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________________ इष (४) संमत थवुं ( ५ ) अपेक्षा राखवी (६) याचबुं इष पुं० आसो महिनो इषिका स्त्री० मुंज घासनी वचली सळी (२) शर (बरु) नुं राडुं इषु पुं० बाण इकार पुं० बाण बनावनार इषुधि पुं० बाणनो भाथो इष्ट ('इष' नुं भू० कृ० ) वि० इच्छेलुं (२) हितावह (३) प्रिय; मनगमतुं (४) योग्य (५) पूजेलुं (६) यज्ञ वडे पूजेलुं (७) कल्पेलुं ( गणित ) ( ८ ) पुं० प्रियजन; प्रेमी ( ९ ) पति ( १० ) मित्र (११) न० इच्छा (१२) यज्ञ इष्टका स्त्री० ईंट इष्टकामदुहू वि० इच्छित फळ. आपना इष्टदेव पु०, इष्टदेवता स्त्री० प्रिय - पोतानी आस्थानो देव (२) कुळदेव इष्टभागिन् वि० पोतानुं इच्छेलुं जेने मळधुं छे तेवुं इष्टापत्ति स्त्री० इच्छेलं बनवुं ते (२) विरुद्ध पक्ष तरफथी अनुकूळ कार्य के दलील इष्टापूर्त न०, इष्टापूर्ति स्त्री० यज्ञयागथी तथा वावकूवा कराववाथी थतुं पुण्य इष्टि स्त्री० एक जातनो यज्ञ इष्यत् वि० भविष्यनुं ; भावि इब्वसन, इष्वस्त्र न० धनुष्य इष्वास पुं० धनुष्य ( २ ) धनुर्धारी योद्धो इस अ० क्रोध, दुःख के शोक दर्शावे इह अ० अहीं (२) आ दुनियामां (३) आ समये इहत्य वि० अहीं; आ दुनियानुं इहलोक पुं० आ दुनिया; आ जीवन इहामुत्र अ० आ लोकमां अने परलोकमां इंग् १ उ० हालवु; कंपवुं ( २ ) जवुं इंग वि० जंगम; अस्थिर इंगित ('इंग्' नुं भू० कृ० ) वि० हालेलुं; Jain Education International ८७ इंद्रियसुख कंपेलु (२) न० इशारों; संकेत ( ३ ) मनोविकारनुं बाह्य चिह्न - चेष्टा (४) मननो गुप्त भाव इंगुदी स्त्री० एक वृक्ष; इंगोरियो इंदिरा स्त्री० लक्ष्मी ( २ ) शोभा ; कांति इंदिवर न० भूरुं कमळ इंदिदिर पुं० मोटो भमरो इंदीवर न० भूरुं कमळ इंदु पुं० चंद्र ( २ ) कपूर इंदुकांत पुं० चंद्रकांत मणि इंदुमती स्त्री० पूर्णिमा (२) अज राजानी इंदुमौलि पुं० शंकर; शिव इंदुशेखर पुं० जुओ 'इंदुमौलि' इंदूर पुं० उंदर पत्नी इंद्र पुं० देवोनो राजा (२) मेघोनो राजा (३) अधिपति; शासक ( ४ ) राजा (५) आत्मा; जीव (६) ते ते वर्गमां 'श्रेष्ठ', 'उत्तम' एवो अर्थ दर्शावे (उदा० नरेंद्र मृगेंद्र ) इंद्रकील पुं० मंदर पर्वत इंद्रचाप पुं० मेघधनुष्य इंद्रजाल न० जादु; नजरबंधी इंद्रनील पुं० नीलम इंद्रमह पुं० इंद्रनी पूजा माटेनो उत्सव (२) वर्षाऋतु इंद्रमह - कामुक पुं० कूतरो इंद्रलोक पुं० स्वर्ग इंद्रशत्रु पुं० प्रह्लाद (२) वृत्र इंद्रानुज पुं० विष्णु; उपेन्द्र इंद्रायुध न० वज्र ( २ ) इंद्रधनुष्य इंद्रारि पुं० असुर राक्षस इंद्रासन न० इंद्रनुं सिंहासन इंद्रिय न० शरीरनुं ज्ञान तथा कर्म माटेनुं (बाह्य के आंतर) साधन इंद्रियगोचर वि० इंद्रियोथी जोई शकाय के समजी शकाय एवं (२) पुं० इंद्रियनो विषय इंद्रियग्राम न० इंद्रियोनो समूह इंद्रियसुख न० विषयभोगनुं सुख For Private & Personal Use Only + www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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