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________________ कल्पना कल्पना स्त्री० निश्चित कर, ते (२) आचरQ-अनुष्ठान करवू ते(३) रचना; गोठवण (४) शणगारवं ते (५) धारणा; ख्याल (६) कोई पण बाबतनी मनमां थती प्रथम रचना कल्पपादप पुं० जुओ 'कल्पतरु' कल्पलता, कल्पवल्ली स्त्री० कल्पवृक्षनी जेम इच्छेलुं आपती मनाती लता कल्पविद् वि० शास्त्रविधि जाणनाएं कल्पवृक्ष पुं० जुओ 'कल्पतरु' कल्पादि पुं० सृष्टिनो आरंभकाळ कल्पांत पुं० कल्पनो अंत - जगतनो प्रलयकाळ कल्पिक वि० योग्य; उचित कल्पित वि० गोठवेलं; रचेलु (२) नक्की करेलु (३) तैयार करेलु; सज्ज करेलु (४) अटकळ करेलु; कल्पेलं कल्मष वि० पापी ; दुष्ट (२) मेलं; गंदूं (३)पुं०, न० डाघो; मेल (४)पाप कल्माष वि० रंगबेरंगी (२) धोळा अने काळा रंगकल्माषी स्त्री० यमुना नदी कल्य वि० नीरोगी; तंदुरस्त (२)सज्जा तैयार (३) दक्ष; कुशळ (४) शुभ ; अनुकूळ (५) न० परोढ (६) आवती काल (७) पुं० उपाय (८) (अस्त्र) फेंक ते तुच्छ वस्तु कल्यवर्त पुं० सवारनो नास्तो (२) न० कल्याण वि० सुखी; सुभागी (२) मंगळ ; शुभ (३) सुन्दर (४) उत्कृष्ट ; श्रेष्ठ (५) प्रमाणभूत; साचुं (६) न० सुख ; सौभाग्य (७)सत्कर्म ; पुण्य कल्याणकृत् वि० कल्याण आचरनाएं (२) शुभ (३) पुण्यशाळी कल्लि अ० काले कल्लोल पुं० मोटुं मोजु (२) आनंद कल्लोलिनी स्त्री० नदी कल्हार न० धोळं कमळ कवाय कव् १ आ० प्रशंसा करवी (२) काव्य रचवू; वर्णन करवू (३) चीतरवू । कवच पुं०, न० बख्तर (२) तावीज (३) मूठ-चोटमांथी रक्षण करतो मनातो मंत्रोच्चार (हुम्-हूम) कवर वि० जुओ कबर' कवरी स्त्री० जुओ 'कबरी' कवल पुं०, न० कोळियो कवलित वि० कोळियो करायेलं कवाट पुं०, न० जुओ ‘कपाट' कवि वि० सर्वज्ञ; क्रांतदर्शी (२) पुं० ज्ञानी; विद्वान (३) कविता रचनार (४) शुक्राचार्य कविका स्त्री० (घोडाना) मोढामां रहेतो लगामनो भाग कविता स्त्री० काव्य; पदबंध कवोष्ण वि० कोकरवायु; नवसेकुं कव्य न० पितृओने अपातो बलि कव्यवाह (-ह) पुं० अग्नि कश पुं० (मुख्यत्वे ब० व०मां) चाबुक कशा स्त्री० चाबुक कशिक पुं० नोळियो कश्मल वि० मेलु; गं, (२) अकीर्तिकर (३) न० खेद; निराशा (४) पाप कश्मीरज पुं० केशर कष् १ उ० खण; घसवं (२) परीक्षा करवी (कसोटीना पथ्थर उपर) (३) ईजा करवी; नाश करवो । कष पुं० खणवू- घस, ते (२) कसोटी नो पथ्थर कषण न० घसq ते; खणवू ते (२) कसोटी करवी ते (सोनानी) कषा स्त्री० जुओ कशा' कषाय वि० तूरुं; कडूचुं (२) सुवासित (३) गेरुवा रंगर्नु; रंगेलुं (४) मधुर अवाजवाळं (५) पुं०, न० कटाणोकडूचो स्वाद (६) गेरुवो-भगवो रंग (७) काट ; मेल (८) कावो; उकाळो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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