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________________ गजगति गजगति स्त्री० हाथीना जेवी चाल गजगामिनी स्त्री० हाथीना जेवी चालवाळी स्त्री गजता स्त्री० हाथीओनुं जूथ गजदन वि० हाथी जेटलु ऊंचुं गजदंत पुं० गणपति (२) हाथीदांत (३) भीतमांनी खीली; खींटी गजद्वयस वि० जुओ 'गजदघ्न' गजनिमीलिका स्त्री०, गजनिमोलित न० हाथीनी पेठे कशा तरफ आंख बंध करवी ते; जोता होवा छतां, जोयानो ढोंग करवो ते गजपुंगव पुं० मोटो - श्रेष्ठ हाथी गजमुक्ता स्त्री०, गजमौक्तिक न० हाथीना कुंभस्थळमां पेदा यतुं मनातुं मोती गजयूथ न० हाथीनुं टोळं गजस्नान न० हाथीना स्नान जेवी निरुपयोगी प्रवृत्ति ( हाथी नाह्या पछी शरीर उपर धूळ फेंके छे ) गजानन पुं० गणपति गजापसद पुं० हलको हाथी ; तुच्छ हाथी गजारि पुं० सिंह गजारोह पुं० महावत गजेंद्र पुं० श्रेष्ठ हाथी; मोटो हाथी गडि पुं० वाछडो; जुवान आखलो (२) आळसु बळद गड्डर (-ल) पुं० घेटुं गडरिका स्त्री० घेटांनी हार गरिकाप्रवाह पुं० गाडरियो प्रवाह गण् १० उ० गणवुं; गणतरी करवी (२) किंमत आंकवी (३) दरकार राखवी ( ४ ) मानवुं -मां गणना करवी (५.) ध्यानमा लेबुं गण पुं० समूह; समुदाय; टोळं (२) वर्ग ; मंडळ ( ३ ) शंकरनो अनुयायी वर्ग गणक पुं० गणितशास्त्री ( २ ) ज्योतिषी गणन न० गणवुं ते; गणतरी करवी ते (२) मानवुं - धारखं ते Jain Education International गताषि गणना स्त्री० गणतरी ( २ ) लेखं गणपति, गणाधिपति पुं० शंकर (२) गजानन - गणेश [शास्त्रज्ञ गणि स्त्री० गणवुं ते; गणतरी (२) पुं० गणिका स्त्री० वेश्या ( २ ) हाथणी गणित ( 'गण' नुं भू० कृ० ) वि० गणेलं (२) ध्यानमा - गणतरीमा लेवायेलु न० गणितशास्त्र १५१ गणिन् वि० गण - टोळं जेने छे तेवुं (२) पुं० आचार्य गणेश पुं० गणपति गण्य वि० गणनामां लेवा जेवुं ( २ ) ( समासने अंते ) - ना वर्गनुं गत ('गम्' नुं भू० कृ० ) वि० गयेलुं (२) मृत ( ३ ) नष्ट (४) जाणेलु; समजेलुं (५) (दशा) पामेलुं ( ६ ) -ने लगतुं; -ने विषेनुं ( समासमा ) (७) न० गमन; जबुं ते ( ८ ) गति;चाल गतत्रप वि० निर्लज्ज; शरम वितानुं गतदिनम् अ० गई काले गतप्रभ वि० शोभारहित; कांतिरहित गतप्राय वि० लगभग पूरुं थयेलुं - गये लुं गतभर्तृका स्त्री० विधवा (२) जेनो पति परदेश गयो होय तेबी स्त्री गतमनस्क वि० नो विचार कर गतवयस् वि० वृद्ध; प्रौढ गतव्यथ वि० जेनुं दुःख दूर थयुं छे तेबुं [करतुं गतश्रम वि० श्रम के दुःखनो विचार न गतसत्त्व वि० मृत; निर्जीव (२) नीच गतसंग वि० आसक्ति विनानुं ( २ ) - थी विमुख; -ना प्रत्ये उपेक्षावाळं गतस्पृह वि० स्पृहा बिनानुं ( २ ) दया • माया विनानुं 1 गतागत न० जनुं आववुं ते (२) वारंवार जन्म-मरण ( ३ ) स्थळ बदलवु ते ( ४ ) भूत-भविष्यनुं वर्णन ताधि वि० चिंतामुक्त For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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