो) समजतुं; नजर राखतुं; दर्शावतुं (२) दशहरा स्त्री० गंगानदी (दश पापनो -लेवानी ज पेरवी राखतुं नाश करनारी) (२) दशेरा दल १५० तोडq; फोडवू; चीरवं; दशा स्त्री० वणेला ताकानी दशी फाडवू (२)खीलवू; विकसQ - आंतरी (२) वस्त्रनो छेडो (३) -प्रेरक० फाडवू; चीरवु(२)कापवू; दिवेट (४)जीवननी अवस्था-स्थिति टुकडा करवा (३)करमाई जर्बु (बाल्य, यौवन इ०) (५) कर्मफळ दल पुं०, न० भाग; टुकडो (२)पांखडी; रूपे प्राप्त थती स्थिति कुमळू पान करवो ते दशानन पुं० रावण दलन न० भांगवु-फोडq-तोडq-चूरो । दशाभाग पुं० खराब दशा दलित ('दल्'नुं भू००)वि० भांगेलं; दशार्ष न० पांच (संख्या) तुटेलु ; फोडेलु; फूटेलु (२) विकसेल; दशावताराः पुं० ब० व० विष्णुना दश खीलेलं (३) पग तळे रोळेलु अवतार (मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, दव पुं० जंगल (२) दावानळ वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध दवथु पुं० ताप (२) संताप ; गुस्सो अने कल्कि ) अंत दवदहन पुं० दावानळ दशांत पुं० दिवेटनो छेडो (२)जीवननो दवाग्नि, दवानल पुं० जुओ 'दवदहन' दशांतर न० जीवननी जुदी-जुदी (सुखदविष्ठ वि० सौथी वधारे दूर ('दूर' नुं दुःखवाळी) स्थिति श्रेष्ठतात्मक रूप) दशांश (दशन् + अंश) पुं० दशमो भाग दवीयस् वि० वधारे दूर ('दूर' नुं तुल- दशांश (दशा + अंश) पुं० खराब नात्मक रूप) अवस्था; दुःखना दहाडा शक न० दशनो समूह दशेरक पुं० नानुं ऊंट (२) गधेडो दशकंठ, दशकंधर, दशग्रीव पुं० रावण दष्ट ('दंश्' नुं भू० कृ०) वि० दंशित; वशधा अ० दश प्रकारे; दश रीते करडायेलं वशन् वि० दश; दस (संख्या) दसेरक पुं० जुओ 'दशेरक' दशन पुं०, न० दांत (२) करडवू ते दस्यु पुं० चोर (२)आवश्यक संस्कार दशनच्छद पुं० होठ न कर्या होवाथी बहिष्कृत माणस (३) दशनपद न दांत बेठा होय तेनुं चिह्न राक्षस (४) शत्रु (५) जुलमी माणस दशनांशु पुं० दांतनो चळकाट दह, १५० बळवं; बाळq (२) नाश दशम वि० दशम करवो (३) दुःख देवं; पीडबुं दशमी स्त्री० दशमी तिथि (२) दहन वि० बाळनारुं (२)विनाशक (३) आयुष्यनो दशमो दशको (३)सकानां पुं० अग्नि [पुं० हृदयाकाश छेल्लां दश वर्ष दहर वि० नाचें; सूक्ष्म ; झीj (२) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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