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________________ क्षयिन् क्षयिन् वि० नाशवंत; घटतु; ओछु थनाएं (२) क्षयना रोगवाळु क्षयिष्णु वि० क्षय -नाश पामनाएं क्षर् १ प ० वहेवुं (२) टपकवु झवुं (३) क्षय पामवो; क्षीण धनुं ( ४ ) ओगळवु (५) सरवु; सरकी जवं क्षर वि० क्षीण थतुं ; नाशवंत ( २ ) जंगम (३) न० देह; शरीर ( ४ ) प्रकृति क्षरण न० झरवुं ते; वहेदुं ते (२) परसेवो वळवो ते - क्षल १० उ० धोवुं धोई काढवु (२) लूछी नाखवुं क्षंतव्य वि० क्षमा करवा योग्य क्षंतु वि० क्षमाशील (२) सहनशील क्षा स्त्री० पृथ्वी (२) निद्रा क्षात्र वि० क्षत्रियनुं (२) न० क्षत्रिय जाति ( ३ ) क्षत्रियना गुणधर्म ( शौर्य, पराक्रम वगेरे) क्षाम वि० कृश; क्षीण; दूबळु ( २ ) अल्प; नानुं ; ओछं ( ३ ) निर्बळ; अशक्त ( ४ ) न० नाश क्षामा स्त्री० पृथ्वी क्षाग्य वि० सहन करवुं पडे तेवुं (२) क्षमा करवी पडे ते १४६ Jain Education International क्षार वि० खाएं (२) तीखुं ( ३ ) कडवुं (४) क्षारना गुणवाळं (५) पुं० मोठं; खार; कोई पण क्षारधर्मी पदार्थ क्षारित वि० खोटं आळ मुकायेलु क्षाल, क्षालन न० धोवुं ते; धोई काढवु ते क्षालित ('क्ष' नुं भू० कृ० ) वि० धोयेलुं (२) धोई नाखेलुं; लुछी काढलं क्षांत ('क्षम् ' नुं भू० कृ० ) वि० सहन करेलुं (२) क्षमा करेलुं ( ३ ) सहनशील; सहिष्णु ( ४ ) न० धैर्य; क्षमा शांति स्त्री० क्षमा (२) सहनशीलता क्षि १ प० घसाई जवुं ; ओछु थवं ; क्षय पामवो ( २ ) १,५,९१० नाश करवो; क्षीण करवु; ईजा करवी ( ३ ) विताववु (४) ६ प ० [ क्षियति ] रहेवुं; वसवुं क्षीव क्षित् वि० राज्य करनारु; शासक क्षित ( 'क्षि'नुं भू० कृ० ) वि० मारी नाखेलुं (२) क्षीण करेलुं क्षिता स्त्री० पृथ्वी क्षिति स्त्री० पृथ्वी; जमीन ( २ ) निवासस्थान; घर ( ३ ) नुकसान; हानि ( ४ ) महाप्रलय ( ५ ) समृद्धि क्षितिकंप पुं० धरतीकंप क्षितिक्षित् पुं० राजा क्षितिज पुं० वृक्ष (२) न० क्षितिज; क्षितिजा स्त्री० सीता [दृष्टिमर्यादा क्षितितल न० पृथ्वीनी सपाटी - तल क्षितिषर पुं० पर्वत क्षितिनाथ, क्षितिप, क्षितिपति, क्षितिपाल, क्षितिभुज् पुं० राजा क्षितिभृत् पुं० राजा ( २ ) पर्वत क्षितिरह पुं० वृक्ष क्षितिस्पृश् वि० पृथ्वीनो निवासी; मनुष्य क्षितीश पुं० राजा क्षिप् ६ उ० फेंकवु; नाखबुं (२) उपर मूकवुं (३) फेंकी देव; उतारी नाखबुं (४) दूर करवु; नाश करवो (५) मारी नाखवु ( ६ ) तिरस्कार करवो (७) पीडवुं क्षिप्त ( ' क्षिप् ' नुं भू० कृ० ) वि० फेंकालु नखायेलु (२) तजेलुं (३) उपेक्षित अनादृत ( ४ ) मुकायेलं (५) विक्षिप्त; गांड [मनस्क क्षिप्तचित्त वि० व्यग्र चित्तवाळु अन्यक्षिप्र वि० उतावळं; त्वरित क्षिप्रकारिन् वि०चालाक ; त्वरायी काम करनाएं क्षिप्रम् अ० एकदम ; जलदी क्षीण वि० कृश; दुबळं; घसाई गयेलुं; जीर्ण थई गयेलुं (२) नाजुक (३) नानुं; अल्प ( ४ ) गरीब ( ५ ) निर्बळ; अशक्त ( ६ ) नाश पामेलुं क्षीणमध्य वि० पातळी कमरवाळु क्षीब वि० जुओ 'क्षीव ' For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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