SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 105
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३५ अणुगच्छण-अणुग्घायण पाइअसद्दमण्णवो (नाटा सूत्र १,१४) । कवकृ. अणुगच्छित वकृ. अणुगवेसेमाण (भग 7, ५)। कृ विच्छाएइ मियंक, तुसार(गाया १,२)। संकृ. अणुगच्छित्ता (कप्प)। अणुगवेसियव्व (कस)। वरिसो अणुगुणेवि' (गउड)। अणुगच्छग देखो अणुगमग (पुप्फ ४०८)। अणुगह देखो अणुग्गह = अनु + ग्रह (नाट)। अणुगुरु वि [अनुगुरु] गुरु-परम्परा के अनुअणुगच्छिर वि [ अनुगामिन् ] अनुसरण अणुगाहअ देखो अणु गाहअ (दे ८, २६) । सार जिस विषय का व्यवहार होता हो वह करनेवाला (सरण)। अणुगाम पुं[अणुग्राम] १ छोटा गाँव, (उत्त (बृह १)। अणुगन्ज प्रक [अनु +गर्ज ] प्रतिध्वनि ३)। २ उपपुर, शहर के पास का ग.व (ठा अणुगूल वि [अनुकूल] अनुकूल (स ३७८)। करना, प्रतिशब्द करना। वकृ, अणुगज्जे६,२) । ३ विवक्षित गाँव से दूसरा गांव, अणुगेज्झ वि [अनुग्राह्य अनुग्रह के योग्य, माण (णाया १, १८)। 'गाभाणुगाम दुइजमाणे' (विपा १, १; प्रौपः आचा)। कृपा-पात्र (प्राप)। अणुगम सक [अनु + गम्] १ अनुसरण करना, पीछे-पीछे जाना । २ जानना, समअणुगामि ) वि [अनुगामिन् , मिक] अणु अणुगेण्ह देखो अणुग्गह = अनु + ग्रह । अणुगामिय) १ अनुसरण करनेवाला, पीछे अणुगेरहंतु (पि ५१२) । झना । ३ व्याख्या करना, सूत्र के अर्थों का पीछे जानेवाला (प्रौप) । २ निर्दोष हेतु, शुद्ध अणुग्गह सक [ अनु + ग्रह ] कृपा करना, स्पष्टीकरण करना। कर्म. अणुगम्मइ (विसे कारण (ठा ३, ३)। ३ अवधिज्ञान का एक मेहरबानी करना। कृ अणुग्गहइदम्व, अणु६१३) । ववकृ. अणुगम्मंत, अणुगम्ममाण भेद (कम्म १, ८)। ४ अनुचर, सेवक (सू गाहिदव्य (शौ) (नाट)। (उप ६ टी सुपा ७८२०८)। संकृ. अणुगम्म १, २, ३)। अणुग्गह पुं [अनुग्रह] १ कृपा, मेहरबानी (सूप १, १४)। कृ. अणुगंतव्य (सुर ७, अणुगारि वि [अनुकारिन् ] अनुकरण (कप्पू)। २ उपकार (औप)। ३ वि. जिस १७६; पण्ण १)। करनेवाला, नकालची (महा; धर्मः ५, स पर अनुग्रह किया जाय वह (बव १)। अणुगम पुं [अनुगम] १ अनुसरण, अनुवर्तन अणुग्गह पुं [अनवग्रह] जैन साधुओं को (दे २,६१)। २ जानना, ठीक-ठीक समझना, अणुगिइ स्त्री [अनुकृति] अनुकरण, नकल रहने के लिए शास्त्र-निषिद्ध स्थान, निश्चय करना (ठा १)। ३ सूत्र की व्याख्या, (श्रा १)। 'गो गोयरे पो वरणगोणियाणं, पो बद्ध सूत्र के अर्थ का स्पष्टीकरण (वव १)। ४ अणुगिण्ह देखो अणुग्गह = अनु + ग्रह । वकृ. दुति य जत्थ गावो । अन्वय, एक की सत्ता में दूसरे की विद्यमानता अणुगिण्हमाण, अणुगिण्हेमाण (निर १, अराणत्थ गोणेहिसु जत्थ खुएणं, स उग्गहो (विसे २६०)। ६ व्याख्या, टीका (विसे १३ १ पाया १, १६)। सेसमणुग्गहो तु' (बृह ३)। ५७); अणुगम्मइ तेण तहिं, तो व अणुगमअणुगिद्ध वि [अनुगृद्ध] अत्यन्त आसक्तः, अणुग्गहिअ) वि [अनुगृहीत] जिस पर रणमेव वाणुगमो । 'अणुणोणुरूवो वा, जं अणुग्गहीअ कृपा की गई हो वह, प्राभारी लोलुप (सूत्र १,७)। सुत्तत्थाणमणुसरणं' (विसे ६१३)। अणुग्गिहीअ) (महाः सुपा १६२; स ६७)। अणुगिद्धि स्त्री [अनुगृद्धि] प्रत्यासक्ति (उत्त अणुगमण न [अनुगमन ऊपर देखो। अणुग्घाइम न [अनुद्धातिम] १ महा-प्राय श्चित का एक भेद (ठा ३,४)। २ वि. महाअणुगमिअ वि [अनुगत] अनुसृत (कुप्र अणगिल सक [अन + ग] भक्षण कर प्रायश्चित का पात्र (ठा ३,४)। ४३)। संर. अणुगिलित्ता (गाया १, ७)। अणुग्घाइय वि [अनुदातिक] १ अनुद्घातिक अणुगमिर वि [अनुगन्तु] अनुसरण करनेअणुगिहीअ वि [अनुगृहीत] जिस पर मेह नामक महा-प्रायश्चित का पात्र (ठा ५, ३)। वाला (दे ६, १२७)। रबानी की गई हो वह (स १४, १६३)। २ न. ग्रन्थांश-विशेष, जिसमें अनुद्घातिक अणुगय वि [अनुगत १ अनुसृत, जिसका अणुगीय वि [अनुगीत] १ पीछे कहा हृया, प्रायश्चित का वर्णन है (पएह २, ५) । अनुसरण किया गया हो वह (पएह १, ४)। अनूदित । २ पूर्व ग्रन्थकार के भाव के अनुकूल २ ज्ञात, जाना हुआ (विसे)। ३ अनुवृत्त, जो अणुग्धाय वि [अनुद्धात] १ उद्घात-रहित। किया हुअा ग्रन्थ, व्याख्यान आदि (उत १३)। पूर्व से बराबर चला पाया हो (पराह १, २ न. निशीथ सूत्र का वह भाग, जिसमें अनु३ जिसका गान किया गया हो वह, कीतित, द्घातिक प्रायश्चित्त का विचार है। 'उग्घायम३)। ४ प्रतिक्रान्त (विसे ६५६)। वरिणत । ४ न. गाना, गीत; 'उजाणे 'मत्त- गुग्घायं आरोवरण तिविहमो निसीहं तु' अणुगर देखो अणुकर। अरणुगरेइ (स ३३४)। | भिंगाणुगीए' (पउम ३३, १४८)। (प्राव ३)। वकृ. अणुगरिंत (स ६८)। अणुगुण वि [अनुगुण] १ अनुकूल, उचित, अणुग्घाय न [अनुद्घात] गुरु-प्रायश्चित्त अणुगरण देखो अणुकरण (कुप्र १७६)। योग्य (नाट) । २ तुल्य, सदृश गुरगवाला; (वव १)। अणुगवेस सक [अनु + गवेष ] खोजना, जाण अलंकारसमो, विहवो अणुग्घायण न [अणोद्धातन] कर्मों का नाश शोधना, तलाश करना । अणुगवेसइ (कस)। मइलेइ तेवि वढंतो। (प्राचा)। ३२)। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy