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________________ ४६ अणोसिय वि] [अनुपित] जिसने सन किया हो। २ व्यवस्थित 'प्रोसिए ग करे चा' (धर्मं ३ सूत्र १,१४) अणोहंतर वि [अनोन्तर] पार जाने के लिए मुशिखा एवं हंतरा एए. नोय श्रहं तरि अणोह (भाषा) 1 [अनपपट्टक] निरंकुश स्व च्छन्दी (गाया १, १६) अगोहीण वि [ अनवहीन ] हीनता-रहित ( १२०) [ [ भुज् ] भोजन करना, खाना । अइ (षड् ) । , 'गाई उता, संसारवम्मि विसारामि । Jain Education International पाइअसहमणवो मरांति धीरहिया, वराइट्टाराईव कुलाई' (गउड) अण्णत [ अन्यत्र ] दूसरे में भिन्न स्थान में (गा ६५५) । " अति श्री [दे] धवशा धरमान, निरादर (दे १, १७) IV अण्णत्तो देसी अश्नओ गा३ अण्णत्थ देखो अण्णत्त ( विपा १, २ ) । अण्णत्थ वि [ अन्यस्थ ] दूसरे (स्थान) में रहा हुआ (गा ५५० ) अण्णाण न [अज्ञान] १ अज्ञान, धजानकारी, मूर्खता (दे १, ७) । २ मिथ्या ज्ञान, झूठा ज्ञान (भग ८, २) । ३ वि. ज्ञान-रहित, (w, e) I' अण्णाण न [दे] वा विवाह काल में व को अथवा वर को जो दान दिया जाता है वह (दे १, ७) । अण्णाणि वि [ अज्ञानिन] ज्ञानरहित (१७) २ मिथ्याज्ञानी ( १) । ३ श्रज्ञान को ही श्रेयस्कर माननेवाला, अज्ञानवादी (सूत्र १,१२ ) अण्णमयवि [दे] पुनरुक, फिर से कहा अण्णाणिय वि [आज्ञानिक] १ नवादी हुप्रा (दे १, २८ ) । प्रज्ञानवाद का अनुयायी (श्राव ६ सम अण्णात्थवि [अन्य] यथार्थ, यया नाम तथा गुण वाला 'ठियमाणत्थे तयत्यनिरवेक्ख' (विसे)। अण्ण स [अन्य] दूसरा, पर (प्रासू १३१) । थिय ["तिर्विक, "यूबिक] अन्य दर्शन का अनुयायी (सम ६० ) । गहण न [" ग्रहण] १ गान के समय होनेवाला एक प्रकार का मुख विकार । १ पुं. गानेवाला, गावि, गवैया (नि १७) । धम्मिय वि [ धार्मिक ] भिन्न धर्मं वाला (श्रोव १५) । अण्ण न [अन्न] १ नाज, चावल आदि धान्य ( सू १, ४, २) । २ भक्ष्य पदार्थ (उत्त २० ) । ३ भक्षरण, भोजन (सूत्र १, २) । इलाय, गिलाय वि [ग्लायक] बासी अन्न को खानेवाला (१५, ३) "विधि अण्णय देखो अन्नय ( धर्मसं ३६२ ) । -- अण्णवर व [अम्यतर] दो में से एक (कप्प ) 1अण्णया श्र [ अन्यदा ] कोई समय में (उप ६ टी) अण्णव [अर्णय] १ समुद्र२ संचार 'असि महोपसि एगे तिणे दुस्तरे' (उत्त ५) । अण्णाय पुं [ अन्याय ] न्याय का अभाव (श्रा १२) स्त्री [विधि ] पाक-कला ( औप ) । V अण्ण न [ अर्णस् ] पानी, जल ( उत्त ५) । अण्णव [] १ आरोपित । २ खडित (षड् ) 1 अण्णा वि [दे] श्रार्द्र, गोला ( से ४, ९) । अण्णाय वि [ अन्याय्य ] न्याय से युत न्यायविरुद्ध 'विभासी न से समे होइ प्रपत्ते' (सूत्र १,१३) । अण्णाय्य (शौ) ऊपर देखो (मा २० ) । अण्णव न [ ऋणवत् ] एक लोकोत्तर मुहूर्त्त का नाम ( ज ७ ) । "अण्ण देखो कण (या ५१४, अण् न [अम्बह] प्रतिदिन हमेशा (पर्म अण्णारिन्छ नि [अभ्यारचा ] दूसरे के जैसा कप्पू) 8) 12 अण्ण पुं [दे] १ जवान, तरुण । २ धूर्त, अण्णह देखो अण्णत्त ( षड् ) 1 ठग । ३ देवर (दे १, ५५ ) । अण्णइअ वि [दे] १ तृप्त (दे १, १९ ) । २ सब विषयो में तृप्त, सर्वार्थ- तृप्त (षड् ) अण्णओ [ अन्यतस् ] दूसरे से दूसरी तरफ ( उत्त १)। देखो अन्नओ अण्णष्ण वि [ अन्योन्य] परस्पर घास में ( षड् ) अण्णण व [ अन्यान्य ] धीर धर, अलग अलग; अष्णमण्ण देखो अण्णण्ण = अन्योन्यः श्ररणममरतया (गाया १२) अण्णE ) [ अन्यथा ] अन्य प्रकार से, अण्णहा विपरीत रीति से, उलटा ( षड् ; महा) । 'भाव पुं [भाव ] वैपरीत्य, उलटापन (बृह ४) । अण्णदि देखो अण्णत ( पद् अगोसिय-अणिया अण्णा वि [अन्वाविष्ट ] १ व्याप्त ( भग १४, १) । २ पराधीन, परवश (भग १८ ६) । अण्णा श्री [आज्ञा ] माज्ञा, आदेश (गा २३: श्रभि ६३: मुद्रा ५७ ) toorg a [ अन्वादिष्ट ] श्रादिष्ट, जिसको वि आदेश दिया गया हो वह 'अन्जुपए मालागारे मोग्गरपारिणरणा जक्खेणं श्रराइट्ठे समाणे ' ( अंत २० ) । अण्णास ( प ) वि [ अन्यादृश] दूसरे के जैसा ( पि २४५ ) IV For Personal & Private Use Only १०९) । २ मूर्ख, अज्ञानी ( सूत्र १, १, २) । अण्णाय वि [ अज्ञात ] अविदित, नहीं जाना (२१) (प्रामा) अण्णारिस नि [ अन्याय ] दूसरे के जैसा (पि २४५) । अण्णास व [] विस्तृत, बिछाया हुआ ( षड् ) । अणिमाण देखो अण् अणियन [अन्वित] युग सहित (नूम १, १०; नाट) । - अणिया स्त्री [दे] देखो अण्णी (दे १, ५१) । अणिया श्री [अझिका] एक विख्यात जैन मुनि की माता का नाम ( ती ३६ ) । उत्त [पुत्र ] एक विख्यात जैन मुनि ( ती ३६) । www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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