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________________ क्षत्रिय क्वणित १४५ क्षयरोग क्वणित न० अवाज; वाद्यनो अवाज क्षतृ पुं० सारथि (२) द्वारपाळ (३) क्वय् १ प० उकाळवु __क्षत्रिय स्त्रीने शूद्रथी थयेलो पुत्र (४) क्वाण पुं० ध्वनि दासीपुत्र क्वाथ पुं० उकाळो - काढो क्षत्र पुं०, न० क्षत्रिय जातिनो पुरुष क्वापि अ० क्यांक; कोई ठेकाणे (२) क्षत्रिय जाति (३) सैनिक (४) क्षण ८ उ० ईजा करवी; घायल करवू ___ सामर्थ्य ; शक्ति; सत्ता (५) हिंसा (२) भांगीने ककडा करवा क्षत्रबंधु पुं० नामनो ज क्षत्रिय ; अधम क्षण पुं०, न० वखतनुं एक माप;सेकंडनो [वर्णनो पुरुष १ भाग; पळ (२) विश्रांति; फुरसद (३) क्षत्रिय पुं० चार वर्णोमांना बीजा क्षत्रिय योग्य समय; तक; अवसर (४) उत्सव; क्षप् १० उ० फेंकबुं आनंद; पर्व (५) निश्चय ; नियम क्षपणक पुं० बौद्ध के जैन भिक्ष क्षणकर पुं० चंद्र क्षपा स्त्री० रात्रि क्षणक्षेप पुं० क्षणनो विलंब सपाकर पुं० चंद्र क्षणचर पु० राक्षस अपावर पुं० राक्षस: निशाबर क्षणदा स्त्री० रात्री शपानाय पुं० चंद्र करेलु क्षणदाकर पुं० चंद्र अपित वि० नाश करेल; घटाडेलं क्षीण क्षणदाचर पुं० निशाचर; राक्षस जम् १ आ० क्षमते, ४ प०क्षिाम्यति अणधुति, क्षणप्रकाशा, अणप्रभा स्त्री० क्षमा करदी (२) सहन करा (३) धैर्य वीजळी नाशवंत राखg: राह जोगी (४) शक्तिमान क्षणभंगुर वि० क्षणमां नाश पामे तेवं; थg - हो (५) सामं थq भणमात्रम् अ० क्षण वार माटे क्षम वि० क्षमाशील (२) सहनशील (३) अणषिध्वंसिन वि० क्षणभंगर समर्थ ; शक्तिमान (४) अनुकूळ (५) क्षणिक वि० क्षण सुधी चालतुं; क्षणमां योग्य ; लायक (६) सहन थई शके तेवू नाश पामतुं क्षमणीय वि० सहन करवा योग्य (२) क्षणेक्षणे अ० हरघडी; दरेक पळे क्षमा करवा योग्य अत् स्त्री० मारी नाखवू ते; वध (२) क्षमा स्त्री० खामोशी; दरगुजर करवू ईजा; पीडा ते; माफी (२) पृथ्वी क्षत ('क्षण'नें भू० कृ०) वि० जखमी; क्षमान्वित वि० क्षमावान; क्षमायुक्त घवायेलं (२) फाडी नाखेलं; भागी क्षमापन न० शमा - माफी मागवी ते नाखेलु; कचरी नाखेलं; क्षीण करेलु समाभृत् पुं० पर्वत (२) राजा (३) न० जखम ; व्रण (४) वलूरो क्षमिन् वि० क्षमाशील; धैर्यवान (५) पीडा; संकट क्षय पुं० घर; निवास (२) घसारो; क्षतज न० रक्त; लोही क्षीण थq ते ; घटq ते (३) एक रोग; मतवृत्ति वि० आजीविकानुं कांई साधन घासणी (४)अंत; नाश; ह्रास (५)प्रलय रहेवा देवामां न आव्यु होय ते, क्षयकाल पुं० प्रलयकाल क्षति स्त्री० प्रहार; ईजा (२) व्रण; क्षययु पुं० खांसी; उधरस; छींक जखम (३) नाश (४) हानि ; नुकसान क्षयपक्ष पुं० कृष्णपक्ष ; अंधारियु (५) प्रमाद ; भूल (६)पडती;क्षय क्षयरोग पुं० एक रोग; घासणी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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