SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 850
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७८० पाइअसद्दमहण्णवो विज्झ-विडंब विज्म सक [व्यध ] बीधना, वेध करना, गउड सुपा ४४८; प्रासू १३७; पउम ५, विटुंभणया स्त्री [विष्टम्भना] स्थापना भेदना। विज्झति (सूम १, ५, १, ६), १८२)। २ संक्रम-विशेषः 'विज्झायनाम- (प्रौप)। विज्झसे (गा ४४१) संकृ. विधूण (सूम गेणं संकममेत्तेण सुझंति' (सम्यक्त्वो २१) विट्ठर पुन [विष्टर] पासना 'विट्ठरो' (प्राप्र; १, ५, १, ६) । कृ. विज्झ (षड् ) विज्झाव देखो विज्मव । विज्झावेइ (गा पउम ८०,७: पाम; सुपा ६०)। विज्म अक [वि + घट ] अलग होना। ८३६)। विद्या स्त्री [विष्टा] बीट, पुरीष, मल (पान) विज्झर (धावा १५२) विज्झावग देखो विझवण (उप २६४ टी)ोधमा २६६. प्रासू १५८) हर न विमान दे] बीझ, धक्का, ठेला; तो विभाविक देखो विविध मा [गृह] मलोत्सर्ग-स्थान, टट्टी (पउम ७४, हत्थी तम्मि पडे विज्झं दाऊरण कुमरमण विज्झिडिय [दे] मत्स्य को एक जाति मग्गे (धर्मवि ८१), विद्रि स्त्री [विष्टि] १ कर्म, काज, काम (दे (पएण १-पत्र ४७) 'ताव वणवारणेण य विज्झाइ २, ४३)। २ ज्योतिष-प्रसिद्ध एक करण, (?ई) नरं प्रपावमाणेण विटंक देखो विडंक (माल २३४; राज) प्रधं तिथि (विसे ३३४८; स २६५, गण कुविएण विइएणाई धरिणयं विट्टाल सक [दे] अस्पृश्य करना, उच्छिष्ट १९) । ३ भद्रा नक्षत्र (सुर १६,९०)। ४ नग्गोहरुक्खम्मि' (स ११३)। करना, बिगाड़ना, दूषित करना, अपवित्र बेगार, मजूरी दिए बिना ही जबरदस्ती या विज्झ वि [विद्ध] बिधा हुमाः 'जइ तंपि करना। विट्टालिति (सुख १, १५)। कर्म. बेमन का कराया जाता काम (उर ६,११)। तेण बाणेण बिज्झसे जेरण है विज्झा' (गा 'विट्टालिज्जइ गंगा कयाइ कि वासवारेहि विट्टित्री वृिष्टि] वर्षा, बारिश (हे १, (चेइय १३४)। वकृ. विद्यालयंत (सिरि १३७, प्राकृदा संक्षि ५; पउम २०, ८७; विज्झ देखो विज्झ= व्यध् ।। ११३२) । कुमाः रंभा) । देखो वुट्टि विज्झडिय वि [दे] १ मिश्रित, व्याप्तः । विट्टाल पुं [दे] अस्पृश्य-संसर्ग, उच्छिता, विहित वि [दे] अजित (षड् ) 'सीउएहखरपरुसवायविज्झडिया' (भग ७, अपवित्रताः 'तुह घरम्मि चंडाली, विट्टालं विट्रिय न [विस्थित] विशिष्ट स्थिति (भग कुणइ', 'सा घरबाहि चिट्ठइ भुजइ य, न | ६--पत्र ३०७; उव)। ९, ३२ टी-पत्र ४६६) तेण देव विट्टालो (कुप्र २४३, हे ४, विज्झल देखो बिब्भल = विह्वल (भग ७, विड पु[विट] १ अँड प्रा (कुमा; सुर, ३, ६ टी-पत्र ३०८) ४२२) ११६, रंभा)IV विझव सक [वि+ध्यापय् ] बुझाना, विट्टालण न [दे] ऊपर देखो (स ७०१)। विड न [विड] लवण-विशेष, एक तरह का दीपक प्रादि को गुल करना, ठंढा करना। विट्टालि वि [दे] बिगाड़नेवाला, अपवित्र नमक (दस ६, १८)IV विज्झवइ (गउड; कुत्र ३६७)। कम. करनेवाला। स्त्री. °णी (कप्पू)। विडंक पुंन [विटङ्क] कपोतपाली, प्रासाद विज्झविजइ (गा ४०७; स ४८६)। संकृ. विट्टालिअ वि [दे] उच्छिष्ट किया हुआ, मादि के आगे की ओर काठ का बना हुआ विझवेऊणं, विज्झविय (धर्मसं १५८ अपवित्र किया हुआ, बिगाड़ा हुआ (धर्मवि पक्षियों के रहने का स्थान, छतरी (णाया १, स ४६६)। कृ. विज्झवियव्व (पउम ७८, ४५; सिरि ७१६; सुपा ११५, ३६०; महा)। १-पत्र १२ दे ७, ८६; गउड)। विट्टी स्त्री [दे] गठरी, पोटली (प्रोघ ३२४)। विझवण स्त्रीन [विध्यापन] बुझाना, उप- देखो विंटिया।। विडंकिआ स्त्री [दे] वेदिका, वेदो, चौतरा शान्ति (स ४८६; सम्मत्त १९२; कुप्र २७०), विट्ठ वि [वृष्ट] बरसा हुआ (हे १, १३७ (दे ७, ६७) स्त्री.°णा (संथा १०६) षड्) विडंग देखो विडंक (पएह १, १-पत्र ८)।' विज्झवि वि [विध्यापित] बुझाया हुआ, विट्ठ वि [विष्ट] १ प्रविष्ट, पैठा हमा (सूम विडंग पुंन [विडङ्ग] १ औषध-विशेष । गुल किया हुआ, ठंढा किया हुआ (से ८,१६; १, ३, १, १३)। २ उपविष्ट, बैठा हुआ। २ वि. अभिज्ञ, विदग्ध; १२, ७७ गा ३३३; पउम २०, ६२)। (पिंड ६००)। 'विज्ज न एसो जरो न विज्झा । अक [वि + ध्यै बुझना, ठंढा विट्ठ वि [दे] सुप्तोत्थित, सो कर उठा हुआ यवाही एस कोवि संभूयो । विज्झा होना, गुल होना । विज्झाइ (गा उवसमइ सलोणेणं विडंगजोया४३०; हे २, २८) । वकृ. विज्झाअंत (गा विदुअ न [विष्टप] भुवन, जगत् (मृच्छ __ मयरसेणं' (वज्जा १०४)। १०६)। विडंब सक [वि + डम्बय्] १ तिरस्कार विभाअ) वि [विध्यात] १ बुझा हुमा, विटभ सक विष्टम्म | विटुंभ सक [वि+ष्टम्भय ] १ रोकना। करना, अपमान करना। २ दुःख देना। ३ विज्माण, उपशान्त (से १, ३१ गाया २ स्थापित करना, रखना । विट्ठभंति (पीप)। नकल करना। विडंबइ, विडंबंति, विडंबेमि १, १-पत्र ६६, १, १४-पत्र १६०; संकृ. विटुंभित्ता (प्रौप)। (भविः कुप्र १९४७ स ६६३)। वकृ. ht + ध्यै] बुझना, या (षडाविष्टप] भुवन, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy