SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 17
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रश्न-सुमन्तु, जैमिनि, वैशंपायन, पैल किसी पहले युग वाले व्यास के शिष्य थे | वे पाराशर्य व्यास के शिष्य न थे, अतः यही ब्राह्मण-ग्रन्थ महाभारत से बहुत पहले काल के हैं। ___उत्तर-ऐसी निराधार कल्पना मत करो । यह आर्येतिहास के विरुद्ध है । देखो महाभारत, शान्तिपर्व, अध्याय ३३५ में कहा है विविक्त पर्वततटे पाराशर्यो महातपाः। वेदानध्यापयामास व्यासः शिष्यान् महातपाः ॥ २६ ॥ सुमन्तुं च महाभागं वैशंपायनमेव च । जैमिनि च महाप्राज्ञ पैलं चापि तपस्विनम् ॥ २७ ॥ यहां स्पष्ट ही कहा है कि ये सुमन्त्वााद पाराशर्य व्यास के शिष्य थे । और क्या ये सब ब्राह्मण-ग्रन्थों के प्रवचनकर्ता थे, अतः ब्राह्मण-ग्रन्थ द्वापरान्त में ही एकत्र किये गये थे । (ख) याज्ञवल्क्य मा महाभारत-कालीन ही है । महाभारत सभापर्व, अध्याय ४ में लिखा है-- बको दाल्भ्यः स्थूलशिराः कृष्णद्वैपायनः शुकः । सुमन्तुजैमिनिः पैलो व्यासशिष्यास्तथा वयम् ॥ १७॥ तित्तिरिाज्ञवल्क्यश्च ससुतो रोमहर्षणः । अर्थात् ये सब महाशय ऋषि महाराज युधिष्ठिर की सभा को सुशोभित कर रहे थे। शतपथ बा० याज्ञवल्क्य-प्रोक्त है । उसके विषय में काशिकावृत्ति ४।३।१०५!! पर लिखा है--- ब्राह्मणेषु तावत्-भाल्लविनः । शाट्यायनिनः । ऐतरेयिणः । • • • पुराणप्रोक्तेष्विति किम् । याज्ञवल्कानि ब्राह्मणानि । . . . . . । याज्ञवल्क्यादयो ऽचिरकाला इत्याख्यानेषु वार्ता । जयादित्य का यह लेख महाभाष्य से विरुद्ध है । हम अपने "ऋग्वेद पर व्याख्यान" पृ० ५८ पर यह बता चुके हैं । जयादित्य के सन्देह का कारण कोई प्राचीन “आख्यान" है । परन्तु उससे जयादित्य का आभप्राय सिद्ध नहीं होता । ब्राह्मण ग्रन्थों के अवान्तर भागों को भी बाहाण कहते हैं। शतपथ ब्राह्मण के अनेक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016086
Book TitleVaidik kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwaddatta, Hansraj
PublisherVishwabharti Anusandhan Parishad Varanasi
Publication Year1992
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy