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________________ कौशल १४३ क्रियाविशेषण कौशल न० क्षेमकुशळ होवापणु (२) क्रमागत, क्रमायात वि० अनुक्रमे - वंशकुशळता; निपुणता परंपराथी चालतु आवेलु कौशलिक न० लांच क्रमेलक पुं० ऊंट कौशलेय पुं० कौशल्याना पुत्र - राम क्रय पुं० खरीदq ते; खरीदी कौशल्य न० जुओ कौशल ऋयिक वि० खरीदनारं कौशल्यायनि पुं० जुओ 'कौशलेय' । क्रव्य न० काचुं मांस कौशिक वि० म्यानमां रहेलु (२)रेशमी ऋव्यभुज, ऋव्याद् (-4) पुं० वाघ वगेरे (३)कुशिकना वंशनु (४)पुं० विश्वामित्र हिंस्र प्राणी (२) राक्षस (५) इंद्र (६) घुवड (७) नोळियो कंद १५० बम पाडवी; रडवू; विलाप (८) गारुडी (९) न० रेशमी वस्त्र करवो (२)दयाजनक रीते बोलाव कौशिकाराति, कौशिकारि पं० कागडो क्रंदन, कंदित न० दुःखनो विलाप के कौशिको स्त्री० पृथ्वी (२) दुर्गा पोकार (२) पडकार कौशेय, कोषेय न० रेशम(२)रेशमी वस्त्र काकचिक पुं० लाकडां वहेरनारो कौसुम वि० फूलन; फूल संबंधी क्रांत ('कम्'- भू.कृ.)वि० गयेलु (२) कौसुंभ वि० कसूबी ; लाल रंगर्नु । हुमलो करायेलु (३)आरूढ (४) अतीत कौस्तुभ पुं० समुद्रमंथनमांथी नीकळेला (५)व्यापेलं (६)उल्लंघन करेलु १४ रनोमान एक; एक मणि तिने कांतशिन वि० सर्वज्ञ विष्णु धारण करे छे) क्रांति स्त्री० जq ते; आगळ वध ते कौंजर वि० हाथी- [अर्जुन) (२) ओळंगी जq ते (३)पगलं (४) कौंतेय पुं० कुंतापुत्र (युधिष्ठर, भीम, हुमलो करवो ते; ताबे करवं ते क्रकच पुं० करवत (२) एक वाद्य । क्रिमि स्त्री० जंतु; कीडो ऋतु पुं० यज्ञ (२)विष्णु (३)संकल्प । क्रिया स्त्री० करवू ते; पार पाडवं ते (२) क्रम् १ उ० [कामति; क्रमते],४५० कर्म; कार्य (३) प्रवृत्ति; शारीरिक [काम्यति] जq; चालवू (२) पासे क्रिया; मजूरी (४) शिक्षण (५) ज, (३) ओळंगी जवु (४) कूदq नृत्य-संगीत आदि कळा (६)अमल; (५) ऊंचे चड, (६) चडियातुं थर्बु आचरण ('शास्त्र' थी ऊलटुं) (७) (७) माथे लेबु (काम) (८) सिद्ध साहित्य-कृति (८) धार्मिक क्रिया; कर-पार पाडवु (९)वृद्धि पामवी; प्रायश्चित; श्राद्ध (९) व्याधिनो विकास थवो उपचार (१०)गति (११)क्रियापद क्रम पुं० पगलं; डगलं (२) पग (३) क्रियापद न० क्रिया बतावनारंपद(व्या०) जवू ते; पसार थq ते (४) पद्धति; क्रियापर वि० कार्य करवाने तत्पर; अनुक्रम; परिपाटी (५) आचरण; कार्यमा प्रवृत्त आरंभ (६) पकड (७) हुमलो करता कियामाधुर्य न० शिल्पकळानं सौंदर्य पहेलांनी तैयारी (पशुनी) कियावत् वि० आचरणमां लागेलं; कमण न० जq ते; डग भरवू ते (२) व्यवहारकुशळ. (२) योग्य विधिथी डगलं; पगलं क्रियाओ करनारं क्रमतस् अ० क्रमे कमे; धीमे धीमे क्रियाविशेषण न० क्रियापदना विशेषण क्रमशस् अ. क्रम प्रमाणे तरीके वपरातो शब्द (व्या०) पानी) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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