________________ हिंडा वि [हिण्डक 1 T (अणु 14 वध क हिडग-हित्था पाइअसहमहण्णवो 647 यव्व (उप पृ 50; महा)। संकृ. हिंडिय हिंदोलग न [हिन्दोलन] भूलनाः दोलन हिक्कास [दे] पङ्क; कादा (दे 8, 66) / (महा) / हेकृ. हिंडिउं (महा)। हिक्किअ न [दे] हेषा-रव, अश्व-शब्द (दे 8, हिंडग वि [हिण्डक] 1 भ्रमण करनेवाला हिंबिअ न [दे] एक पैर से चलने की बाल(पंचा 18, 8) / 2 चलनेवाला (अणु क्रीडा (दे 8,68) / हिज्ज देखो हर = हु। | हिंस सक [हिंस] 1 वध करना। 2 पीड़ा 126). हिज देखो हा। हिंडण न [हिण्डन] 1 परिभ्रमण, पर्यटन करना / हिंसइ, हिसई (आचा; पव 121) / हिजा) अ[दे. ह्यस ] गत कल (षड्; (पउम 97, 18 स 46) / 2 गमन, गति भूका. हिसिसु (प्राचा: पब 121) / भवि. हिजो दे८,६७, पाप, प्रयो 13; पि नी (उप 1017) / 3 वि. भ्रमण-शील (दे 2, हिंसिस्सइ, हिसिस्संति, हिंसेही (पि 516 134) / प्राचा; पव 121) / वकृ. हिंसमाण (प्राचा)। हिज्जो अ [दे] अागामी कल (दे 8, 67) / " हिंडि स्त्री [हिण्डि] परिभ्रमण, पर्यटन कृ. हिंस, हिंसियव्व (उप 625; पण्ह 1, १-पत्र 5, 2, १-पत्र 10; उव)। हिट वि [दे] आकुल (दे 8, 67) / 'वासुदेवाइणो हिंडी राय-वंसुब्भवाण वि / हिट्ठ देखो हेद (सुर 4, 225; महा; सुपा तारुण्णेवि कहं हुंता न हुँतं जइ कम्मयं हिंस वि [हिंस्र] 1 हिंसा करनेवाला, हिंसक (कर्म 16) / (उत्त 7, 5, पण्ह 1, १-पत्र 5; विसे हिंडि पुं[हिण्डिन्] रावण का एक सुभट 1763; पंचा 1,23, उप 625; स 50) / हट्ट देखो हट्ठ% हृष्ट (उव; सम्मत्त 75) / (पउम 56, 23) / प्पदाण, °पियाण न [प्रदान] हिंसा के हिट्ठाहिड वि [दे] पाकुल (दै 8, 67) / हिंडिअ वि [हिण्डित] 1 चला हुआ, चलित, साधन-भूत खड्ग आदि का दान (प्रौपः हिट्ठिम देखो हेटिम (सिरि 708 सुज 10, गत (महा 34) / जहाँ पर जाया गया हो राज)। -5 टी)। वह; हिंडियं असेसं गाम' (महा 61) / 3 हिंस' देखो हिंसा (पण्ड 1, १-पत्र 5) / हिडिल्ल देखो हेटिल्ल (सम 87) / न. गति, गमन, विहार (गाया १,१-पत्र प्पेहि वि [प्रेक्षिन] हिंसा को देखनेवाला हिडिंब [हिडिम्ब] 1 एक विद्याधर राजा 165; अोघ 254) / (ठा 5, १-पत्र 300) / (पउम 10, 20) / 2 एक राक्षस (वेणी हिंडअ पुं [दे. हिण्डुक] आत्मा, जीव, | हिंसअ) वि [हिंसक] हिंसा करनेवाला 177) / 3 देश-विशेष (पउम 18, 65) / जन्मान्तर माननेवाला प्रात्मा, हिन्दु (भग हिंसग (भगा योघ 752; उत्त 36, / 26, हिडिंबा स्त्री [हिडिम्बा] एक राक्षसी, हिडिम्ब २०,२-पत्र 776) / 256; उवः कुप्र 26) / राक्षस की बहिन (हे 4, 266) / हिंडोल न [दे] 1 खेत में पशुओं को रोकने हिंसण न [हिंसन] हिंसाः 'अहिंसणं सब हिडोलणय देखो हिंडोलग (दे 8, 76) / की आवाज / 2 क्षेत्र की रक्षा का यन्त्र (दे जियाण धम्मो (सत्त 42) / हिड्ड वि [दे] वामन, खर्व (दे 8, 67) / हिंसा स्त्री [हिंसा] 1 वध, घात (उवाः | हिणिद वि [भणित] उक्त, कथितः ‘खणपाहिंडोल देखो हिंदोल (स 521) / महाः प्रास 143) / 2 वध, बन्धन आदि से हरिणा देअरजाप्रा ए सुहम कि ति दे हहिंडोलण न दे] 1 रत्नावली, रत्नमाला। जीव को की जाती पीड़ा, हैरानी (ठा 4, (हि)रिणदा' (गा 963) / 2 क्षेत्र की रक्षा को आवाज, खेत में पशु १-पत्र 188) / | हिण्ण सक [ग्रह ] ग्रहण करना / हिरणइ आदि को रोकने का शब्द (दे 8, 36) / हिंसा स्त्री हेषा] अश्व का शब्द, 'गयगजि (धात्वा 157) / हिंडोलय देखो हिंडोल (दे 8, 69) / हयहिंसं च तप्पुरमो केवि कुव्वंता' (सुपा हिण्ण (अप) देखो हीण (पिंग)। 194) / "हिण्ण देखो भिण्ण (गा 563) / हिंताल पुं[हिन्ताल] वृक्ष-विशेष (उप हिंसिय वि [हिंसित] हिंसा-प्राप्त (राज)। / हित) (पै) देखो हिअअ = हृदय (प्रात: 1031 टीः कुमा)। हितप हिंसिय न [हेषित] अश्व-शब्द (पउम 6, षड्; वाम 16; पि 254) हे 4, हिंद सक [ग्रह ] स्वीकार करना, ग्रहण 31%; कुमाः प्राकृ 124) / करना / हिंदइ (प्राकृ 70, धात्वा 157) / 180; दस 3, 1 टी)। हित्थ वि[दे] 1 लजित (दे 8, 67 धण कर्म, हिदिजइ (पात्वा 157) / संकृ. हिंसी स्त्री [हिंसी] लता-विशेष (गउड)। | 6) / 2 त्रस्त, भय-भीत (दे 8, 67 हे 2, हिंदिऊण (प्राकृ 70 घात्वा 157) / हिंह पुं[दे] हिन्दू, हिन्दुस्तान का निवासी 136, प्राप्र; गा 386, 763; सुर 16, हिंदोल सक [हिन्दोलय ] भूलना / वकृ.! (पिंग)। 61; कुमा)। 3 हिंसित, मारा हुआ. 'हित्थो हिंदोलअंत (कप्पू)। हिक्का स्त्री [दे] रजको, धोबिन (दे 8, 66) वण हित्थो मे सत्तो, भरिणय व न भरिणयं हिंदोल पुं [हिन्दोल] हिंडोला, झूलना, हिका स्त्री [हिका] रोग-विशेष, हिचकी (सुपा / मोसं' (वव 1) / दोला (कप्पू)। 486) / |हित्था स्त्री [दे] लजा, शरम (दे 8, 67) / Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org