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________________ इतर इतर स० ना०, वि० बीजं; वेमांनुं बीजु(२)बाकीना बीजा (ब०व०मां)(३) -श्री जुदुं ४)-थी ऊलटु (५)क्षुद्र; नीच इतरतस, इतरत्र अ० जुदी रीते ; बीजी रोते (२) अन्यत्र ; बीजे ठेकाणे इतरथा अ० बीजी रीते; ऊलटी रीते (२) नहि तो इतरेतर सन्ना०, वि० परस्पर; अन्योन्य इतरेधुस् अ० वीजे दिवसे इतस् अ० अहींथी ; आथी; आ समयथी; आ स्थळथी; आ बाजुथी (२) अहीं; आ बाजु; मारे पक्षे (३) आ कारणथी (४) आ दुनियामांथी इतस्- इतस् अ०एक वाजु-बीजी वाजु इतस्ततः अ० अहीं नहीं ; आम तेम इति अ० प्रकार, उद्देश्य, कारण, आधार, दृष्टांत, अभिप्राय तथा वाक्यसमाप्ति दवे (२) उतारो करेलो भाग दर्शाववा अंते मुकाय (अवतरणचिह्नमा अर्थमां) इतिकथ वि० विश्वास न मूकवा लायक (२) नष्ट-भ्रष्ट इतिकथा स्त्री० निरर्थक वात इतिकर्तव्य वि. अमुक विधि प्रमाणे करवा योग्य (२) न० कर्तव्य : फरज इतिकर्तव्यता स्त्री० आवश्यक कर्तव्य (२) करवं जोईए ते कार्य . इतिवृत्त न० वनाव; हकीकत; वृत्तान्त (२) कथा; वार्ता इतिह अ० आ प्रमाणे; परंपरा प्रमाणे इतिहास पुं० दंतकथा के परंपराथी चालती आवेली वात (२) बीरकथा (३) तवारीख ; भूतकाळनुं वृत्तांतः इस्थम् अ० आ प्रमाणे ; ते प्रमाणे .. इत्थंभूत वि० आ प्रकारे बनेलं इत्यर्थ पुं० तात्पर्य ; भावार्थ ; टूको सार इत्यर्थम अ० आहेतुथी इत्यादि वि० वगेरे. इदम् स० ना०, वि० 'आ' (२) अ० आ प्रकारे; आ प्रमाणे इदंतन वि० आ समयन; वर्तमान इदानीम् अ० हवे; हमणां; आजकाल (२) आ समये पण इदानींसन वि० हमणांनं; आधुनिक इद्ध ('इंध्'न भू० कृ.०) वि० सळगावेलु प्रदीप्त (२) प्रकाशित; तेजस्वी (३) चोख्खं; स्वच्छ (४) पळायेलं; अनुसरायेलु (आज्ञा) (५) न० ताप; तडको (६) तेज; दीप्ति (७) आश्चर्य इद्धदीधिति पुं० अग्नि इद्धा अ० उघाडु; खुल्लं; स्पष्ट इध्म पुं० बळतण; इंधण इन पुं० सूर्य (२) राजा; स्वामी इनकांत पुं० सूर्यकांत मणि इभ पुं० हाथी इभ्य वि० श्रीमंत ; धनिक (२) पुं० राजा (३) हाथीनी महावत इयत वि० आटलं; एटलं इयत्ता स्त्री० आटलापणुं (२) प्रमाण; परिमाण (३) सीमा; हद प्रकामा इरम्मद पुं० वीजळीना कडाका साथेनो इरा स्त्री० पृथ्वी (२) वाणी (३) सरस्वती (४) जळ (५) अन्न इरावत् वि० खानपानथी सुखी इरिण न० खारवाळी जमीन इरेश पुं० परब्रह्म ; विष्णु फेंकवं इल ६५०, १० उ० जर्बु (२) ऊंध, (३) इला स्त्री० पृथ्वी (२) गाय (३) वाणी इलाधर पुं० पर्वत इलावृत्त न० पृथ्वीना नत्र खंडो (वर्प) मांनो एक खंड इव अ० पेठे ; जेम (२) जाणे के (३) कदाच ; क्यांक ; थोडुक (४) (प्रश्नार्थ शब्दो साथे) खरेखर -- शु'? इष ६५० इच्छति इच्छवं (२) पसंद कर (३) प्राप्त करवा यत्न करवो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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